Maharana Pratap Punyatithi 2025: राणा प्रताप अपने चेतक पर हाथी का चेहरा क्यों लगाते थे, जानें उनके बारे में ऐसे रोचक तथ्य!

7 फीट 5 इंच लंबे, 110 किलो वजन, 81 किलो का भारी-भरकम भाला और छाती पर 72 किलो वजन का कवच. ऐसा था शौर्य, साहस और बहादुरी के प्रतीक महाराणा प्रताप सिंह का विशाल व्यक्तित्व.

Maharana Pratap Punyatithi 2025 (img: file photo)

7 फीट 5 इंच लंबे, 110 किलो वजन, 81 किलो का भारी-भरकम भाला और छाती पर 72 किलो वजन का कवच. ऐसा था शौर्य, साहस और बहादुरी के प्रतीक महाराणा प्रताप सिंह का विशाल व्यक्तित्व. जिनकी बहादुरी और युद्ध-कौशल से मित्र ही नहीं, उनके शत्रु भी कायल थे. मुगल शासक अकबर 30 सालों तक निरंतर कोशिशों के बावजूद महाराणा प्रताप को ना मार सका और ना ही बंदी बना सका था. महाराणा प्रताप सिंह की 428 वीं पुण्य-तिथि (19 जनवरी 1597) के अवसर पर, आइये जानते हैं, इस धुरंधर योद्धा के बारे में कुछ रोचक बातें...

मां ने दिया अस्त्र-शस्त्र का प्रशिक्षणः महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 में कुंभलगढ़ (राजस्थान) में राजघराने में हुआ था. पिता उदय सिंह ज्यादातर युद्ध क्षेत्र में रहते थे, लिहाजा प्रताप को बाल्यकाल से ही माँ जयवंता बाई ने अस्त्र-शस्त्र का प्रशिक्षण दिया.

32 वर्ष की आयु में युद्ध का संचालनः पिता उदय सिंह द्वितीय की मृत्यु के समय प्रताप की उम्र 32 वर्ष की थी. पिता की मृत्यु के बाद राणा प्रताप को मेवाड़ का राजा बनाया गया. सत्ता संभालते ही उन्हें अकबर के अधीन शक्तिशाली सामंतों के खिलाफ तलवार उठाना पड़ा. दुर्जेय अकबर की सेना से उन्हें कई बार युद्ध करना पड़ा.

25 वर्षों तक मेवाड़ पर शासनः राजपूत महाराणा प्रताप ने साल 1572 से 1597 तक मेवाड़ा के शासक रहे, और स्वतंत्र मेवाड़ के संकल्प के तहत इन 25 सालों में वह ज्यादातर युद्ध क्षेत्र में ही रहे. इन युद्धों में उन्होंने छोटे-मोटे सुबेदारों से तो लोहा लिया ही, मगर उनका मुख्य शत्रु अकबर था, जिसकी नजर हमेशा फलते-फूलत् मेवाड़ पर रहती थी.

11 पत्नियां और पुत्रों का विशाल परिवारः महाराणा प्रताप की कुल 11 विवाहित पत्नियां थीं. उनकी पहली पत्नी बिजोलिया की महारानी अजबदे कुंवर थीं. अपनी सुंदरता और बुद्धिमता के लिए वह पूरे मेवाड़ में प्रसिद्ध थीं. उन्हीं का बेटा अमर सिंह था. अमर सिंह के अलावा महाराणा प्रताप के 17 बेटे और 5 बेटियां थी.

महाराणा प्रताप का प्रिय घोड़ा चेतकः महाराणा प्रताप अपने घोड़े चेतक को अपनी जान से ज्यादा प्यार करते थे. उसकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वह युद्ध क्षेत्र में चेतक पर हाथी का मुखौटा लगाते थे. एक युद्ध में चेतक का एक पांव कट गया, लेकिन अपने मालिक की रक्षा के लिए 5 किमी तक दौड़ता रहा. अंत में महाराणा प्रताप को दुश्मन से बचाने के प्रयास में एक गहरे नाले को छलांग लगाकर पार किया. उसने अपनी जान की बाजी लगाकर राणा प्रताप को बचाने में सफल रहा.

हल्दीघाटी का वह खौफनाक मंजरः महाराणा प्रताप का मुगलों के खिलाफ सबसे बड़ा हल्दीघाटी युद्ध था. 18 जून 1576 को संकीर्ण पहाड़ी दर्रों के जोखिम भरे इलाके में हुए इस युद्ध में महाराणा अपने 20 हजार रणबाकुरों के साथ अकबर के 85 हजार अत्याधुनिक शस्त्रों से लैस मुगल सैनिकों से भिड़ गये थे. तीन घंटे के इस युद्ध में 50 हजार सैनिकों को मार गिराया. कूटनीति रूप से इस युद्ध में अकबर के विजय की बात कही जाती है, लेकिन चेतक की होशियारी से राणा प्रताप मुगलों से बचकर निकलने में सफल रहे.

राणाप्रताप के निधन की खबर से अकबर भी रो पड़ा थाः महाराणा प्रताप अपने राज्य की राजधानी चावंड में धनुष की डोर खींचने के प्रयास में उनकी आंत में गहरी चोट लगी, जिसके कारण 29 जनवरी 1597 में उनकी मृत्यु हो गई. उस समय वह 57 वर्ष के थे. कहते हैं कि महाराणा प्रताप की मृत्यु की खबर पर अकबर को विश्वास ही नहीं हुआ. लेकिन खबर की पुष्टि होने के बाद वह रो पड़ा था.

 

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