बिहार स्थित गया प्राचीन काल से ही लोगों की धार्मिक आस्था का केंद्र रहा है. इस धार्मिक स्थल पर हिंदू धर्म के लोगों के साथ-साथ बौद्ध धर्म के लोग भी भारी तादात में आते हैं. पितृपक्ष में गया का महत्व और भी बढ़ जाता है. पितृपक्ष के दौरान हिंदू धर्म के अधिकांश लोग अपने पितरों की आत्मा को मुक्ति दिलाने के लिए पिंडदान, तर्पण जैसे श्राद्धकर्म करने के लिए गया आते हैं. मान्यता है कि गया में पिंडदान करने से पितरों को जन्म-मृत्यु के बंधन से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाती है. कई पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में भी पिंडदान और श्राद्ध का महत्व बताया गया है.
अगर आप भी अपने पितरों की मुक्ति के लिए गया में श्राद्धकर्म कराने के लिए जाने की सोच रहे हैं तो इससे पहले आपको इससे जुड़ी कुछ जरूरी बातें जान लेनी चाहिए, ताकि आपको वहां जाने के बाद किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े.
कहां कराएं पिंडदान?
वैसे तो गया में कई सारे भारत सेवा आश्रम, बंगाली सेवा आश्रम जैसे कई आश्रम हैं जहां से आप पिंडदान और श्राद्ध कर्म करवा सकते हैं. हालांकि इसके लिए आपको पहले से ही वहां सूचित करना होगा. आप चाहें तो किसी होटल से भी पिंडदान के लिए किसी पंडित को बुक कर सकते हैं. यह भी पढ़ें: भारत के इन तीर्थ स्थलों पर करें पिंडदान, जन्म-मृत्यु के बंधन से पितरों को मिलेगी मुक्ति
गया में कहां ठहरें?
बिहार के गया में आने वाले लोगों के लिए ठहरने के कई विकल्प मौजूद हैं. आप चाहें तो किसी अच्छे होटल में ठहर सकते हैं या फिर अपने बजट के अनुसार किसी गेस्ट हाउस में. इसके अलावा यहां कई मठ हैं जहां ठहरने की सुविधा उपलब्ध है. हालांकि सीजन के दौरान यहां आपको अपने ठहरने के लिए जगह तलाशने में थोड़ी दिक्कत हो सकती है, इसलिए इसकी प्लानिंग पहले से ही करना बेहतर है.
इन जगहों का करें दीदार
गया में श्राद्धकर्म करने के लिए अगर आप जा रहे हैं तो हम आपको बता दें कि गया में कई ऐसी चीजें हैं जिनका दीदार आपको जरूर करना चाहिए. गया के बोधिवृक्ष को आप देखने जा सकते हैं, जिस स्थान से गौतम बुद्ध ने उपदेश दिया था. इसके अलावा आप महाबोधि मंदिर भी जा सकते हैं.
मंदिरों के करें दर्शन
बोधगया महात्मा बुद्ध की तपोभूमि है, इसलिए इस धर्म को मानने वाले कई देशों के अनुयायी यहां आते हैं और कई अनुयायियों ने अपनी-अपनी शैली में यहां कई मंदिरों के निर्माण कराएं हैं. इन मंदिरों के दर्शन करके आप गौतम बुद्ध के विचारों और बौद्ध धर्म को करीब से जान सकते हैं. यह भी पढ़ें: Pitru paksha 2018: किसी की मृत्यु के बाद घर में गरुड़ पुराण का पाठ कराना क्यों होता है जरूरी?
नालंदा यूनिवर्सिटी जरूर जाएं
पिंडदान और श्राद्धकर्म संपन्न कराने के बाद आप बोधगया के आर्कियोलॉजी म्यूजियम जा सकते हैं. इसके अलावा बिहार के गौरवशाली इतिहास को जानने के लिए बोधगया से 70 किलोमीटर दूर नालंदा जरूर जाएं.
इन बातों का रखें ख्याल
अगर आप गया में पिंडदान करवाने के लिए जा रहे हैं तो आपको यहां कई लोग मिलेंगे जो पूजा करवाने के बदले आपसे ज्यादा पैसों की डिमांड कर सकते हैं, लेकिन पूजा कराने से पहले उन्हें आप अपना बजट बता दें.