क्या बलि प्रथा पर लगाम लगाने के लिए नारियल फोड़ने की परंपरा की हुई शुरुआत, जानें इसकी वास्तविकता
कालांतर में बलि के नाम पर पशु-हत्या जैसी नृशंसता पर अंकुश लगाने के लिए आदि शंकराचार्य ने निर्दोष पशुओं की बलि चढ़ाने के बजाय नारियल फोड़कर बलि की प्रथा पूरी करने का नया चलन शुरू किया. जो आज हर विशेष अवसरों पर देखा जा सकता है.
हिंदू धर्म में नारियल (Coconut) को शुभ फल माना जाता है. इसे 'श्रीफल' भी कहते हैं. 'श्री' अर्थात माता लक्ष्मी. नारियल को देवी लक्ष्मी (Goddess Laxmi) और भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का फल माना जाता है. इसीलिए किसी भी शुभ कार्य को करने से पूर्व नारियल फोड़ने (Coconut Burst) का रिवाज है. हिंदू धर्म में तो मान्यता ही यही है कि बिना नारियल के कोई पूजा पूरी नहीं होती. आखिर क्या खास बात है नारियल में जो हर पूजा-अनुष्ठानों अथवा शुभ अवसर पर इसे शुभता का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है. आइये जानें नारियल के आध्यात्मिक महत्व के बारे में...
हिंदू धर्म में शादी हो या तीज-त्योहार या फिर कोई महत्वपूर्ण पूजा-अनुष्ठान हर मौकों पर नारियल चढ़ाने की पुरानी प्रथा है. नारियल को संस्कृत में ‘श्रीफल’ भी कहते हैं. मान्यता है कि किसी समय हिंदू धर्म में देवी पूजा अथवा मन्नतें पूरी होने के पश्चात में बलि चढ़ाने की परंपरा निभाई जाती थी, लेकिन कालांतर में बलि के नाम पर पशु-हत्या जैसी नृशंसता पर अंकुश लगाने के लिए आदि शंकराचार्य ने निर्दोष पशुओं की बलि चढ़ाने के बजाय नारियल फोड़कर बलि की प्रथा पूरी करने का नया चलन शुरू किया, जो आज हर विशेष अवसरों पर देखा जा सकता है. आदि शंकराचार्य द्वारा शुरू की गयी इस परंपरा के पीछे मुख्य वजह थी निरीह एवं निर्दोष पशुओं की सुरक्षा एवं संरक्षा. आखिर मानव को अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए किसी जानवर की जान लेने का क्या अधिकार हो सकता है.
नारियल फोड़ने का गूढ़ आशय
कुछ नामचीन धर्माचार्यों के अनुसार नारियल का इस्तेमाल आदि वैदिक काल से हो रहा है. नारियल फोड़ने से पूर्व हम नारियल की जटाएं हटाते हैं, वास्तव में ये जटाएं हमारी इच्छाएं स्वरूप होती हैं. फिर नारियल के कठोर हिस्से को तोड़ते है. इसका आशय अपने भीतर के अहंकार को तोड़ना अथवा मिटाना बहुत जरूरी होता है. परिणाम स्वरूप जो पानी निकलता है, वास्तव में वह हमारे भीतर के नकारात्मक विचारों जैसा होता है. जिनके बह जाने के बाद अंत में जो श्वेत एवं स्वच्छ गरी निकलती है, उसे आत्मा का प्रतीक माना जाता है. कहने का आशय यह कि बिना इच्छा अथवा कामना, अहंकार एवं नकारात्मक सोच को हटाए बिना हम ईश्वर को प्राप्त नहीं कर सकते. इसी प्रतीक स्वरूप भगवान को खुश करने के लिए नारियल फोड़ा जाता है. यह भी पढ़ें: रक्षासूत्र में होती है गजब की आध्यात्मिक शक्ति, जानें कलाई पर मौली बांधने से जुड़े खास नियम
नारियल ही क्यों
दरअसल, नारियल काफी सख्त आवरण से ढका होता है और पृथ्वी से काफी ऊंचाई पर होता है इसलिए यह बाहरी प्रदूषण से सुरक्षित रहता है. यह भीतर से निर्मल, श्वेत एवं पवित्र होता है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सफेद और जलवाले स्थानों पर चंद्रमा का वास होता है. चन्द्रमा मन का कारक ग्रह है. किसी कार्य में सफलता के लिए मन का शांत होना जरूरी है. वास्तुशास्त्रियों का यह भी मानना है कि जलीय जीवों और जल युक्त वस्तुओं से किसी भी प्रकार का वास्तु दोष दूर होता है.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.