Ramadan 2022: रमजान के महीने में रोजा रखने के 5 फायदे! जानें कैसे मिलता है आपकी सेहत को लाभ?
आम धारणा है कि रमजान के दौरान निर्जल उपवास रखने से सेहत पर बुरा असर पड़ता है, लेकिन क्या आप जानते हैं, कि पूरे रमजान मास रोजे रखना सेहत के लिए कितना फायदेमंद हो सकता है. आइये जानें रोजे किस तरह से हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करते हैं.
Ramadan 2022: आम धारणा है कि रमजान के दौरान निर्जल उपवास रखने से सेहत पर बुरा असर पड़ता है, लेकिन क्या आप जानते हैं, कि पूरे रमजान मास रोजे रखना सेहत के लिए कितना फायदेमंद हो सकता है. आइये जानें रोजे किस तरह से हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करते हैं. इस्लाम धर्म को मानने वाले लाखों लोग, जिसमें बच्चे से लेकर वृद्ध तक शामिल हैं, हजारों साल से भी पहले से रमजान के दरम्यान रोजे रखते आ रहे हैं.
कुछ लोगों को लगता है कि एक माह तक निर्जल उपवास रखकर हम तमाम किस्म की शारीरिक एवं मानसिक बीमारियों को दावत देकर अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ करते हैं. लेकिन सच क्या है, यह जानकर आप भी हैरान रह सकते हैं कि रोजा हमारी सेहत को नुकसान नहीं लाभ पहुंचाते हैं. यहां हम बात करेंगे कि रोजे रखने वालों को रोजा के दरम्यान और रोजा के पश्चात भी किन-किन 5 तरीकों से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं. आइये जानते हैं. यह भी पढ़े: Ramadan 2021: रमजान में खाए जाते हैं ये विभिन्न प्रकार के खजूर, जानें कौन से डेट्स एनीमिया और कब्ज के लिए हैं फायदेमंद
खजूर!
आध्यात्मिक वजहों से रमजान के दौरान हर इफ्तार की शुरुआत में तीन खजूर खाने की पुरानी परंपरा है. रोजा के महत्वपूर्ण पहलुओं में एक है सही मात्रा में ऊर्जा प्राप्त करना, और तीन खजूर में लगभग एक औंस से अधिक कार्बोहाइड्रेट होते हैं. इसके अलावा खजूर में प्रचुर मात्रा में फाइबर भी होता है, जिसकी वजह से पाचन तंत्र सुचारू रूप से कार्य करता है. खजूर में पोटेशियम, मैग्नीशियम और विटामिन बी जैसे महत्वपूर्ण तत्व होते हैं. जो शरीर को तमाम बीमारियों से बचाते हैं.
आपके मस्तिष्क की क्षमता को बढ़ाता है!
संयुक्त राज्य अमेरिका में वैज्ञानिकों द्वारा किए एक अध्ययन में पाया गया है कि रमजान के दौरान प्राप्त मानसिक ध्यान मस्तिष्क-व्युत्पन्न न्यूरोट्रॉफिक कारक (brain-derived neurotrophic factor) के स्तर को बढ़ाता है, जिससे शरीर अधिक मस्तिष्क कोशिकाओं का निर्माण करता है, इससे मस्तिष्क के कार्य-प्रणाली में सुधार होता है. इसी तरह, अधिवृक्क ग्रंथि (Adrenal gland) द्वारा उत्पादित हार्मोन कोर्टिसोल की मात्रा में एक कमी का मतलब है कि रमजान के दौरान और बाद में तनाव का स्तर बहुत कम हो जाता है.
बुरी आदतें छूटती हैं!
आप पूरे दिन आध्यात्मिक मन से उपवास रखते हैं. इस तरह आप पूरी निष्ठा के साथ बुरी आदतों से दूर रहने की कोशिश करते हैं. रमजान के दौरान धूम्रपान एवं शर्करा युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल नहीं किया जाता है. आप जितना ज्यादा दिन तक इनसे दूर रहते हैं, आपकी इच्छा उनसे खत्म होती जाती है, और आप जाने-अनजाने अपनी सेहत की रक्षा करते हैं. आप यह जानकर आश्चर्य करेंगे कि यूके की राष्ट्रीय सेवा समिति धूम्रपान छोड़ने के लिए रोजा को पूरी तवज्जो देती है.
कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण!
रमजान के दौरान वजन कम होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि वजन कम होने की पृष्ठभूमि में हमारे स्वास्थ्य पर कितना सकारात्मक असर पड़ता है? संयुक्त अरब अमीरात में ह्रदय रोग विशेषज्ञों की एक टीम ने पाया है कि रमजान का पालन करने वाले लोग अपने लिपिड प्रोफाइल पर पड़ रहे सकारात्मक प्रभाव को इन्जॉय करते हैं, यानी रक्त में कोलेस्ट्रॉल की कमी होती है. कम कोलेस्ट्रॉल ह्रदय को सेहतमंद बनाता है, जिसकी वजह से ह्रदय रोग, हार्ट अटैक एवं स्ट्रोक के जोखिम कम होते हैं. इसके अलावा, यदि आप रमजान के बाद स्वस्थ आहार का पालन करते हैं, तो इस नए कम कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बनाए रखना आसान हो जाता है.
विषाक्त पदार्थों को बाहर करता है!
आप आध्यात्मिक रूप से स्वयं को शुद्ध करने के लिए रोजे रखते हैं. इसी बहाने रमजान मास के रोजे आपके शरीर के लिए एक शानदार डिटॉक्स के रूप में कार्य करता है. पूरे दिन में निर्जल उपवास रखने से आपके शरीर (पाचन तंत्र) को पूरे महीने डिटॉक्सीफाई करने का दुर्लभ अवसर मिल जाता है.