Makar Sankranti 2020:  मकर संक्रांति स्नान-ध्यान-दान का पर्व, जानें शुभ मुहूर्त एवं पारंपरिक कथा
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: File Image)
नये वर्ष (2021) के साथ ही साल के पहले पर्व का आगाज 14 जनवरी को मकर संक्रांति के रूप में होने जा रहा है. सनातन धर्म और विशेषकर हिंदू शास्त्र में इस पर्व का बहुत महत्व बताया गया है. इस दिन गंगा अथवा किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान-ध्यान और सूर्य पूजा के साथ दान-पुण्य की विशेष परंपरा का निर्वहन किया जाता है. मकर संक्रांति के दिन गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र समेत कई प्रदेशों में पतंग भी उड़ाने की विशेष प्रथा देखने को मिलती है, जब नीला आकाश रंग-बिरंगे एवं विभिन्न डिजाइनों वाले पतंगों से पटा पड़ा नजर आता है. इस पतंगबाजी का आनंद पुरुष एवं स्त्रियां ही नहीं बल्कि बच्चे एवं बुजुर्ग भी लेते हैं.
मकर संक्रांति की पारंपरिक कथाः
    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पौष शुक्लपक्ष की प्रथमा के दिन भगवान सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव के घर उनसे मिलने जाते हैं. दोनों के बीच मधुर माहौल में बात होती है. चूंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, इसीलिए इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. ऐसी भी मान्यता है कि महाभारत में युद्ध के मैदान में सर शैय्या पर लेटे भीष्म पितामह ने भी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति के दिन का ही चयन किया था. कहते हैं कि इस दिन भगवान सूर्य और शनि देव की संयुक्त रूप से पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
स्नान-दान का पर्वः
मकर संक्रांति का पर्व स्नान एवं दान के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन स्नान करने के पश्चात ब्राह्मणों को तिल-गुड़ का लड्डू एवं उड़द दाल तथा चावल की खिचड़ी दान दिया जाता है. इसके साथ-साथ गरीबों को गरम वस्त्र एवं कंबल दान दिया जाता है. मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन इन वस्तुओं का दान करने से अशुभ परिणामों में कमी आती है, रुके हुए कार्य पूरे होते हैं. घर में सुख एवं समृद्धि आती है.
मकर संक्रांति के दिन स्नान-दान के पश्चात तिल एवं गुड़ के लड्डू खाये जाते हैं. इसके पश्चात चावल एवं उड़द दाल की खिचड़ी खाने की भी परंपरा है. इस दिन हिंदू घरों में तिल एवं गुड़ के विविध व्यंजन बनाये जाते हैं. मकर संक्रांति पर तिल के प्रयोग को वैज्ञानिक तर्कों से भी महत्वपूर्ण माना जाता है.
शुभ मुहूर्तः
मकर संक्रांति पर्व (14 जनवरी, गुरुवार) का शुभ महूर्तः
प्रातःकाल 08.30 से प्रारंभ होकर सांयकाल 04:46 तक