अजमेर शरीफ उर्स 2019: ख्वाजा गरीब नवाज के दर पर हर मुराद होती है पूरी, देश-विदेश से लोग देते हैं हाजरी

सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के दर पर जो भी जाता है, वो खाली हाथ वापस नहीं आता है. लोग यहां रोते हुए आते हैं और हंसते हुए जाते हैं. ख्वाजा के दर पर देश विदेश से लोग मन्नतें मांगने आते हैं और अपनी खाली झोली भरकर जाते हैं...

अजमेर शरीफ दरगाह, (फाइल फोटो)

सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के दर पर जो भी जाता है, वो खाली हाथ वापस नहीं आता है. लोग यहां रोते हुए आते हैं और हंसते हुए जाते हैं. ख्वाजा के दर पर देश विदेश से लोग मन्नतें मांगने आते हैं और अपनी खाली झोली भरकर जाते हैं. इनकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है. हर साल उर्स के मौके यहां करोड़ों लोगों का जमावड़ा लगता है.

कुछ ही दिनों में अजमेर शरीफ में उर्स की शुरुआत होने वाली है. 3 मार्च को ख्वाजा गरीब नवाज के दर पर उर्स का झंडा लहराया गया. इस रस्म के साथ ही 807 वें उर्स की तैयारियां शुरू हो गईं. बैंड बाजे के साथ उर्स के झंडे को लाया गया और 25 तोपों की सलामी के बाद झंडे को लहराया गया. उर्स की शुरुआत रजब का चांद देखने के बाद 7 मार्च से हो जाएगी.

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उर्स का झंडा फहराने से पहले सूफी संतों ने 'भर दो झोली मेरी या मुहम्मद' के ताल पर गाया. कई कव्वालियों ने ख्वाजा गरीब नवाज की शान में नजराने पेश किए. उस वक्त दरगाह का पूरा इलाका लोगों के हुजूम से भरा पड़ा था. हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर पीएम मोदी, बराक ओबामा से लेकर बॉलीवुड के बडे़ बडे़ एक्‍टर्स भी मन्‍नत मांगने और चादर चढ़ाने आते हैं. अजमेर शरीफ में सूफी संत मोईनुद्दीन चिश्ती की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में उर्स के रूप में 6 दिन का वार्षिक उत्सव रखा जाता है.

7 मार्च को चांद रात है. पुरानी परंपरा के अनुसार सुबह 4.30 जन्नत का दरवाजा खोल दिया जाएगा. हिजरी संवत के रजब महीने का चांद दिखाई देने पर रात से ही उर्स की रस्मों का आगाज हो जाएगा. चांद दिखाई नहीं देने पर उर्स की विधिवत शुरुआत 8 मार्च की रात से होगी.

युग बीते, सदियां बीतीं, जिंदगी रोज नई करवटें ले रही है. कहीं न कहीं सच और अच्छाई इस धरती पर जिंदा है, जो ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह अजमेर शरीफ की हिफाजत कर रही है.

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