अपर्याप्त नींद, नियमित व्यायाम का अभाव, दिल को समय से पहले बूढ़ा कर देती है
नींद हमेशा ही पूरी और गहरी होनी चाहिए अन्यथा वह हमारे दिल को समय से पहले बूढ़ा कर देती है. एक ताजा अध्ययन के अनुसार, पिछले 50 बरस में हमारी औसत नींद में डेढ़ घंटे की कमी आई है.
जयपुर: नींद हमेशा ही पूरी और गहरी होनी चाहिए अन्यथा वह हमारे दिल को समय से पहले बूढ़ा कर देती है. एक ताजा अध्ययन के अनुसार, पिछले 50 बरस में हमारी औसत नींद में डेढ़ घंटे की कमी आई है. ह्रदय के लिए सबसे खतरनाक कारकों में नींद की कमी पहले नंबर पर है और वह दिल को समय से पहले बूढ़ा कर हमारे स्वस्थ रहने की उम्मीदों को आशंका में बदल देती है.
जयपुर के नारायण मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल ने विश्व ह्रदय दिवस के मद्देनजर एक अध्ययन किया. इस अध्ययन में पाया गया कि अपर्याप्त नींद, नियमित व्यायाम का अभाव, मधुमेह, धूम्रपान और उच्च रक्तचाप हमारे ह्रदय के लिए सबसे खतरनाक कारक हैं. इसमें भी नींद में कमी बेशी को ह्रदय के लिए सबसे खतरनाक माना गया.
ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ निखिल चौधरी के अनुसार, इस अध्ययन में पाया गया कि हर दिन सात घंटे से कम और नौ घंटे से ज्यादा सोने वालों के ह्रदय को सबसे अधिक खतरा है. यानी उनमें कोरोनरी हार्ट डिजीज (सीएचडी) की आशंका ज्यादा है. डॉ चौधरी ने कहा कि बदलती जीवनशैली और खानपान के बीच आधी अधूरी नींद या बहुत ज्यादा सोना हमारे ह्रदय को, हमारे शरीर से पहले ही बूढ़ा कर रहा है जो बहुत ही खतरनाक संकेत है.
अस्पताल में पिछले दो महीने में 576 लोगों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि आधे से अधिक लोगों का ह्रदय उनकी खुद की उम्र से 10-33 साल अधिक बूढ़ा हो चुका है. हाल ही में एक अध्ययन में कहा गया था कि हमारी औसत नींद में बीते 50 साल में लगभग डेढ़ घंटे की कमी आई है. यानी हम अब तुलनात्मक रूप से कम सोते हैं.
डॉ चौधरी ने कहा कि स्वस्थ ह्रदय के लिए पर्याप्त और अच्छी नींद बहुत मायने रखती है. अच्छी नींद से मतलब है कि आदमी सुकून से सोये. उसकी नींद इतनी गहरी हो कि मोबाइल की बैटरी, व्हाटसएप के मैसेज और ईमेल की चिंता उसमें खलल न डाल सके.
डॉक्टरों के अनुसार, हर दिन आधे घंटे का व्यायाम, शाम को चाय व काफी से दूरी और एक दिन में कम से कम सात घंटे की नींद हमारे दिल के स्वस्थ रहने के लिए काफी है. उन्होंने कहा कि अगर ह्रदय स्वस्थ रहे तो 75 साल से कम आयु के लोगों में दिल के दौरे और ह्रदयाघात के मामलों में 80 प्रतिशत तक कमी आ सकती है.