Shardiya Navratri 2025: क्या है ‘दुर्गा’ का आशय? जानें उनके हाथों सुसज्जित शंख, चक्र, त्रिशूल, फरसा, खड्ग, वज्र, धनुष और कमल का प्रतीकात्मक स्वरूप!
दुर्गा का आशय शक्ति, संरक्षण और अज्ञानता पर ज्ञान की विजय है. सनातन धर्म में देवी दुर्गा को शक्ति माना जाता है, जो सृष्टि की रचना, पालन और विनाश तीनों में सक्रिय है. दुर्गा संस्कृत शब्द ‘दुर्ग’ से उद्घृत है, जिसका अर्थ किला है.
Shardiya Navratri 2025: दुर्गा का आशय शक्ति, संरक्षण और अज्ञानता पर ज्ञान की विजय है. सनातन धर्म में देवी दुर्गा को शक्ति माना जाता है, जो सृष्टि की रचना, पालन और विनाश तीनों में सक्रिय है. दुर्गा संस्कृत शब्द ‘दुर्ग’ से उद्घृत है, जिसका अर्थ किला है, जो हर बुराइयों से आपकी रक्षा करती है. दुर्गा सभी शक्तियों की पूर्णता हैं, वह ब्रह्मा, विष्णु और महेश की सम्मिलित ऊर्जा से प्रकट हुईं, जो दर्शाती है कि नारी कोमल ही नहीं, बल्कि अत्यंत शक्तिशाली हो सकती है.
मार्कंडेय पुराण के अनुसार, ऋषियों ने एक ऐसी माँ के बारे में लिखा है, जो अराजकता में प्रवेश करती है. उन्होंने उसे ‘दुर्गा’ कहा. यहां हम बात करेंगे, शक्ति अर्थात दुर्गा के हाथों में सुसज्जित आठ शस्त्रों के बारे में. इन शस्त्रों का आशय क्या है: ये भी पढ़े:Sharad Navratri 2025 E-Invitation Format: शुभ शारदीय नवरात्रि! उत्सव में शामिल होने के लिए प्रियजनों को करें आमंत्रित, भेजें ये हिंदी ई-इनविटेशन कार्ड
त्रिशूलः शिव द्वारा शक्ति को प्रदत्त, त्रिशूल के तीन कांटे तीन गुणों, तमस (जड़ता), रजस (अस्थिरता) और सत्व (स्पष्टता) का प्रतिनिधित्व करते हैं. ये हमारे भीतर हर दिन प्रवाहित होते हैं: सोने और जानने की इच्छा, प्राप्त करने की प्रेरणा, शांति की ओर शांत खिंचाव. दुर्गा का त्रिशूल सिखाता है कि ज्ञान इन शक्तियों को नष्ट करने में नहीं, बल्कि उन्हें संतुलन में रखने में है. जब कोई हावी होता है, जब आलस्य सुन्न कर देता है, महत्वाकांक्षाएँ जलती हैं, तो जीवन में सामंजस्य खत्म हो जाता है. यहां त्रिशूल है इन धाराओं को पहचानना और उनके बीच स्थिर रहना.
खड्ग (तलवार) गणेश पुराण में उल्लेखित कई कथाओं में अर्पित तलवार एक ही उद्देश्य से चमकती है. यह वह क्षमता है जो तब वास्तविकता को देख पाती है जब राय और भय हावी हो जाते हैं. एक थकी हुई आत्मा के लिए, यह दिखावा बंद करके, एक ऐसे रिश्ते को खत्म करने, एक कठोर सत्य बोलने और अपनी पुरानी आत्म-छवि को त्यागने का साहस है.
सुदर्शन चक्र: भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र गतिशील ब्रह्मांड का नियम है. यह कभी रुकता नहीं, हमें याद दिलाता है कि काल, समय, चलता रहता है, चाहे हम तैयार हों या नहीं. यह हमें धर्म के साथ कर्म और न्याय के साथ तालमेल बिठाने के लिए कहता है, भले इसके लिए हमें सुख-सुविधाओं की हानि उठानी पड़े. जब आप फंसा हुआ महसूस करें, तो चक्र के मौन संदेश को याद रखें. कुछ भी स्थिर नहीं है.
धनुष बाणः धनुष, जो परंपरा के अनुसार वायु या सूर्य का उपहार है, संभाव्य ऊर्जा धारण करता है, बाण केंद्रित मुक्ति है. ये दोनों मिलकर तैयारी और कर्म का नृत्य सिखाते हैं. धनुष खींचने का आशय, शक्ति जुटाना, योजना बनाना और प्रतीक्षा करना है. बाण को उड़ाना, क्षण पर भरोसा करना और भय को त्यागना है. दुर्गा दर्शाती हैं कि एक सार्थक जीवन में लक्ष्य साधने हेतु धैर्य और मुक्ति की आवश्यकता होती है.
वज्र (वज्र): इंद्र का वज्र टूटता नहीं, यह असत्य को तोड़ता है. यह आध्यात्मिक दृढ़ता का प्रतीक है, जब कोई भी उत्साह न दिखा रहा हो और रास्ता अंतहीन लग रहा हो, तब भी चलते रहने से मन शांत रहता है. निजी संघर्ष में, वज्र हठी हृदय की धड़कन है, जो हार नहीं मानती, तूफान आने पर भी निष्ठा बनाए रखने की शक्ति रखती है
परशु (फरसा): दिव्य शिल्पकार विश्वकर्मा द्वारा प्रदत्त फरसा उन बंधनों को तोड़ती है, जो हमें बांधते हैं. यह शक्ति, पुरानी आदतों, द्वेष और महत्वाकांक्षाओं को दूर करने की शक्ति है, जो पोषण देने के बजाय गला घोंटती हैं. कुल्हाड़ी हमें याद दिलाती है कि प्रेम का अर्थ कभी-कभी रस्सी काटना भी होता है, लेकिन अंत करुणा का कार्य हो सकता है, क्रूरता का नहीं.
शंख (शंख): वरुण द्वारा देवी दुर्गा को प्रदत्त शंख आदिम ध्वनि ‘ॐ’ को धारण करता है. यह सेना को सतर्क रहने के लिए प्रेरित करता है, साथ ही हृदय को प्रार्थना के लिए भी प्रेरित करता है. इसकी सर्पिल फुसफुसाहट ध्वनि और वाणी की शक्ति का ज्ञान देती है. ईमानदारी से बोलना, शब्दों को घाव देने के बजाय भरने देना, वाणी और मूल्यों को इस तरह संरेखित करना कि हम जो कहते हैं वह आशीर्वाद बन जाए.
कमलः भगवान ब्रह्मा द्वारा प्रदत्त कमल गंदे पानी में खिलता है, फिर भी उस गंदगी से सुरक्षित रहता है. यह आध्यात्मिक लचीलेपन का प्रतीक है, जो संसार की अराजकता से अछूते रहते हुए भी इस संसार में रहता है.
कमल हर थकी हुई आत्मा से कहता है, तुम भ्रम के बीच खड़े होकर भी सौंदर्य में विकसित हो सकते हो.