सनातन धर्म में पौष मास की मकर संक्रांति के दिन गंगा अथवा अन्य पवित्र नदियों में स्नान, ध्यान एवं दान का विशेष महत्व होता है. इस दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं. सूर्य धनु से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इसे मकर संक्रांति कहा जाता है. इस बार मकर संक्रांति की तिथियों को लेकर कुछ दुविधाएं हैं. यहां हमारे ज्योतिषाचार्य पंडित अमित शास्त्री बता रहे हैं कि किस दिन मकर संक्रान्ति मनानी है 14 या 15 जनवरी को? साथ ही विशेष ग्रहों के महासंयोग पर भी हम बात करेंगे.
मकर संक्रान्तिः विभिन्न पंचांगों में विभेद!
पिछले कई सालों के मकर संक्रान्ति की तिथियों पर नजर डालें तो कभी 14 जनवरी तो कभी 15 जनवरी को यह पर्व मनाया गया है. यद्यपि पारंपरिक रूप से इस पर्व की मूल तिथि 14 जनवरी मानी जाती है. बहुत से लोग आज भी इसी दिन मकर संक्रान्ति मनाते हैं. दरअसल ज्योतिषियों के अनुसार सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश के आधार पर मकर संक्रान्ति की तिथि तय होती है. ज्योतिषाचार्य पंडित अमित शास्त्री बताते हैं, -इस बार भी विभिन्न पंचांगों में मकर संक्रान्ति की तिथि को लेकर संशय बना हुआ है, जिसकी वजह से 14 एवं 15 जनवरी दोनों ही दिन मकर संक्रान्ति का योग बन रहा है. उदाहरणार्थ मार्तण्ड शताब्दी पंचांग के अनुसार 14 जनवरी को सूर्य दोपहर 02.43 बजे सूर्य उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. ऐसे में पुण्यकाल दोपहर 02.43 बजे से सांयकाल 05.34 बजे तक मान्य होगा, और मकर संक्रान्ति 14 जनवरी को मनायी जायेगी. लेकिन महावीर पंचांग 14 जनवरी को रात 08.49 बजे सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को दर्शा रहा है. ध्यान रहे कि सूर्यास्त के पश्चात सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो पुण्यकाल अगले दिन मान्य होता है. यानी मकर संक्रान्ति 15 फरवरी को होगी.
इसी तरह शताब्दी पंचांग 14 जनवरी को दोपहर 01.21 बजे, अन्नपूर्णा पंचांग रात 08.18 बजे, हनुमान पंचांग रात 10.19 बजे, हृषिकेश शिवमूर्ति पंचांग रात 08.49 बजे, दैनन्दिनी पंचांग रात 08.49 बजे और महावीर पंचांग रात 08.34 बजे सूर्य के मकर राशि में प्रवेश दर्शा रहे हैं. इन स्थितियों में भी दोनों दिन (14 या 15 जनवरी) मकर संक्रान्ति योग बन रहा है. यह भी पढ़ें : Happy Bhogi 2022 HD Images: भोगी पर इन हिंदी WhatsApp Stickers, Facebook Messages, GIF Greetings, Wallpapers के जरिए दें शुभकामनाएं
महायोगों के मिलन में होगी मकर संक्रान्ति!
मकर संक्रांति के दिन रोहणी नक्षत्र और ब्रह्म योग बन रहा है. यह खास संयोग कई राशियों के लिए शुभकारी साबित होगा. सूर्यदेव के मकर राशि में आने से मकर संक्रांति के दिन 29 वर्ष बाद 3 ग्रहों का महामिलन हो रहा है, जिसमें सूर्य, बुध एवं शनि तीन ग्रहों की युति से त्रिग्रही योग बनेगा. पंडित अमित शास्त्री बताते हैं कि जिनकी कुंडली में सूर्य अथवा शनि का दोष बना हुआ है, तो मकर संक्रान्ति के दिन स्नान के पश्चात सूर्यदेव को जल में लाल पुष्प डालकर अर्पित करने के बाद अन्न अथवा खिचड़ी दान करने से पिता-पुत्र के खराब संबंधों में मिठास घुलती है. सूर्य के अच्छे प्रभाव में होने से यश, ऐश्वर्य, सरकारी पक्ष और पिता से लाभ प्राप्त होता है. इसके साथ ही खरमास समाप्त होगा. 18 जनवरी से मांगलिक कार्य शुरु हो जायेंगे और घरों में शहनाइयां बजने लगेंगी.