Eid Milad un-Nabi 2020: अच्छी सेहत के लिए जानें पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब क्या कहते हैं, अच्छी फिटनेस के लिए 10 टिप्स!
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी 2019 (Photo Credits: File Image)
Prophet Muhammad (SAW) Health Tips: जिस एक दिन का पूरी दुनिया के मुसलमान समुदाय के लोगों को इंतजार रहता है वो दिन शुक्रवार को है. 12 रबी-उल-अव्वल गुरुवार शाम से शुरू होगा और शुक्रवार को ख़त्म होगा. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार ईद-ए-मिलाद-उन-नबी (ईद-ए-मिलाद) इस्‍लाम के तीसरे महीने रबी-अल-अव्वल की 12वीं तारीख, 571 ईं. के दिन पड़ता है. मान्‍यता है कि इस दिन पैगंबर हजरत मोहम्मद (SAW) का जन्म हुआ था, जिन्हें इस्लाम धर्म का संस्थापक माना जाता है. इस दिन मजलिसें लगती हैं, जिसमें पैगंबर मोहम्मद के पवित्र उपदेशों को पढ़ा और अनुग्रहित किया जाता है. इन उपदेशों में पैगंबर मुहम्मद ने सेहत संबंधी तमाम जानकारियां भी दी हैं, जिनका उल्लेख कुरान में भी है. इस्लाम अपने अनुयायियों को सेहतमंद जीवन शैली और तमाम शिष्टाचार सिखाता है.
मुहम्मद पैगंबर ने अपने उपदेशों में लोगों को स्वच्छ और स्वस्थ खाने की आदतों को विकसित करने की बात कही है. उन्होंने कुरान में कई जगह साझा किया है कि आप कैसे एक प्राकृतिक एवं सेहतमंद जीवन जी सकते हैं. यहां कुरान में ही उल्लेखित सेहतमंद जीवन से जुड़े 10 टिप्स बताये जा रहे हैं.
 1 - संयम से खायें
पैगंबर मुहम्मद ने बीमारियों से बचने के लिए कम खाने के अभ्यास पर जोर दिया, जिसे आज डॉक्टरों का भी समर्थन प्राप्त है. संयम से खाने की इस्लामी प्रथा के अनुसार आपके पेट में एक तिहाई भाग भोजन, एक तिहाई द्रव और एक तिहाई जगह सांस के आने-जाने के लिए उपलब्ध होना चाहिए. पिछले 20 वर्षों के शोध से पता चलता है कि ध्यान और संयम से खाना खाने से आप ओवर इटिंग से बचते हैं, और अपना वजन नियंत्रण में रख सकते हैं. इससे खानपान की समस्याओं से निपटने में मदद मिलती है.
2- धीरे-धीरे चबाकर खायें
उल्लेखित है कि पैगंबर मुहम्मद ने पाचन प्रक्रिया को मदद करने के लिए धीमी गति से खाने की द्दढ़ता से वकालत की है. ध्यान रहे कि शरीर को मस्तिष्क तक अपनी बात पहुंचाने में करीब 20 मिनट का समय लगता है कि हां हमारा पेट भरा हुआ है. धीमी गति से खाने से पेट को भोजन पचाने में मदद मिलती है, क्योंकि चबा-चबा कर भोजन करने से पाचन क्रिया सुचारु रूप से कार्य करती है और इसके लिए पेट या आंत को अतिरिक्त ऊर्जा खर्च नहीं करनी पड़ती.
3- खेलकूद में भाग लें
इस्लाम में स्वस्थ शरीर के लिए खेलकूद जरूरी बताया गया है. तीरंदाजी, तैराकी, घुड़सवारी जैसे खेलों को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाता है. इस्लाम ने व्यायाम को हमेशा से प्रोत्साहित किया है. पैगंबर मुहम्मद ने कहा है कि, 'एक स्वस्थ आस्तिक एक कमजोर आस्तिक की तुलना में ईश्वर के लिए बेहतर और प्रिय होता है. हालांकि दोनों ही उसे प्यारे हैं. जो शारीरिक रूप से मजबूत होता है, वह ईश्वर के सामने बेहतर होता है, क्योंकि पूजा-अर्चना में वह अधिक सक्रिय और ऊर्जावान रहता है, और दूसरों की जरूरतों का भी ख्याल रखता है.
4- नींद और नमाज (प्रार्थना)
पैगंबर मुहम्मद ने पर्याप्त नींद की भी सिफारिश की है. उन्होंने खुद को न कभी नींद से वंचित किया और ना ही जरूरत से ज्यादा सोया.  उन्होंने सलाह दी कि रात में जल्दी सोकर सुबह जल्दी उठने की कोशिश करनी चाहिए. वैज्ञानिक शोधों से पता चलता है कि जल्दी बिस्तर पर जाने से स्वस्थ वजन बनाए रखने, अधिक ऊर्जावान रहने, मधुमेह, मोटापा और हृदय रोग जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता है.  नमाज और प्रार्थना उन पांच बुनियादी जरूरतों में से एक है, जिन्हें नियमित करने के लिए एक मुस्लिम बाध्य है. एक हदीस के अनुसार पैगंबर मुहम्मद ने कहा है कि नमाज एक नियमित इलाज है. साल भर इसे करने से शरीर को लाभ पहुंचता है. मसलन हाथ और कंधे की मांसपेशियों की सक्रियता बढ़ती है, रक्त प्रवाह सुचारु रहता है, जिससे ह्रदय को एवं शरीर के सभी ऊतकों को ताजा रक्त की आपूर्ति होती है. प्रार्थना के दौरान जो व्यायाम हमसे खुद-ब-खुद हो जाता है, वह हमारे ह्रदय के लिए बेहतर है.
5- भोजन साझा करें
पैगंबर मुहम्मद ने अपने अनुयायियों को बताया है कि जीवन में अच्छी चीजों में ज्यादा लिप्त होने के बजाय शेयर करने से ज्यादा लाभ होता है. उन्होंने कहा कि वह उसे कभी आस्तिक नहीं मानते, जो भरपेट खाता है और उसका पड़ोसी बिना भोजने किये भूखा सो जाता है. पैगंबर मोहम्मद ने पड़ोसियों, मित्रों और गरीबों के साथ मिलकर भोजन करने की प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया है.  यह सिद्धांत आम जनता को सेहतमंद रखता है और पैगंबर मुहम्मद ऐसे विचार रखने वालों को आभार प्रकट करते हैं.
6- एक मजबूत समुदाय को बढावा
पैगंबर मुहम्मद ने मुसलमानों को एक साथ खाने के मूल्य और महत्व को बताया. उन्होंने कहा कि आपस में बेहतर तालमेल बनाने के लिए परिवार को बच्चों के साथ मिलकर भोजन करना चाहिए. अमूमन मिलजुल कर भोजन करते समय एक अलग ही किस्म की शांति मिलती है, और साथ ही सामाजिक सद्भाव और समझदारी दिखती है. पैगंबर ने कहा कि एक अलग-थलग नहीं बल्कि मिलजुल कर भोजन करने से एक दूसरे के प्रति स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त होता है.
7- उपवास
पिछले दिनों हुए शोधों से पता चलता है कि हम जो खाद्य पदार्थ खाते हैं और समय पर खाते हैं, उससे हमारे स्वास्थ्य पर अनुकूल असर पड़ता है. पैगंबर मुहम्मद के अनुसार सिर्फ रमजान के दौरान रोजा नहीं होता है, बल्कि सोमवार, गुरुवार, और 13, 14, तथा हर इस्लामी महीने के 15 तारीख को भी रोजा रखा जाता है. दिन के बीच में उपवास रखने की प्रक्रिया भी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, क्योंकि इससे शररी को कई लाभ मिलता है. उपवास वजन घटाने में मदद करता है, इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करता है, चयापचय को गति देता है, तथा भूख पर अंकुश लगाता है, खाने के पैटर्न में सुधार करता है, मस्तिष्क के कार्य को बढ़ाता है, और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ा देता है.
8- दांतों की सफाई 
पैगंबर मुहम्मद सोने से पहले और सुबह उठने के बाद दांतों की सफाई को आवश्यक बताते हैं. आज भी नीम के दातून का उपयोग टूथब्रश के रूप में किया जाता है. पैगंबर मुहम्मद ने आस्था के संबंध में स्वच्छता और व्यक्तिगत स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया. हाल में हुए स्वास्थ्य शोधों से पता चलता है कि 70 प्रतिशत लोग खराब दांतों के कारण ह्रदय की बीमारियों से ग्रस्त रहते हैं.
9- धीरे-धीरे पानी पीएं
पैगंबर ने कहा कि ऊंट की तरह एक घूंट में पानी नहीं पीना चाहिए. इसके बदले छोटे-छोटे घूंट लेकर पानी पीना चाहिए. वैज्ञानिक शोधों से पता चलता है आज, जब कोई व्यक्ति जल्दबाजी में बहुत तेजी से पानी पीता है, तो उसके रक्त ग्लुकोज का स्तर असंतुलित होता है और उसे चक्कर आता है. इसलिए धीरे-धीरे पानी पीएं ताकि यह आपके शरीर को तरल पदार्थों को अवशोषित करने में मदद करे.
10- मानसिक स्वास्थ्य 
पैगंबर मुहम्मद ने अपने अनुयायियों को सिखाया है कि जीवन शांत दिमाग जीवन में सापेक्ष परिवर्तन लाते हैं. वे चेतावनी देते हैं कि कोई भी इंसान चिंता, अवसाद अथवा क्रोध से खुद को दूर रखे. पैगंबर मुहम्मद जानते हैं कि एक व्यक्ति अपने क्रोध को नियंत्रित रखकर जीवन को नियंत्रित कर सकता है. पैगंबर मुहम्मद ने बताया कि शक्तिशाली आदमी दो तरह के हो सकते हैं, एक जो अखाड़े में अपने शक्ति का प्रदर्शन कर कुस्ती करता है, दूसरा वह जो अपने क्रोध पर नियंत्रण रखते हुए उसे शांत कर सकता है. क्रोध सभी दुर्गुणों के द्वार खोलता है, और अगर इस पर नियंत्रण कर लिया जाए तो सभी अच्छे गुणों के द्वार खुल जाते हैं. सेहत पर हुए अध्ययनों से पता चलता है कि क्रोध से ह्रदयाघात की संभावना बढ़ती है, और प्रतिरक्षा प्रणाली भी कमजोर होती है.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.