ब्राह्मण और गुरुजन क्यों रखते हैं अपने सिर पर शिखा, जानिए इसके 10 कारण
मस्तिष्क को सुचारू और क्रियाशील बनाए रखने के लिए सुषुम्ना नाड़ी के ताप को नियंत्रित रखना बेहद जरूरी होता है और शिखा न हो तो यह नामुमकिन हो जाता है. ऐसे में सिर पर शिखा रखकर आसानी से ताप को नियंत्रित किया जा सकता है.
प्राचीन काल से ही हमारे देश में ब्राह्मण (Brahmins) और गुरुजन अपने सिर पर शिखा (Shikha) रखते आ रहे हैं. आपने कई पौराणिक कथाओं में भी यह सुना ही होगा कि ब्राह्मण और गुरुजन हमेशा अपने सिर पर चोटी (Crest) रखते थे. दरअसल, हिंदू धर्म में शिखा (चोटी) रखने की परंपरा को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. अगर आप यह सोचते हैं कि शिखा महज एक परंपरा और हिंदू धर्म की पहचान का प्रतीक है तो आप बिल्कुल गलत हैं, क्योंकि सिर पर शिखा रखने के कई वैज्ञानिक कारण (Scientific Reason) बताए गए हैं.
यही वजह है कि आज के दौर में भी ब्राह्मण वर्ग के कई पुरुष अपने सिर पर शिखा यानी चोटी रखते हैं. चलिए जानते हैं सिर पर चोटी रखने के 10 कारण.
1- ब्राह्मणों के सिर पर शिखा रखने का सबसे बड़ा कारण सुषुम्ना नाड़ी को बताया जाता है. यह नाड़ी शिखा के ठीक नीचे मौजूद होती है. इसे कपाल तंत्र की दूसरी खुली जगहों के मुकाबले ज्यादा संवेदनशील माना जाता है. इसके लिए शिखा को रखना आवश्यक माना जाता है. यह भी पढ़ें: क्या आप जानते हैं हिंदू धर्म में होती है कुल 8 तरह की शादियां, जानिए सबका महत्व
2- मस्तिष्क को सुचारू और क्रियाशील बनाए रखने के लिए सुषुम्ना नाड़ी के ताप को नियंत्रित रखना बेहद जरूरी होता है, लेकिन शिखा न हो तो यह नामुमकिन हो जाता है. ऐसे में सिर पर शिखा रखकर आसानी से ताप को नियंत्रित किया जा सकता है.
3- ब्राह्मण जब अपने छोटे बच्चों को दीक्षा देते हैं या फिर उन्हें संस्कारित करते हैं तब उनके सिर के सारे बाल उतरवा दिए जाते हैं और सिर्फ शिखा छोड़ दी जाती है. कहा जाता है कि ये बच्चे साधना से पहले अपनी शिखा को पकड़कर उसे घुमाते, मोड़ते और खींचते हैं ताकि इससे उनका ध्यान सही तरीके से केंद्रित हो सके.
4- मान्यता है कि ब्राह्मण साधना में बैठने से पहले हर रोज अपनी शिखा को खींचते हैं और चुटिया को खींचकर, कसकर बांधते हैं. माना जाता है कि इस तरह से उनकी साधना अच्छे से संपन्न होती है और परमात्मा के प्रति उनका ध्यान बेहतर तरीके से केंद्रित हो पाता है.
5- इस बात से बहुत कम लोग ही वाकिफ हैं कि सिर के जिस भाग में शिखा होती है वह स्थान बौद्धिक क्षमता, बुद्धिमता और शरीर के अन्य अंगों को भी नियंत्रित करता है. सिर पर शिखा होने से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली सुचारू रूप से चलती है.
6- कहा जाता है कि शरीर के पांच चक्र होते हैं, जिसमें एक सहस्त्रार चक्र है, जो सिर के बीचों-बीच मौजूद होता है. इस स्थान पर चोटी यानी शिखा रखने से यह चक्र जागृत हो जाता है. इससे बुद्धि और मन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है.
7- सिर पर शिखा रखना सेहत के लिए भी फायदेमंद माना जाता है. कहा जाता है कि सिर पर चोटी रखने और उसे कसकर बांधने से मस्तिष्क पर दबाव बनता है और मस्तिष्क में रक्त का संचार बेहतर तरीके से होता है.
8- सिर पर शिखा रखने से व्यक्ति सभी योगासन सही तरीके से कर पाता है. इससे आंखों की रोशनी भी लंबे समय तक सही सलामत रहती है और व्यक्ति लंबे समय तक निरोगी रहकर शारीरिक रूप से सक्रिय रहता है. यह भी पढ़ें: गुजरात: 800 साल पुराने इस हिंदू मंदिर में होती है मुस्लिम महिला की पूजा, वजह जानकर आप भी रह जाएंगे दंग
9- आधुनिकता के इस दौर में लोग सिर पर शिखा रखने से कतराने लगे हैं. इसे अधिकांश लोग रूढ़िवादिता की पहचान मानते हैं, लेकिन इसे प्राचीन काल से ही वैज्ञानिक नजरिए से महत्वपूर्ण माना जाता रहा है.
10- मॉडर्न दौर में भले ही लोग शिखा रखने से कतराने लगे हैं, लेकिन बहुत से ब्राह्मण ऐसे भी हैं जो अपने सिर पर नाम मात्र के लिए छोटी सी चोटी रख लेते हैं. हालांकि शास्त्रों में इस बात का जिक्र किया गया है कि शिखा की लंबाई और आकार गाय के पैर के नाखून के बराबर जरूर होनी चाहिए.
बहरहाल, ऐसा भी कहा जाता है कि मौत के समय आत्मा शरीर के 10 द्वार से निकलती है और दसवां द्वार शिखा ही होता है. मान्यता है कि जिस व्यक्ति के प्राण इस चक्र से निकलते हैं, उसकी मुक्ति निश्चित होती है.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.