सनातन धर्म एवं तमाम पौराणिक कथाओं में पूर्णिमा व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. साल में कुल 12 पूर्णिमाएं होती हैं. अधिमास में इसकी संख्या 13 हो जाती है. कार्तिक मास (Kartik Month) की पूर्णिमा को ‘त्रिपुरी पूर्णिमा’ (Tripuri Purnima) भी कहते हैं. मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव (Lord Shiva) ने त्रिपुरासुर नामक दैत्य का संहार किया था. इसीलिए उन्हें ‘त्रिपुरासुर (Tripurasur)’ के नाम से भी पुकारा जाता है.
त्रिपुरासुर के वध की खुशी में देवताओं ने इसी दिन दीपावली मनाई थी, जिसे देव दीवाली कहते हैं और यह परंपरा आज भी जारी है. प्रख्यात ज्योतिषविदों का मानना है कि कार्तिक पूर्णिमा सभी पूर्णिमाओं में सर्वश्रेष्ठ होती है. लेकिन इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बनने के कारण इसका महत्व द्विगुणित हो गया है. आइये जानें इस पर्व विशेष पर बनने वाले सर्वार्थ सिद्धि योग से क्या खास प्रभाव पड़ने की संभावना है.
कार्तिक पूर्णिमा का महात्म्य
भारतीय संस्कृति में कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक एवं आध्यात्मिक महात्म्य है. आज के ही दिन काशी में ‘देव दीवाली’ भी बड़े धूमधाम से मनायी जाती है. गंगा में दीपदान के बाद गंगा आरती की दिव्य छटा किसी को भी मंत्रमुग्ध कर देती है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव का दर्शन एवं पूजन-अर्चना करने से सात जन्म तक जातक ज्ञानी और धनवान बना रहता है.
क्या है शुभ योग
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जिसमें स्नान-दान का महत्व एवं फल बढ़ जाएंगे. वैसे भी वेद पुराणों में कार्तिक मास की पूर्णिमा का खास महत्व बताया गया है. इस बार तो इसका महत्व ग्रह और नक्षत्र के अनुसार और भी बढ़ गया है. इस बार कार्तिक पूर्णिमा 12 नवंबर को मंगलवार के दिन भरणी नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ ग्रह-गोचरों के शुभ संयोग में मनाई जाएगी.
दीप-दान से दस यज्ञों की पुण्य प्राप्त होती है
ज्योतिषियों के पूर्णिमा के दिन गंगा अथवा किसी पवित्र नदी में स्नान-ध्यान के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराने और दान-दक्षिणा देने से जीवन भर के पापों से मुक्ति मिलती है, साथ ही श्रीहरि की विशेष कृपा बरसती है, एवं घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है. कहा तो यह भी जाता है कि गंगा स्नान के बाद दीप-दान करने से दस यज्ञों के समान पुण्य की प्राप्ति होती है.
विष्णु पुराण के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु पहला अवतार मत्स्य अवतार के रूप में अवतरित हुए थे. मान्यता है कि इस दिन अखण्ड दीप-दान करने से दिव्य कान्ति की प्राप्ति होती है, स्वास्थ्य अच्छा रहता है. जातक को धन, यश, कीर्ति में खूब लाभ होता है.
कार्तिक पूर्णिमा की तिथि (12 नवंबर 2019) और शुभ मुहूर्त
*पूर्णिमा प्रारंभ: सायं 06.02 मिनट से (11 नवंबर)
*पूर्णिमा समाप्तः सायं 07.04 मिनट तक (12 नवंबर)
पारंपरिक कथा
एक बार त्रिपुरासुर नामक दैत्य ने प्रयागराज में कड़ी तपस्या कर ब्रह्मा जी से यह वरदान प्राप्त कर लिया कि देव, देवी, किन्नर, मनुष्य, पशु, पक्षी, ऋषि-मुनि यहां तक कि दैत्य भी उसे जान से नहीं मार सके. वरदान पाते ही वह निरंकुश हो त्रैलोक भर में अत्याचार करने लगा. शक्ति के मद में चूर उसने स्वर्गलोक से देवताओं को भगाकर उस पर कब्जा कर लिया.
तब सभी देवतागण त्राहिमाम-त्राहिमाम करते हुए भगवान शिव के पास पहुंचे. उन्हें ज्ञात था कि त्रिपुरासुर को ब्रह्मा के वरदान के कारण कोई उसका वध नहीं कर सकता था. अंततः भगवान शिव ने अर्धनारीश्वर बनकर त्रिपुरासुर को ललकारा और अपने त्रिशूल से उसका संहार कर दिया. कहा जाता है कि उस दिन कार्तिक पूर्णिमा के प्रदोष काल का ही दिन था.