अपना खुद का आशियाना खरीदना किसी सपने के साकार होने जैसा होता है, इसलिए घर खरीदने से पहले यह जांच-परख करना जरूरी है कि आपके सपनों का यह आशियाना आपके भावी जीवन में क्या रंग ला सकता है, और यह सुनिश्चित होता है वास्तु नियमों से. अगर आप वास्तु के नियमों की अनदेखी करते हुए वास्तु दोष युक्त घर खरीदते हैं, तो इसका असर आपके नौकरी-पेशा के साथ-साथ आपके घर परिवार को भी प्रभावित करता है, इसलिए अगर आप घर खरीदने की योजना बना रहे हैं तो आपको घर के हर हिस्सों में वास्तु के नियमों के अनुरूप लेनी चाहिए. यह भी पढ़ें: World Breastfeeding Week 2023: समय के साथ कैसे बदलता है स्तन दूध की संरचना? किस उम्र तक कराना चाहिए स्तनपान?
वास्तु आपके घर के प्रत्येक कोने में सकारात्मकता और खुशी सुनिश्चित करने के लिए सही रंग, प्रारूप, आकार और दिशाएं सुझाता है. नए घर के लिए वास्तु टिप्स में से एक है कमरों के आकार की जांच करना. वास्तु के अनुसार, घर का आकार वर्गाकार या आयताकार होना चाहिए. ये कमरे अच्छी नेचुरल रोशनी वाले, हवादार और साफ-सुथरे होने चाहिए.
प्रवेश द्वारः नए घर का मुख्यद्वार न केवल परिवार का प्रवेश बिंदु है, बल्कि ऊर्जा और जीवंतता का भी केंद्र है. घर का मुख्य प्रवेश द्वार उत्तर, पूर्व या उत्तर पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए. यह इस प्रकार बना होना चाहिए कि जब आप बाहर निकलें तो आपका मुख उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर हो. इसके अलावा घर के मुख्य द्वार पर किसी तरह का फव्वारा या जल केंद्रित वस्तुओं के सजावट से बचें. प्रवेश द्वार के बाहर शू रैक या कूड़ेदान न रखें. मुख्य द्वार के पास बाथरूम बनाने से बचें. मुख्य द्वार का रंग काला या गहरा नीला नहीं होना चाहिए. मुख्य द्वार का दरवाजा दक्षिणावर्त में खुलना चाहिए. प्रवेशद्वार पर किसी तरह की मूर्ति ना रखें.
डाइनिंग हालः अगर आपके घर में डाइनिंग हॉल की गुंजाइश है तो इसे पश्चिम क्षेत्र में रखें. किसी कारण से, यह संभव नहीं है तो उत्तर, पूर्व या दक्षिण दिशा का विकल्प भी चुन सकते हैं. लेकिन किसी भी कीमत पर दक्षिण पश्चिम क्षेत्र की दिशा से बचें, क्योंकि घर के भीतर इस दिशा में डाइनिंग हाल वास्तु के लिए उपयुक्त नहीं है.
सीढ़ियाँः घर में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए वास्तु के अनुरूप सीढ़ियों का सही स्थान बहुत महत्वपूर्ण है. सीढ़ियों के लिए सही वास्तु दक्षिण-पश्चिम दिशा है. आप अन्य दिशाओं पर भी विचार कर सकते हैं; हालांकि, इसके लिए आप किसी वास्तु विशेषज्ञ से सलाह-मशविरा अवश्य कर लें. अलबत्ता ले सीढ़ी के लिए उत्तर-पूर्व का क्षेत्र कत्तई नहीं रखें.
लिविंग रूमः लिविंग रूम किसी भी घर का सबसे सक्रिय क्षेत्र होता है, क्योंकि अतिथियों के प्रवेश करते हुए उनकी पहली नजर लिविंग रूम पर ही पड़ती है, और वे आपके लिविंग स्तर को परख सकते हैं. लिविंग रूम अव्यवस्था मुक्त होना चाहिए. नए घर का लिविंग रूम पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए. इसके अलावा, उस कमरे में फर्नीचर पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए. यह दोष मुक्त दिशा है. यदि लिविंग रूम में दर्पण है तो उसे उत्तर की दीवार पर लगाना चाहिए.
शयनकक्षः अच्छा, स्वस्थ एवं समृद्ध संबंधों को बनाए रखने के लिए शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना सबसे बेहतर माना गया है. उत्तर-पूर्व दिशा स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण बनती है, जबकि दक्षिण-पूर्व की ओर मुख वाला शयनकक्ष दाम्पत्य जीवन में कलह का कारण बन सकता है. इसके अलावा बिस्तर को कमरे के दक्षिण-पश्चिम कोने में रखना चाहिए, जिसका सिर पश्चिम की ओर हो. शयनकक्ष में दर्पण या टीवी सेट नहीं होना चाहिए. क्योंकि सोते या उठते समय प्रतिबिंब नहीं देखना चाहिए, इससे क्लेश और झगड़े होते हैं. शयनकक्ष की दीवारों का रंग मिट्टी के रंग का हो तो सर्वोत्तम, क्योंकि ये सकारात्मक ऊर्जा प्रसारित करते हैं. ध्यान रहे ये दीवारें काली नहीं होनी चाहिए. शयनकक्ष में मंदिर नहीं होना चाहिए.