Lord Ram Family Tree: क्या है भगवान श्री राम की वंशावली? जानें किसके वंशज थे प्रभु श्रीराम और उनके वंशों की क्या है गाथा?

भगवान श्रीराम की वंश परंपरा को जानने और समझने की उत्कंठा हर किसी को होगी. आइये जानते हैं, भगवान श्री राम के पूर्वजों की क्रमबद्ध श्रृंखला...

(Photo : X)

Lineage Of Lord Shri Ram: अयोध्या में भगवान श्री राम लला की स्थापना एवं प्राण प्रतिष्ठा की भव्य तैयारियां चल रही हैं. सूचनाओं के अनुसार 22 जनवरी 2024 को चुनिंदा पुरोहितों के मंत्रोच्चार के बीच देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, द्वारा श्री राम लला की प्रतिमा की स्थापना करने की खबरें हैं, इस खबर के साथ ही आस्था का यह मसला अब राजनीतिक मोड़ ले रहा है, विपक्षी पार्टियों के नेता श्री राम के अस्तित्व, 'रामचरितमानस' की प्रासंगिकता, और सनातन धर्म पर विवादित टिप्पणी कर प्रश्न चिह्न खड़ा कर रहे हैं. ऐसे में भगवान श्रीराम की वंश परंपरा को जानने और समझने की उत्कंठा हर किसी को होगी. आइये जानते हैं, भगवान श्री राम के पूर्वजों की क्रमबद्ध श्रृंखला...

ब्रह्मा से विवस्वान और इक्ष्वाकु कुल तक

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी. उनके पुत्र थे मरीचि, मरीचि के पुत्र कश्यप और उनके पुत्र विवस्वान थे. बताया जाता है कि विवस्वान से सूर्यवंश का उदय हुआ था. विवस्वान के पुत्र वैवस्वत मनु थे. वैवस्वत मनु के 10 पुत्र हुए, जिनमें इल, इक्ष्वाकु, कुशनाम (नाभाग), अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यन्त, करुष, महाबली, शर्याति और पृषध थे. भगवान राम का जन्म वैवस्वत मनु के दूसरे पुत्र इक्ष्वाकु कुल में हुआ था. ये भी पढ़ें- Mandir Wahi Banayenge: राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे! 22 साल के लड़के का नारा, जिसने बदल दी इतिहास की धारा, जानें पूरी कहानी

इक्ष्वाकु राज में स्थापित हुई अयोध्या नगरी!

महाराजा इक्ष्वाकु से सूर्य वंश में वृद्धि हुई. इक्ष्वाकु वंश में कई पुत्रों विकुक्षि, निमि और दण्डक का जन्म हुआ, जिनमें विकुक्षि, निमी और दण्डक का जन्म हुआ. समय के साथ यह वंश परंपरा आगे बढ़ी, जिसमें राजा हरिश्चन्द्र, उनके रोहित, वृष, बाहु और सागर पैदा हुए. अयोध्या नगरी की स्थापना इक्ष्वाकु के समय ही हुई. इक्ष्वाकु कौशल देश के नरेश थे, जिसकी राजधानी साकेत थी, और जिसे अयोध्या कहा जाता है. वाल्मीकि रामायण में गुरु वशिष्ठ ने राम के कुल का विस्तृत वर्णन किया है.

युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए

इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि, कुक्षि के पुत्र विकुक्षि थे. की संतान का नाम बाण था, बाण अनरण्य के पिता बने. समय के साथ अनरण्य. फिर पृथु और पृथु से त्रिशंकु पैदा हुए. त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार थे, उनके पुत्र का नाम युवनाश्व था. युवनाश्व से मान्धाता और मान्धाता से सुसन्धि पैदा हुए. सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि और प्रसेनजित. ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए.  VIDEO: क्यों थे भगवान राम के 4 भाई और राजा दशरथ की 3 रानियां? BJP के सुधांशु त्रिवेदी ने समझाया शास्त्रों का रहस्य, वीडियो वायरल

दिलीप से प्रतापी भागीरथ पुत्र हुए

भरत की अगली श्रृंखला में पहले असित, फिर सगर का जन्म हुआ. सगर अयोध्या के सूर्यवंशी प्रतापी राजा थे. राजा सगर के पुत्र असमंज हुए..असमंज के पुत्र अंशुमान हुए. अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए, फिर दिलीप से प्रतापी भगीरथ पुत्र हुए, जिनकी कठोर तपस्या से मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं. भगीरथ के पुत्र ककुत्स्थ हुए और ककुत्स्थ के पुत्र रघु का जन्म हुआ.

दशरथ ने चार पुत्रों को जन्म दिया

महाराजा रघु से इस वंश का नाम रघुवंश पड़ा, क्योंकि रघु बहुत पराक्रमी और ओजस्वी राजा थे. रघु से उनके पुत्र प्रवृद्ध हुए. प्रवृद्ध से कुल की श्रृंखला आगे बढ़ते हुए नाभाग फिर अज पैदा हुए. अज के पुत्र दशरथ थे, उनकी तीन पत्नियां कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी थीं. अयोध्या नरेश दशरथ के चार पुत्र कौशल्या से राम, सुमित्रा से लक्ष्मण और शत्रुघ्न और कैकेयी से भरत पैदा हुए. इस तरह ब्रह्मा जी की 67वीं पीढ़ी भगवान श्रीराम थे.

श्रीराम के बाद के वंशज

वानप्रस्थ प्रस्थान करने से पूर्व उन्होंने भरत को राजपाट सौंपा, मगर भरत के मना करने पर राम ने कुश को दक्षिण कोसल, कुशस्थली (कुशावती) और अयोध्या राज्य सौंपा तो लव को पंजाब दिया. लव ने लाहौर को राजधानी बनाया. आज के तक्षशिला में भरत पुत्र तक्ष और पुष्करावती (पेशावर) में पुष्कर सिंहासनारूढ़ थे. हिमाचल में लक्ष्मण पुत्र अंगद का अंगदपुर और चंद्रकेतु का चंद्रावती में शासन था. मथुरा में शत्रुघ्न के पुत्र सुबाहु का तथा दूसरे पुत्र शत्रुघाती का भेलसा (विदिशा) में शासन हुआ.

- वाल्मीकि रामायण 1-59 से 72 से उद्धृत

कुश वंश के राजा सीरध्वज को सीता नामक पुत्री हुई. जिन्होंने कृति नामक पुत्र को जन्म दिया. कुश वंश से ही कुशवाहा, मौर्य, सैनी, शाक्य संप्रदाय की स्थापना मानी जाती है. एक शोध के अनुसार कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए, जो महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े थे. इसकी गणना करें तो कुश महाभारत काल के 2500 से 3000 वर्ष पूर्व हुए थे, अर्थात आज से 6,500 से 7,000 वर्ष पूर्व.

जयपुर राजघराना है राम का वंशज

जयपुर राजघराने की महारानी पद्मिनी और उनके परिवार के लोग भी राम के पुत्र कुश के वंशज है. कुछ समय पहले महारानी पद्मिनी ने एक अंग्रेजी चैनल को दिए में कहा था कि उनके पति भवानी सिंह कुश के 307 वें वंशज थे.

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