Sathya Sai Baba Birth Anniversary: सत्य साईं बाबा की जयंती पर जानें उनसे जुडी बड़ी और रोचक बातें

सत्य साईं बाबा का जन्म सत्यनारायण राजू के रूप में 23 नवंबर 1926 को भारत के पुट्टपर्थी शहर में एक गरीब हिंदू परिवार में हुआ था. सत्य साईं बाबा के कुल पांच भाई बहन थे,जिनमें तीन भाई और दो बहनें थीं. उनके बड़े भाई का नाम रत्नाकरम शेषम राजू और छोटे भाई का नाम जानकीरामैया और बहनें वेंकम्मा और परवथम्मा थीं.

सत्य साईं बाबा, (फोटो क्रेडिट्स: Twitter)

Sathya Sai Baba 95th Birthday: सत्य साईं बाबा का जन्म सत्यनारायण राजू (Satyanarayan raju) के रूप में 23 नवंबर 1926 को भारत के पुट्टपर्थी शहर में एक गरीब हिंदू परिवार में हुआ था. सत्य साईं बाबा कुल पांच भाई बहन थे, जिनमें तीन भाई और दो बहनें थीं. उनके बड़े भाई का नाम रत्नाकरम शेषम राजू और छोटे भाई का नाम जानकीरामैया और बहनें वेंकम्मा और परवथम्मा थीं. लोगों का कहना है कि सत्य साईं ने अपने जीवनकाल में बहुत सारे चमत्कार किए. उनके जन्म के दौरान भी चमत्कार हुआ था, उनके जन्म के बाद घर में वाद्य यंत्र बजने लगे थे.

ऐसा कहा जाता है कि जब वे 13 साल के थे, तब उन्हें एक बिच्छू ने डंक मार दिया था और वे कई घंटो तक कोमा में चले गए थे. जब वे जागे तो उनके व्यवहार में काफी परिवर्तन पाया गया. उन्होंने संस्कृत में गाना शुरू किया, जिसकी कोई पूर्व जानकारी उन्हें नहीं थी और उनका शरीर कठोर हो गया था. स्थानीय डॉक्टर और ओझा उन्हें ठीक करने में नाकाम रहे. फिर उन्होंने गुलाब और उपहार के रूप में चॉकलेट बनाने शुरू कर दिए, उनसे जब पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि वो शिर्डी साईं बाबा का अवतार हैं, जिसके बाद उन्होंने अपने नाम के आगे साईं लगाया.

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प्रसिद्ध थे अपने चमत्कारों के लिए

सत्य साई को उनके चमत्कारों की वजह से सुपरह्यूमन कहा जाता था, ऐसा कहा जाता था कि वो बीमार को ठीक कर देते थे. वे लोगों के बीच सनातन धर्म की नाजुक अवधारणाओं का प्रचार करने में बहुत सफल रहे हैं. समाज में उनका योगदान बहुत बड़ा है क्योंकि उन्होंने मुफ्त अस्पताल, क्लीनिक, पेयजल परियोजनाएं, ऑडिटोरियम, आश्रम और स्कूल बनवाए. 1944 में सत्य साईं बाबा ने पुट्टपर्थी गांव के लोगों के लिए एक मंदिर बनाया. 1954 में सत्य साईं बाबा ने पुट्टपर्थी गांव में छोटा सा मुफ्त अस्पताल भी बनवाया.

1963 में कहा था कर्नाटक में प्रेमा साईं बाबा के रूप में लेंगे पुनर्जन्म

1963 में सत्य साईं बाबा को 4 गंभीर दिल का दौरा पड़ा था, ठीक होने के बाद सत्य साईं ने एक प्रवचन दिया, जिसमें कहा गया कि वह पड़ोसी राज्य कर्नाटक में प्रेमा साईं बाबा के रूप में पुनर्जन्म लेंगे.

14 साल की उम्र में खुद को बताया था साईं बाबा का अवतार

चौदह साल की उम्र में उन्होंने अपने माता पिता को बताया कि वे शिरडी के साईं बाबा के अवतार हैं. बाद में उन्होंने अपने अनुयायियों को दावा किया वो भगवान का अवतार है और इस पर विश्वास करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया. सत्य साईं बाबा की विभूति और अन्य छोटी वस्तुएं जैसे कि अंगूठी, हार और घड़ियां, दोनों ही प्रसिद्धि और विवाद का एक स्रोत थे.

साल 2004 में उनके खराब स्वस्थ्य की वजह से उन्हें व्हीलचेयर का इस्तेमाल करने पर मजबूर होना पड़ा. मार्च 2011 में सत्य साईं बाबा को सांस संबंधी समस्याओं के बाद पुट्टपर्थी के शांतिग्राम श्री सत्य साईं सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया. अस्पताल में भर्ती होने के लगभग एक महीने के बाद लगातार उनकी हालत बिगड़ने लगी. 24 अप्रैल, 2011 में 85 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई.

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