Rabindranath Tagore Death Anniversary 2020: गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर की पुण्यतिथि पर पढ़ें उनके ये 10 अनमोल विचार, आज भी प्रेरणा देती हैं उनकी ये बातें
रबींद्रनाथ टैगोर (Photo Credit: Wikimedia Commons)

Rabindranath Tagore Death Anniversary 2020: गीतांजलि के रचयिता और भारतीय साहित्य को पूरी दुनिया में ख्याति दिलाने वाले साहित्यकार, कवि रबींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) की आज पुण्यतिथि है. रबींद्रनाथ टैगोर ने अपनी लेखनी के बलबूते भारत समेत पूरी दुनिया में नाम कमाया. अपनी लेखनी के दम पर ही वे नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) को पाने में कामयाब रहे थे. वे पहले ऐसे व्यक्ति थे जो यूरोपीय नहीं थे और साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया था. वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. रबींद्रनाथ टैगोर को 'गुरुदेव' नाम से भी पुकारा जाता है.

'गुरुदेव' रबींद्रनाथ टैगोर से आज के समय में समूचा विश्व परिचित है. 7 मई 1861 को रबीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हुआ था. गीतांजलि के लिए उन्हें 1913 में नोबेल पुरस्कार मिला था. रविंद्रनाथ टैगोर की कविताएं गेय होती थीं अर्थात आप उन्हें गा सकते हैं.

बचपन से ही साहित्य में रुचि रखने वाले टैगोर ने महज 8 साल की उम्र में अपनी पहली कविता लिखी थी. 1877 में जब वे 16 साल के थे, तब उनकी पहली लघुकथा प्रकाशित हुई थी. उनकी पुण्यतिथि पर जानते हैं रबींद्रनाथ टैगोर के दिल को छू लेने वाले और प्रेरणा देने वाले 10 अनमोल विचार.

  1. मैं एक आशावादी व्यक्ति हूं, अगर मैं एक दरवाजे से नहीं जा पाया तो दूसरे से जाऊंगा या फिर एक नया दरवाजा बनाऊंगा. वर्तमान चाहे कितना ही अंधकारमय क्यों न हो कोशिश करेंगे तो कुछ शानदार सामने आएगा.
  2. प्रेम चाहे किसी से भी हो, वो कभी अधिकार का दावा नहीं करता, क्योंकि प्रेम स्वतंत्रता देता है.
  3. बर्तन में रखा पानी चमकता है, जबकि समुद्र का पानी अस्पष्ट होता है. लघु सत्य स्पष्ट शब्दों में बताया जा सकता है, जबकि महान सत्य हमेशा मौन रहता है.
  4. तथ्य कई हैं पर सत्य एक है. अगर आप सभी गलतियों के लिए दरवाजे बंद करेंगे तो सच बाहर ही रह जाएगा.
  5. जो कुछ भी हमारा है वह स्वयं हम तक चलकर आता है, अगर हम उसे ग्रहण करने की क्षमता रखते हैं.
  6. हर एक कठिनाई जिससे आप मुंह मोड़ लेते हैं, वो आगे एक भूत बनकर आपकी नींद में बाधा डालेगी.
  7. नदी के किनारे खड़े होकर सिर्फ पानी को देखने से आप नदी पार नहीं कर सकते, इसके लिए आपको उसके भीतर जाना होगा.
  8. हमें यह प्रार्थना नहीं करनी चाहिए कि हम पर परेशानियां न आएं, बल्कि यह प्रार्थना करें कि हम उनका सामना निडर होकर करें.
  9. आस्था वह पक्षी है जो रात के अंधकार में भी सुबह के उजाले को महसूस करता है.
  10. जो कुछ भी हमारा है वह स्वयं हम तक चलकर आता है, अगर हम उसे ग्रहण करने की क्षमता रखते हैं.

रबींद्रनाथ टैगोर के विचार की भी आज के समय में बहुत आवश्यकता है. ये आज भी उतनी ही प्रेरणा देते हैं. रबींद्रनाथ टैगोर ने अपनी कलम से दो देशों को अपने राष्ट्रगान दिए. भारत के राष्ट्रगान जन-मन-गण और पड़ोसी देश बांग्लादेश के राष्ट्रगान अमार शोनार बांग्ला के रचयिता  रबींद्रनाथ टैगोर ही है.

एक साहित्यकार होने के साथ-साथ वे महान क्रांतिकारी भी थे. उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत का विरोध करते हुए अपनी 'नाइट हुड' की उपाधि वापस लौटा दी थी. उन्हें साल 1915 में ब्रिटिश प्रशासन की ओर से 'नाइट हुड' की उपाधि दी थी. उस दौरान जिस शख्स के पास नाइट हुड की उपाधि होती थी, उसके नाम के साथ सर लगाया जाता था. इस उपाधि को लौटाने की सबसे बड़ी वजह विश्व के सबसे बड़े नरसंहारों में से एक जलियावाला बाग हत्याकांड था.