Lokmanya Tilak Jayanti 2024: ‘स्वराज हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है और हम इसे लेकर रहेंगे.’ जैसे जोशपूर्ण नारा बुलंद करने वाले लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक स्वतंत्रता संग्राम के एक आक्रामक नेता थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता के लिए विभिन्न आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. तिलक महज क्रांतिकारी लीडर ही नहीं बल्कि भारतीय राष्ट्रवादी शिक्षक और समाज सुधारक भी थे. तिलक की 168 वीं जयंती के अवसर पर आइये जानते हैं, तिलक के बचपन, शिक्षा और राजनीतिक संघर्ष के संदर्भ में कुछ अनछुए पहलू...
बचपन और शिक्षा:
बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई, 1856 को महाराष्ट्र के चिखली गांव में चित्पावन ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता गंगाधर तिलक एक संस्कृत टीचर थे. तिलक एक मेधावी छात्र थे. 10 वर्ष की आयु में वह अपने पिता के साथ रत्नागिरी आ गये. पूना (पुणे) में कुछ समय के अंतराल पर उनके माता-पिता का निधन हो गया.
उन्होंने अपने शैक्षणिक करियर के दौरान कई शैक्षणिक प्रशंसाएं अर्जित की. 1879 में बॉम्बे विश्वविद्यालय (अब मुंबई) से लॉ की डिग्री प्राप्त की. उन्होंने डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी (1884) की स्थापना के बाद संस्था को एक यूनिवर्सिटी के रूप में विकसित किया. ये भी पढ़े :Guru Purnima 2024 Date: क्यों मनाया जाता है गुरु पूर्णिमा का पर्व? जानें इसका महत्व एवं इससे जुड़ी पौराणिक कथा!
राजनीतिक सफरः
ब्रिटिश हुकूमत की तानाशाही के खिलाफ संघर्ष के इरादे से बाल गंगाधर तिलक ने 1890 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ज्वाइन कर लिया. 1897 में तिलक पर अपने भाषण के द्वारा अशांति फैलाने और सरकार विरोधी बोलने के लिए चार्जशीट फाइल हुई. इस कारण तिलक को जेल जाना पढ़ा. डेढ़ साल बाद 1898 में वह बाहर आये.
ब्रिटिश सरकार उन्हें ‘भारतीय अशांति के पिता’ कहकर संबोधित करती थी. जेल में रहने के दौरान देशवासी उन्हें ‘महान हीरो’ कहकर बुलाते थे. जेल से आने के बाद तिलक ने स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत की. उन्होंने अपने घर के सामने एक बड़ा स्वदेशी मार्केट भी बनाया था. स्वदेशी आन्दोलन के द्वारा वे विदेशी समान का बहिष्कार करते थे. कांग्रेस पार्टी के अंदर गर्मागर्मी बढ़ गई थी, विचारों के मतभेद के कारण कांग्रेस में दो फाड़ नरमपंथी और गरमपंथी हो गया था. यहीं से तीन की तिकड़ी ‘लाल बाल बाल’ नाम से जाने लगी.
तिलक का सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण
तिलक का सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण भारतीय समाज और राजनीति में बहुत महत्वपूर्ण था. वह प्रमुख नेता और विचारक थे, जिनके विचार और कार्य भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा देने में मदद की.
समाज सुधार: तिलक ने समाज सुधार हेतु अपनी शक्ति और संवेदनशीलता का प्रदर्शन किया. उन्होंने सामाजिक विकास हेतु शिक्षा को महत्व दिया और जनता में सामाजिक समरसता को बढ़ावा.
धर्म-समाज की दृष्टि: उनके विचारों में भारतीय समाज के धार्मिक और सामाजिक आधार को मजबूत करने का प्रयास था. उन्होंने वेदांत और पौराणिक साहित्य को जनता के बीच लोकप्रिय बनाने का कार्य किया.
स्वदेशी आंदोलन: तिलक ने भारतीय अर्थव्यवस्था को स्वावलंबी और स्वदेशी बनाने हेतु प्रेरित किया. उन्होंने विदेशी वस्त्र एवं अन्य सामग्री के बहिष्कार का अभियान चलाया.
आर्थिक स्वतंत्रता: तिलक ने भारतीय व्यापारी वर्ग को सक्रिय रूप से संलग्न करने का प्रयास किया. उनकी आर्थिक स्वतंत्रता के पक्ष में प्रेरित किया.
तिलक का निधन
अपने राष्ट्रवादी आंदोलनों के कारण बाल गंगाधर तिलक को भारतीय राष्ट्रवाद के पिता के रूप में जाना जाता है. 1 अगस्त 1920 को बम्बई (मुंबई) में मृत्यु हो गयी. गांधी जी ने उन्हें ‘आधुनिक भारत का निर्माता’ तो पंडित नेहरू ने ‘भारतीय क्रान्ति का जनक’ बताया था.