Mahalakshmi Vrat Samapan 2021: आज है महालक्ष्मी व्रत का समापन, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा
माता लक्ष्मी, (फोटो क्रेडिट्स: File Photo)

Mahalakshmi Vrat Samapan 2021: महालक्ष्मी व्रत 2021 हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण दिन में से एक है, जो भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होता है. यह सोलह दिनों तक मनाया जाता है, जो गणेश चतुर्थी के चार दिनों के बाद आती है. महालक्ष्मी व्रत धन की देवी लक्ष्मी को समर्पित है. भविष्य पुराण के अनुसार, जब पांडवों ने जुए में कौरवों से अपना सब कुछ हार गए, तो पांडवों में सबसे बड़े युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से धन प्राप्त करने के तरीके के बारे में पूछा. भगवान कृष्ण ने उन्हें महालक्ष्मी व्रत का पालन करने की सलाह दी. तब से देश भर में भक्त अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए इस शुभ व्रत का पालन करते हैं. इस साल यह 13 सितंबर को शुरू हुआ और 28 सितंबर, 2021 को समाप्त हो रहा है. इस दिन, भक्त एक दिन का उपवास रखते हैं और देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद लेते हैं. यह भी पढ़ें: Jivitputrika Vrat 2021: कब है जीवित्पुत्रिका व्रत? पुत्र-प्राप्ति के लिए जानें कैसे करें जिउतिया व्रत एवं पूजा? एवं क्या है इसका महात्म्य एवं व्रत कथा ?

महालक्ष्मी व्रत का महत्व:

भविष्य पुराण में कहा गया है कि जब पांडवों ने जुए में कौरवों से अपना धन खो दिया, तो पांडवों में सबसे बड़े युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से धन प्राप्त करने के तरीके के बारे में पूछा. भगवान कृष्ण ने उन्हें महालक्ष्मी व्रत का पालन करने की सलाह दी. महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारंभ होता है. यह गणेश चतुर्थी के चार दिन बाद मनाया जाता है. महालक्ष्मी व्रत लगातार सोलह दिनों तक मनाया जाता है. धन और समृद्धि के लिए देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए यह व्रत किया जाता है.

महालक्ष्मी व्रत समापन तिथि और समय:

अष्टमी तिथि 28 सितंबर को शाम 06:17 बजे से शुरू हो रही है

अष्टमी तिथि 29 सितंबर को रात 08:30 बजे समाप्त होगी.

महालक्ष्मी व्रत 2021 पूजा विधि और अनुष्ठान:

- सुबह जल्दी उठकर स्नान कर पूजा स्थल को साफ कर लें.

- यह एक दिन का व्रत है इसलिए इसके लिए संकल्प लें.

- एक मंच पर महालक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें.

- श्रीयंत्र को मूर्ति के पास रखा जाता है.

- मूर्ति के सामने जल से भरा कलश रखें और उस पर नारियल रखें.

- देवी को फूल, फल और नैवेद्य चढ़ाएं.

- घी का दीपक और धूप जलाएं.

- कथा, भजन का पाठ करें और प्रार्थना करें.

- महालक्ष्मी स्तोत्र का जाप करने से समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है.

- कुछ क्षेत्रों में भक्त सूर्यदेव की पूजा भी करते हैं और सूर्योदय के समय सभी सोलह दिनों तक प्रतिदिन अर्घ्य दिया जाता है.

- अश्विन कृष्ण अष्टमी को व्रत का समापन होता है.

- शाम को मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है.

- अंतिम दिन पूर्ण कुंभ के दिन कलश की पूजा की जाती है.

- कलश और नारियल में चंदन, हल्दी का लेप और कुमकुम लगाया जाता है. यह देवी लक्ष्मी का प्रतीक है.

- अंतिम दिन देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए नौ विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ और सेवइयाँ अर्पित की जाती हैं.

- देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए आरती की जाती है.

- सभी भक्तों में प्रसाद का वितरण किया जाता है.

महालक्ष्मी प्रसन्न करना चाहते हैं तो भगवान विष्णु जी की पूजा करें. साथ ही ॐ महालक्ष्म्यै नमः मंत्र के साथ ही नमो वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करें. माता लक्ष्मी के साथ विष्णु जी का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा. धन प्राप्ति के लिए महालक्ष्मी जी को कमल का फूल जरूर चढ़ाएं और फिर उसे लाल कपड़े में लपेटकर तिजोरी में रख दें. मान्यता है ऐसा करने से धन संबंधी सभी दिक्कतें दूर हो जाती हैं.