World Asthma Day 2019: अस्थमा को न समझें आम स्वास्थ्य समस्या, जानिए सांस से जुड़ी इस बीमारी के लक्षण, कारण और बचाव के उपाय

अस्थमा यानी दमा श्वसन तंत्र या फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, जिसके कारण मरीज को सांस लेने में काफी दिक्कत महसूस होती है. इस बीमारी में सांस की नली ब्लॉक हो जाती है या फिर सिकुड़ जाती है.

विश्व अस्थमा दिवस 2019 (Photo Credits: PTI)

World Asthma Day 2019: आधुनिक जीवनशैली (Modern Lifestyle) के इस दौर में अस्थमा (Asthma) एक आम बीमारी होती जा रही है. लोग इस बीमारी को भले ही आम स्वास्थ्य समस्या (Health Problem) से जोड़कर देखते हों, लेकिन यह सेहत से जुड़ी काफी गंभीर समस्या है. यह बीमारी बच्चे, बड़े और बुजुर्गों को भी अपना शिकार बना सकती है. हालांकि महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में इस बीमारी का खतरा ज्यादा होता है. अस्थमा को आम भाषा में दमा भी कहते हैं. प्रदूषण और खान-पान में गड़बड़ी के चलते यह बीमारी तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रही है.

इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए हर साल 7 मई को विश्व अस्थमा दिवस (World Asthma Day) मनाया जाता है. चलिए विश्व अस्थमा दिवस के मौके पर जानते हैं सांस से जुड़ी इस बीमारी के लक्षण, कारण और बचाव के असान उपाय.

क्या है अस्थमा?

अस्थमा यानी दमा श्वसन तंत्र या फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, जिसके कारण मरीज को सांस लेने में काफी दिक्कत महसूस होती है. इस बीमारी में सांस की नली ब्लॉक हो जाती है या फिर सिकुड़ जाती है. जिसके कारण मरीज को सांस लेने में परेशानी, सांस लेते समय आवाज आना, सीने में जकड़न, खांसी, सांस फूलना जैसी समस्याएं होती हैं. अस्थमा के लिए जेनेटिक कारणों के साथ ही प्रदूषण और एलर्जी काफी हद तक जिम्मेदार है. हालांकि सही समय पर सही इलाज शुरू करके इस बीमारी को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है. यह भी पढ़ें: सरसों के तेल में छुपा है सेहत का खजाना, फायदे जानकर आप भी करने लगेंगे इसका इस्तेमाल

लक्षण 

आमतौर पर अस्थमा दो प्रकार का होता है. पहला बाहरी और दूसरा आंतरिक अस्थमा. बाहरी अस्थमा पराग, जानवरों, धूल जैसे बाहरी एलर्जिक चीजों के कारण होता है. जबकि आंतरिक अस्थमा सांस के जरिए सिगरेट के धुंए, पेंट वेपर्स जैसे रासायनिक तत्वों के शरीर में प्रवेश करने से होता है

कारण 

वैसे तो अस्थमा या दमा की बीमारी के लिए कई वजहें जिम्मेदार हो सकती हैं, लेकिन इनमें वायु प्रदूषण को सबसे प्रमुख कारण माना जाता है.

बचाव के उपाय

मौसम में बदलाव के कारण अस्थमा के मरीजों को होनेवाली सांस की तकलीफ बढ़ सकती है, इसलिए उन्हें बदलते मौसम के दौरान सतर्क रहना चाहिए. हालांकि कुछ ऐहतियात बरतकर अस्थमा से बचाव किया जा सकता है.

अस्थमा के मरीजों को नियमित तौर पर शारीरिक व्यायाम करना चाहिए, धूप में सुबह टहलना चाहिए और पौष्टिक आहार लेना चाहिए. गौरतलब है कि दिनचर्या और खान-पान की आदतों में सकारात्मक बदलाव लाकर अस्थमा के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को केवल सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसमें दी गई जानकारियों को किसी बीमारी के इलाज या चिकित्सा सलाह के लिए प्रतिस्थापित नहीं किया जाना चाहिए. इस लेख में बताए गए टिप्स  पूरी तरह से कारगर होंगे या नहीं इसका हम कोई दावा नहीं करते है, इसलिए किसी भी टिप्स या सुझाव को आजमाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें.

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