वर्तमान में तीसरे युद्ध की अटकलों के बीच विश्व में शांति का प्रचार-प्रसार आवश्यक हो गया है. इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष 29 अगस्त को परमाणु परीक्षण के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाने का निर्णय लिया था. इस दिवस का विशेष उद्देश्य परमाणु हथियार परीक्षण विस्फोटों या किसी अन्य परमाणु विस्फोटों से होने वाले दुष्प्रभावों के प्रति जागरूकता को बढ़ाना है. साल 1945 में जापान के नागासाकी और हिरोशिमा पर हुए परमाणु बम के हमले के पश्चात उत्पन्न भयावह परिणामों को देखते हुए हर देश को विश्व में शांति बहाल रखने हेतु इस परमाणु परीक्षण के खिलाफ आयोजित अंतर्राष्ट्रीय दिवस में शामिल होना चाहिए. आइये जानते हैं इस दिवस विशेष के बारे में कुछ जानकारी योग्य तथ्यों के बारे में...
परमाणु परीक्षण के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय दिवस का इतिहास
साल 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पास कर 29 अगस्त को परमाणु परीक्षण के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय दिवस की घोषणा की. कजाकिस्तान गणराज्य में आयोजित इस सम्मेलन में हुई घोषणा के बाद 2 दिसंबर को यूएनजीए के 64वें सत्र में अपनाया गया. 29 अगस्त 1991 को सेमीपाली टिंकल परमाणु परीक्षण स्थल को बंद करने की स्मृति 29 अगस्त को अवलोकन के लिए चुना गया था. गौरतलब है कि परमाणु परीक्षण के खिलाफ पहला अंतर्राष्ट्रीय दिवस साल 2010 की 29 अगस्त को मनाया गया था. तब से हर साल यह दिवस विशेष विश्व स्तर पर मनाया जाता है.
परमाणु परीक्षण के दुष्प्रभाव
प्राप्त जानकारी के अनुसार 1945 से 2017 तक दुनिया भर में 2000 से ज्यादा परमाणु परीक्षण विस्फोट किए जा चुके हैं. इन परीक्षणों से कैंसर एवं रेडियोधर्मी कणों का तेजी से प्रसार होता है. इससे जल, वायु एवं मिट्टी सभी कुछ जहरीले हो जाते हैं. दुनिया भर में ऐसे 60 से अधिक स्थल हैं, जिन पर परमाणु परीक्षण के दाग हैं, और तमाम कोशिशों के बावजूद वे स्थल रहने लायक नहीं हैं. परमाणु परीक्षणों के बारे में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने साल 2019 में अपने एक बयान में बताया कि इस सच से इंकार नहीं किया जा सकता कि परमाणु परीक्षण दुनिया को विनाश के कगार पर ले जाने के अलावा कुछ भी नहीं है.
कैसे मनाया जाता है यह दिवस विशेष?
प्रत्येक वर्ष 29 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र परमाणु परीक्षण के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय दिवस के आयोजनों में विभिन्न सेमिनार, सम्मेलनों एवं डिबेट का आयोजन करता है. इसके अलावा तमाम देशों में भी सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों द्वारा सम्मेलन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, फोटो प्रदर्शनी एवं नुक्कड़ नाटकों का आयोजन किया जाता है. इस तरह के आयोजनों में हर देश के नागरिकों को पहुंचना चाहिए और अपनी बात रखनी चाहिए. आप स्वयं अपने दोस्तों अथवा सोसायटी के सौजन्य से इस तरह के आयोजन कर परमाणु परीक्षण के खिलाफ आवाज उठाकर सोशल मीडिया पर भारी संख्या में सर्कुलेट कर सकते हैं.
परमाणु परीक्षण के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय दिवस का महत्व
इस दिवस विशेष का मुख्य उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र, सदस्य राज्यों, अंतर सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों और मीडिया को परमाणु हथियार परीक्षणों पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता को सूचित, शिक्षित और वकालत करने के साथ परमाणु हथियार मुक्त दुनिया हासिल करने के लिए प्रेरित करना है. साल 1945 से आज तक लगभग 2000 से अधिक ऐसे परीक्षण किये जा चुके हैं, जिसका पर्यावरण और मानव जीवन पर विनाशकारी असर पड़ा है. जब स्थिति अत्यधिक विस्फोटक हो गई, तब लोगों को ऐसे परीक्षणों के खिलाफ एक दिवस विशेष आयोजित करने की आवश्यकता महसूस हुई, ताकि अधिक से अधिक लोगों को इससे उत्पन्न खतरों के प्रति सचेत किया जा सके. इस दिवस विशेष की घोषणा के बाद मई 2010 में सभी देश के राजनीतिक दलों ने परमाणु हथियारों के बिना दुनिया की शांति और सुरक्षा प्राप्त करने के लिए खुद से संकल्प लिया.