World Asthma Day 2020: आज है ‘विश्व अस्थमा दिवस, जानें इसका इतिहास-लक्षण, क्या यह है लाइलाज?
मई के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है. इस दिन लोगों को अस्थमा की देखभाल के लिए प्रोत्साहित हेतु अस्थमा शिक्षा और रोकथाम कार्यक्रम का आयोजित किये जाते हैं.
World Asthma Day 2020: हर साल मई के पहले मंगलवार को ‘विश्व अस्थमा दिवस’ मनाया जाता है. यानी इस वर्ष 5 मई को यह दिवस विशेष मनाया जा रहा है. इसका उद्देश्य अस्थमा (दमा) पीड़ितों और उनके करीबियों को जागरुक करना होता है. पहली बार विश्व अस्थमा दिवस साल 1998 में बार्सिलोना (स्पेन) में पहली विश्व अस्थमा आयोजन के समय शुरू किया गया. इस आयोजन में लगभग 35 से ज्यादा देशों ने भाग लिया था. ज्यों-ज्यों साल बीतते गये, इसे दिवस विशेष को मनानेवाले देशों की संख्या बढ़ती गयी. इस विशेष दिवस पर अस्थमा से संबंधित गतिविधियां, सेमिनार, डिबेट, सरकारी योजनाओं और मुफ्त जांच आदि पर चर्चाएं चलती हैं. अस्थमा क्या है? क्या ये लाइलाज है? क्या ये संक्रामक रोग है? इसकी उत्पत्ति कैसे होती है?
अस्थमा को पहली बार प्राचीन मिस्र में पहचाना गया था, तब इसके इलाज स्वरूप मरीज को कायफी नाम के एक सुगन्धित मिश्रण को पिलाकर ठीक किया जाता था. लेकिन ज्यों-ज्यों इसके मरीजों की संख्या बढ़ती गयी, यह असाध्य रोगों की श्रेणी में शामिल होता गया. 1970 के बाद से अस्थमा के मरीजों की संख्या में बहुत ज्यादा वृद्धि हुई है. साल 2011 तक, संपूर्ण विश्व में लगभग 30 लाख लोग इससे प्रभावित थे,जिनमें लगभग 2,50,000 लोगों की अस्थमा के कारण मृत्यु हो गयी.
क्या है अस्थमा
अस्थमा, जिसे हिंदी में दमा कहते हैं. फेफड़े की इस बीमारी में सांस लेने में कठिनाई होती है, और दमा के मरीजों को अलग-अलग स्केल पर प्रभावित करती है. चिकित्सकों के अनुसार अस्थमा ब्रोन्कियल नलियों में आई सूजन के कारण होता है. अस्थमा के बारे में आम चिकित्सकों की राय है कि यह असाध्य रोग है, हांलाकि वैज्ञानिक इसके इलाज पर काम कर रहे हैं. अलबत्ता कुछ विशेष लक्षणों की स्थिति में इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है.
क्या अस्थमा का इलाज संभव है?
अस्थमा लाइलाज है, लेकिन सही समय पर सही उपचार करवा लिया जाये तो उसे अस्थमा के दौरे पड़ने से रोकने के लिए नियंत्रित किया जा सकता है. इसके उपचार स्वरूप विशेष इन्हेलर या दैनिक दवा ली जा सकती है. इन्हेलर से दवा सही तरीके से सीधा फेफड़े तक जाती है और मरीज ठीक से सांस ले सकता है. अगर आदत नहीं है तो बहुत ज्यादा समय तक नमी युक्त स्थान पर नहीं रहना चाहिए. समय-समय पर अस्थमा को जड़ से खत्म करने के भ्रामिक विज्ञापन प्रसारित होते रहते हैं, लेकिन ये दावे अंततः झूठे साबित होते हैं.
कैसे मनाते हैं?
मई के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है. इस दिन लोगों को अस्थमा की देखभाल के लिए प्रोत्साहित हेतु अस्थमा शिक्षा और रोकथाम कार्यक्रम का आयोजित किये जाते हैं. अस्थमा पीड़ितों से अस्थमा एक्शन प्लान पर मन की बात लिखने के लिए प्रेरित किया जाता है कि वे अस्थमा के लिए कैसी सुविधा अथवा दवा चाहते हैं. अस्थमा सेमिनारों में दमा पीड़ितों, चिकित्सकों और रोगियों के निकट संबंधियों को एक छत के नीचे बुलाकर अपनी समस्याए शेयर करने के लिए प्रेरित किया जाता है. इसके अलावा अस्थमा मुक्त चेकअप शिविरों का आयोजन किया जाता है. आवश्यक क्षेत्रों में अस्थमा क्लीनिक और फार्मेसियां खोली जाती हैं. कई स्कूलों में अस्थमा रोग, इसके लक्षण, सावधानियों एवं रोकथाम से संबंधित बातों की विशेष कक्षाएं चलाई जाती हैं.
अस्थमा के आम लक्षण
* सर्दी-जुकाम या खांसी का होना.
* रात में और सुबह के समय ज्यादा कफ होना.
* सांस लेने में परेशानी, घबड़ाहट होना.
* दिल की धड़कनों का तेज होना.
* स्पोर्ट्स एवं व्यायाम के दरम्यान थकान या सांस फूलना.
* सीने में जकड़न व दर्द होना.
* सांस लेने पर गले से घरघराहट जैसी आवाज निकलना.
क्यों होता है अस्थमा?
मुख्य कारण तो आनुवंशिक है. परिवार में किसी को अस्थमा है तो अगली पीढी को भी हो सकती है. इसके अलावा वातावरण में किसी तरह की एलर्जी है, और उस माहौल में रहनेवाला उसे सहन करने योग्य प्रतिरोधक क्षमता नहीं रखता है हो, तो उस पर असर जल्दी होता है. लंबे समय खांसी से पीड़ितों, ज़ुकाम की बारंबारता ज्यादा हो, धूल, धुएं, खुशबू वाले स्प्रे जैसे डियो, हीट, परफ्यूम आदि से छींकें आती हों, तो उन्हें अस्थमा के प्रति काफी सावधानी बरतनी चाहिए.
अस्थमा अटैक से बचना है तो न करें ये गल्तियां
अस्थमा के अटैक पर तुरंत इन्हेलर का सहारा लेकर राहत पाया जा सकता है. अस्थमा के अटैक का मुख्य कारण बलगम और संकरी श्वासनली होता है, लेकिन नये शोध में इसके और भी कारण पाये गये हैं. दिल्ली के चिकित्सक डॉ जीतेंद्र सिंह गुसाई के अनुसार अगर निम्न बातों पर ध्यान दिया जाये तो अस्थमा के अचानक अटैक से बचा जा सकता है.
* उमस और मौसम परिवर्तन के समय ज्यादा समय घर से बाहर रहने से और घंटों जॉगिंग करने से बचें
* धूल-मिट्टी भरे कमरे में पंखे के नीचे सोने से भी अस्थमा का अटैक आ सकता है.
* हफ्तों एक ही तकिया अथवा चादर वाले बिस्तर पर सोने से बचें. यानी हर तीसरे दिन चादर और तकिया बदलते रहें.
* धुएं, धूल अथवा प्रदूषित वाले क्षेत्र अथवा जहां पटाखे इत्यादि फोड़े जो रहे हों, वहां जाने से बचें. ऐसी जगहों पर व्यायाम या योगा भी कत्तई नहीं करें.
* दमा के रोगियों को प्रतिदिन अपना घर साफ रखना चाहिए और सीलन तथा बदबूदार कमरे में सोने से बचना चाहिए.
* अस्थमा के मरीजों को नमक का सेवन कम करना चाहिए.
* ज़्यादा धूम्रपान करना और शराब पीना
* मौसम परिवर्तन के समय अगर सर्दी-जुकाम अथवा खांसी की शिकायत हो तो लापरवाही नहीं करते हुए चिकित्सक से तुरंत सलाह लेनी चाहिए.