पितृपक्ष, 2021 प्रारंभ हो चुका है. पितरों को सम्मानित करने वाले इस महा पखवारे का सनातन धर्म में बहुत ज्यादा महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन मास प्रारंभ होने के साथ ही श्राद्धपक्ष शुरु हो जाता है. इस बार 21 सितंबर से श्राद्ध शुरू हो रहा है, इसे पितृपक्ष के नाम से भी जाना जाता है. इस पूरे पख़वारे में पितरों की आत्मा की शांति के लिए तिथिवार तर्पण और श्राद्धकर्म किये जाने का विशेष विधान है. इस दरम्यान पंचबली भोग की विशेष परम्परा है. यह भी पढ़े: Pitru Paksha 2021: कब शुरु हो रहा है पितृपक्ष? क्या है इसका महात्म्य? जानें श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियां
क्यों कराते हैं पंचबलि भोग?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितरों की तृप्ति के लिए पितृ पक्ष के समय पंचबली भोग आवश्यक होता है. पंचबली भोग नहीं लगाने से पितर नाराज होकर भूखे चले जाते हैं. जिससे उनकी आत्मा अतृप्त रह जाती है. परिणामस्वरूप संतान पितृदोष से पीड़ित रहती है, इसके विपरीत पंचबली भोग लगाने से पितर प्रसन्न होकर अपने वंशजों को अनेकानेक आशीर्वाद देते हैं. उनके आशीर्वाद से उनकी संतानें तमाम शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक दृष्टि से खुशहाल रहता है.
क्या है पंचबली भोग?
धर्म शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि श्रुष्टि निर्मित पांच विशेष प्राणियों को पितृपक्ष में पितरों के नाम निकाला गया श्राद्ध का भोजन कराए जानें का विधान है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष ममे इन्हें भोजन खिलाने से पितर तृप्त हो जाते हैं. कहने का आशय यह कि हमारे पितर इन्ही के रूप में आते हैं. इसीलिए पितृपक्ष के दरम्यान इन्हें सताना या भगाना उचित नहीं होता. ना जानें किस रूप में वे आपके पास आ जाएं.
कौन-कौन हैं पंचबलि
गौ बलि:- हिंदू धर्मांनुसार गौमाता को पितृ पक्ष में पहला भोग खिलाना चाहिए. जब गौ माता को भोग लगाएं तो इस; मंत्र का स्मरण अवश्य करें.
कुक्कुर बलि:- हिंदू शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध के दौरान दूसरा भोग कुक्कुर अर्थात कुत्ते को जरूर खिलाना चाहिए.
काक बलि:- पंचबली में काक अर्थात कौआ को तीसरा भोग लगाया जाता है. इनके द्वारा भोजन करने मात्र से पित्र तृप्त हो जाते हैं.
देव बलि:- देवत्व संवर्धक शक्तियों को पंचबलि का चौथा भोग लगाने का विधान है. उनके विकल्प के रूप में ये भोग किसी कुंवारी कन्या को खिलाना जाता है, अगर कन्या उपलब्ध नहीं हो पा रही है तो किसी गाय को भोजन करवा देना चाहिए.
पिपीलिकादि बलि- पंचबली का पांचवां भोग चीटियों को लगाना चाहिए. इससे भी विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है, और पितर आपसे प्रसन्न होते हैं.