World Trauma Day 2019: विकलांगता और मौत का सबसे बड़ा कारण है ट्रॉमा, जानें सड़क दुर्घटना से बचाव के लिए करना चाहिए किन नियमों का पालन

अचानक से ऐसी कोई घटना घट जाना, जिससे दिलो दिमाग के प्रभावित होने के साथ ही व्यक्ति किसी न किसी बीमारी का शिकार हो जाए. अगर ऐसा होता है तो इसे ट्रॉमा कहा जाता है. दूसरे शब्दों में कहें तो किसी भी व्यक्ति को अचानक से लगने वाला गहरा आघात या क्षति ट्रॉमा होता है. ट्रॉमा के अलग-अलग कारण होते हैं. हर साल 17 अक्टूबर को विश्व ट्रॉमा दिवस मनाया जाता है.

वर्ल्ड ट्रॉमा डे 2019/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

World Trauma Day 2019: भारत में रोजाना करीब 400 लोग सड़क दुर्घटनाओं (Road Accidents) की चपेट में आकर काल के गाल में समा जाते हैं. दरअसल, दुर्घटना के तुरंत बाद चिकित्सकीय सहायता (Medical Help) न मिलने के कारण कई पीड़ित दम तोड़ देते हैं. अगर पीड़ित को फौरन प्राथमिक चिकित्सा (First Aid) मिल जाए तो मौतों का यह आंकड़ा कम हो सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि ट्रॉमा यानी आघात दुनिया भर में मृत्यु (Death) और विकलांगता (Disability) का सबसे बड़ा कारण है. अगर लोगों को इन परिस्थितियों से निपटने के उपायों के बारे में सही जानकारी और प्रशिक्षण दिया जाए तो काफी हद तक ट्रॉमा के कारण होने वाली विकलांगता और मौतों को रोका जा सकता है.

विकलांगता और मौत का सबसे बड़ा कारण ट्रॉमा है, इसलिए इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के मकसद से हर साल 17 अक्टूबर को विश्व आघात दिवस यानी वर्ल्ड ट्रॉमा डे (World Trauma Day) मनाया जाता है.

क्या होता है ट्रॉमा?

अचानक से ऐसी कोई घटना घट जाना, जिससे दिलो दिमाग के प्रभावित होने के साथ ही व्यक्ति किसी न किसी बीमारी का शिकार हो जाता है तो इसे ट्रॉमा कहा जाता है. दूसरे शब्दों में कहें तो किसी भी व्यक्ति को अचानक से लगने वाला गहरा आघात या क्षति ट्रॉमा होता है. ट्रॉमा के अलग-अलग कारण होते हैं. यह एक ऐसी गंभीर बीमारी है जो गहरे आघात, सामाजिक, मानसिक, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक रूप में व्यक्ति को चोट पहुंचा सकती है. सड़क दुर्घटना, आग, जलना, गिरना, हिंसा की घटनाएं और प्राकृतिक आपदाओं के कारण शरीर को होने वाले आघात को शारीरिक ट्रॉमा कहते हैं.

क्या है इसका प्रमुख कारण?

दुनिया भर में ट्रॉमा का सबसे प्रमुख कारण सड़क दुर्घटनाओं को माना जाता है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक, साल 2016 में भारत में 1.35 लाख सड़क दुर्घटनाओं में 1.50 लाख लोगों ने जान गंवाई थी. इन दुर्घटनाओं में जो लोग जिंदा बच जाते हैं, उन पर अलग-अलग तरह की विकलांगता के इलाज का भारी भरकम बोझ आ जाता है. सड़क दुर्घटनाओं के चलते विकलांगता और मौत के आंकड़ों में बढ़ोत्तरी होने के साथ ही राष्ट्रीय उत्पादकता भी प्रभावित हो रही है, क्योंकि ज्यादातर मामलों में सड़क दुर्घटना के शिकार युवा वर्ग के लोग होते हैं.

करें इन नियमों का पालन

कहते हैं ना कि सावधानी हटी और दुर्घटना घटी, इसलिए सड़क दुर्घटनाओं से बचने के लिए उससे जुड़े नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए. नेशनल हेल्थ पोर्टल ने अपनी वेबसाइट पर बताया है कि ट्रॉमा से बचने के लिए लोगों किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए. यह भी पढ़ें: International Poverty Eradication Day 2019: क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस, जानें गरीबों के विकास के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाएं

गौरतलब है कि आपके आंखों से सामने अगर कोई दुर्घटना होती है तो फौरन आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करें और जल्द से जल्द पर्याप्त सहायता प्राप्त करने की कोशिश करें. घायल व्यक्ति के लिए हर एक मिनट बहुत महत्वपूर्ण होता है, इसलिए हादसे के एक घंटे के भीतर पीड़ित को चिकित्सा मुहैया कराने की पूरी कोशिश करें. इसके साथ ही दुर्घटना की जानकारी देने के लिए पुलिस को फोन करना बिल्कुल भी न भूलें.

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