International Labour Day 2024: शिकागो दंगे ने ऐसे खोले श्रमिकों की किस्मत के दरवाजे! जानें भारत में क्या है श्रम कानून?
अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस, जिसे मजदूर दिवस या मई दिवस के रूप में भी जाना जाता है, प्रत्येक वर्ष 1 मई को मनाया जाता है. दुनिया भर के करीब 80 से ज्यादा देशों में मनाया जाने वाला यह एक वैश्विक कार्यक्रम है. यह दिन श्रमिक आंदोलन, श्रमिक वर्ग के संघर्षों एवं उपलब्धियों की याद दिलाता है.
अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस, जिसे मजदूर दिवस या मई दिवस के रूप में भी जाना जाता है, प्रत्येक वर्ष 1 मई को मनाया जाता है. दुनिया भर के करीब 80 से ज्यादा देशों में मनाया जाने वाला यह एक वैश्विक कार्यक्रम है. यह दिन श्रमिक आंदोलन, श्रमिक वर्ग के संघर्षों एवं उपलब्धियों की याद दिलाता है. इस अवसर पर कई देशों में सार्वजनिक अवकाश होता है. यद्यपि संयुक्त राज्य अमेरिका एवं कनाडा में सितंबर के पहले सोमवार के दिन श्रमिक दिवस मनाया जाता है. श्रमिक दिवस के अवसर पर आइये जानते हैं, इसके महत्व, इतिहास एवं भारत में इस दिवस के सेलिब्रेशन के बारे में....
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस का इतिहास
असमय और असीमित कार्य का दंश को झेलते हुए आखिर श्रमिकों की चेतना जागी, वह तिथि थी, 1 मई, 1886, जब संयुक्त राज्य अमेरिका में श्रमिक संघों ने हड़ताल शुरू करते हुए मांग की कि श्रमिकों को प्रतिदिन आठ घंटे से अधिक काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता. वे चाहते थे कि उनकी कार्यावधि 15 घंटे से घटाकर 8 घंटे कर दी जाए. 04 मई विश्वव्यापी हड़ताल के दौरान शिकागो के हेमार्केट में एक के बाद एक कई बम धमाके हुए, जिसमें पुलिस अफसर, और नागरिकों के साथ श्रमिक भी मारे गये. 100 से अधिक लोग घायल हो गए. हालांकि, इस खूनी हड़ताल का मजदूरों के काम पर विशेष असर नहीं पड़ा, हालांकि दुनिया के कई देशों में आठ घंटे की कार्यावधि के नियम बनें. 1889 में पेरिस में आयोजित एक बैठक में रेमंड लैविग्ने ने प्रस्ताव पारित कर 1 मई को श्रमिक दिवस मनाने का निर्णय लिया. 1891 में, कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर मई दिवस मनाने को मान्यता दी. यह भी पढ़ें : Maharashtra Day 2024: जानें 1 मई को महाराष्ट्र दिवस क्यों मनाया जाता है? जानें इसका इतिहास, महत्व एवं सेलिब्रेशन!
भारत में मजदूर दिवस
अमेरिका में भले ही 1889 से मजदूर दिवस मनाया जा रहा है, लेकिन भारत में इसके 34 साल बाद मजदूर दिवस की शुरुआत हुई, जब 1 मई 1923 को चेन्नई में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान की अध्यक्षता में श्रमिक दिवस मनाने का फैसला किया गया. इस बैठक में भारत के और भी कई संगठन एवं सोशल पार्टी के सदस्यों ने शिरकत की, जो वर्षों से श्रमिकों पर हो रहे अत्याचार और शोषण के खिलाफ आवाज उठा रहे थे.
भारत में श्रम कानून
* श्रम कानूनों का अभिप्राय कानून के उस खंड से है, जो रोजगार, पारिश्रमिक, कार्य की शर्तों, श्रम संघों एवं औद्योगिक संबंधों पर लागू होते हैं.
* श्रमिकों के विशिष्ठ समूह होते हैं, इस कारण श्रमिकों हेतु बनाए गये विधान सामाजिक विधान की एक अलग श्रेणी में आते हैं.
* श्रम भारतीय संविधान के तहत समवर्ती सूची का विषय है. राज्य विधानमंडल श्रम कानूनों को लागू कर सकते हैं, किंतु उन्हें केंद्र सरकार की स्वीकृति लेना होगा.
* अनुमानत देश में श्रम संबंधित 200 से अधिक राज्य कानून हैं, और 50 केंद्रीय कानून हैं, इसके बावजूद देश में श्रम कानूनों की निर्धारित परिभाषा नहीं है.
* भारतीय श्रम कानूनों को चार वर्गों में विभाजित किया जाता है.
- कार्य स्थिति से संबंधित श्रम कानून
- मजदूरी और पारिश्रमिक से संबंधित श्रम कानून
- सामाजिक सुरक्षा से संबंधित श्रम कानून
- रोजगार सुरक्षा एवं उद्योग संबंधित श्रम कानून