हर साल श्राद्धपक्ष के दौरान पितरों के आत्मा की शांति और प्रसन्नता के लिए श्राद्धकर्म किए जाते हैं. पितृपक्ष हर साल भाद्रपद के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा से प्रारंभ होता है और अश्विन मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या को इसका समापन किया जाता है. श्राद्धपक्ष के दौरान पूरे 16 दिनों तक लोग अपने पितरों को जल देते हैं तथा उनकी मृत्यु की तिथि पर श्राद्धकर्म के द्वारा पितरों का ऋण चुकाया जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, इस साल पितृपक्ष अमावस्या 8 अक्टूबर को सोमवार के दिन है. इस बार सर्वपितृ अमावस्या के दिन ही सोमवती अमावस्या का महासंयोग भी बन रहा है, जो बहुत ही शुभ है.
दरअसल, जिन लोगों को अपने पितरों के देहावसान की तिथि मालूम नहीं है, उन लोगों को सर्वपितृ अमावस्या के दिन अपने पितरों का श्राद्ध करना चाहिए और इसी दिन पितरों को विदाई भी दी जाती है.
क्या है इसका महत्व?
सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितृपक्ष का समापन होता है और पितरों को विदाई दी जाती है. इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है जिनके देहावसान की तिथि मालूम नहीं होती है. अमावस्या के दिन श्राद्धकर्म करने के पीछे मान्यता है कि इस दिन पितरों के नाम से धूप देने पर मानसिक व शारीरिक शांति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि आती है. हालांकि हर महीने की अमावस्या को पितरों के निमित्त पिंडदान किया जा सकता है, लेकिन अश्विन मास की अमावस्या का महत्व ही कुछ और होता है. पितृ अमावस्या होने की वजह से इसे पितृ विसर्जनी अमावस्या या महालय भी कहा जाता है. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, किसी पंडित या किसी गरीब को महालय के दिन दान करने से जीवन में आने वाले सारे संकट कट जाते हैं. यह भी पढ़ें: Pitru Paksha 2018: भारत के इस तीर्थ स्थल पर माता सीता ने किया था राजा दशरथ का पिंडदान
कैसे करें पितरों की विदाई?
सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए विधिवत उपाय व पूजा की जाती है. इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भोजन बनाना चाहिए और पकाए गए भोजन से पंचबलि यानी गाय, कुत्ते, कौए, देव और चीटिंयों के लिए भोजन का अंश निकालकर उन्हें अर्पित करना चाहिए. इसके बाद किसी ब्राह्मण या किसी गरीब जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन कराना चाहिए. संध्या के समय अपनी क्षमता के अनुसार दो, पांच अथवा सोलह दीप प्रज्जवलित करके पितरों को विदा करना चाहिए और जाने-अंजाने में हुई गलतियों के लिए उनसे क्षमा प्रार्थना करनी चाहिए.
श्राद्ध का मुहूर्त
सर्वपितृ अमावस्या- 8 अक्टूबर 2018 (सोमवार)
अमावस्या प्रारंभ- 8 अक्टूबर 2018 को सुबह 11.31 बजे से,
अमावस्या समाप्ति- 9 अक्टूबर 2018 को सुबह 09.16 बजे तक.
कुतुप मुहूर्त- 11.45 से 12.31 बजे तक.
रोहिण मुहूर्त- 12.31 से 13.17 बजे तक.
अपराह्न काल- 13.17 से 15.36 बजे तक.