Men's Health Week 2020: पुरुषों में आत्महत्या की दर महिलाओं की अपेक्षा अधिक, जानें उनके मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा करना क्यों है जरूरी
पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य और सोशल स्टिग्मा को नजरअंदाज कर हमेशा उनसे भावनात्मक तौर पर मजबूत होने की उम्मीद की जाती है, क्योंकि भावनात्मक कमजोरी को उनकी कायरता के रूप में देखा जाता है. कई बार पुरुष अंदर से इस कदर टूट जाता है कि वो आत्महत्या जैसा कदम उठाने को मजबूर हो जाता है. पुरुषों की स्वास्थ्य समस्याओं पर चर्चा के लिए 15-21 जून तक पुरुष स्वास्थ्य सप्ताह के तौर पर मनाया जाता है.
Men's Health Week 2020: बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) ने 14 जून को अपने घर में खुदकुशी (Suicide) कर ली, ग्लैमर इंडस्ट्री के एक चमकते सितारे द्वारा उठाए गए इस कदम ने हर किसी को सन्न कर दिया. इसके साथ ही इस घटना से पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं. दरअसल, पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य (Men's Mental Health) और सोशल स्टिग्मा (Social Stigma) को नजरअंदाज कर हमेशा उनसे भावनात्मक तौर पर मजबूत होने की उम्मीद की जाती रही है, क्योंकि भावनात्मक कमजोरी को उनकी कायरता के रूप में देखा जाता है. कई बार पुरुष अंदर से इस कदर टूट जाते हैं कि वो आत्महत्या जैसा कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं. आखिर पुरुषों में आत्महत्या की दर अधिक क्यों है और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा करना क्यों जरूरी है? चलिए विस्तार से जानते हैं.
पुरुषों के स्वास्थ्य समस्याओं (Men's Health Issue) पर चर्चा करने के लिए 15-21 जून तक पुरुष स्वास्थ्य सप्ताह (Men's Health Week) मनाया जाता है. आत्महत्या के विचार, अवसाद जैसे प्रमुख मानसिक स्वास्थ्य मुद्दे पुरुषों को उसी तरह से प्रभावित करते हैं जैसे कि महिलाओं को, लेकिन पुरुष इसे व्यक्त करने में असमर्थ होते हैं. हमने जो इकोसिस्टम बनाया है, उसमें पुरुषों के संघर्ष के प्रति पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) के वर्तमान वैश्विक आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में महिलाओं की अपेक्षा पुरुष आत्महत्या की दर अधिक है. यह देखा गया है कि जहां महिलाओं के मन में आत्महत्या जैसे ख्याल आते हैं तो वहीं पुरुषों में खुदकुशी करने की संभावना अधिक होती है. यहां कुछ कारण दिए गए हैं जो पुरुषों में उच्च आत्महत्या दर और उनसे निपटने के तरीकों में एक योगदान कारक के रूप में कार्य कर सकते हैं.
भावनाओं को व्यक्त न करना
अपनी भावनाओं को व्यक्त न कर पाना पुरुषों में आत्महत्या की दर अधिक होने के सबसे बड़े कारकों में से एक है. दरअसल, पुरुषों का भावनात्मक रूप से मजबूत होना उनकी मर्दानगी की निशानी माना जाता है और भावनात्मक रूप से कमजोर पुरुष को बहुत कमजोर या स्त्री के समान माना जाता है.
सोशल स्टिग्मा
पुरुषों द्वारा सामना किए जाने वाले मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों में सोशल स्टिग्मा का काफी योगदान होता है. दरअसल, पुरुषों को सोशल स्टिग्मा के कारण कई बार अपनी भावनाओं को त्यागना पड़ता है, जिसका परिणाम यह होता है कि इससे पुरुषों को अक्सर आत्महत्या जैसे विचार आने लगते हैं.
मानसिक स्वास्थ्य समस्या
अवसाद, चिंता और अन्य मानसिक स्वास्थ्य स्थितियां वास्तविक हैं. ये मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं पुरुषों को बहुत प्रभावित करती हैं. इससे निपटने के लिए मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े लक्षणों को पहचानना और उसका समय पर इलाज करना बेहद जरूरी है.
मदद न मिलना
मानसिक स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे पुरुषों को उबरने के लिए दोस्त, साथी या परिवार वालों के मदद की जरूरत होती है, लेकिन समय पर मदद न मिल पाना उनकी मानसिक स्वास्थ्य स्थिति को और खराब कर सकता है. पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लेते हुए सरकार को बुनियादी ढांचा बनाने में अधिक निवेश करने की आवश्यकता है, जो लोगों की मदद के लिए अधिक सुलभ हो सकें.
बेरोजगारी की समस्या
पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले सबसे बड़े कारणों बेरोजगारी भी शामिल है. पुरुषों में बेरोजगारी को कमजोरी के संकेत को रूप में देखा जाता है. पुरुषों को परिवार का भरण-पोषण करने वाला माना जाता है और अपने परिवार वालों की जरूरतों को पूरा करने के लिए वे अक्सर खुद को हरा देते हैं. यह भी पढ़ें: International Men’s Health Week 2019: स्वस्थ रहने के लिए पुरुषों को 30 साल की उम्र के बाद जरूर कराने चाहिए ये 10 टेस्ट
क्या किया जा सकता है?
बात करना है जरूरी: मानसिक स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे पुरुषों को इससे उबारने के लिए उनसे बात करना बेहद जरूरी है. अगर आपके आसपास कोई व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहा है तो उससे बात करें और उन्हें इससे बाहर निकालने की कोशिश करें.
व्यावसायिक मदद: जिस तरह से शारीरिक स्वास्थ्य के लिए समय-समय पर डॉक्टरी जांच कराई जाती है, ठीक उसी तरह से नियमित तौर पर मानसिक स्वास्थ्य की जांच कराना भी आवश्यक है. आप अपने मानसिक स्वास्थ्य की जांच के लिए किसी विशेषज्ञ की मदद ले सकते हैं.
उनका साथ दें: अगर आपका कोई दोस्त, रिश्तेदार किसी तरह की मानसिक स्वास्थ्य समस्या से गुजर रहा है तो ऐसी स्थिति में उनका साथ न छोड़ें. उन्हें मानसिक स्वास्थ्य समस्या से उबारने में आपका साथ काफी मददगार साबित हो सकता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, साल 2017 में पुरुषों की आत्महत्या दर महिलाओं की तुलना 3.5 गुना अधिक थी. रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि आत्महत्या दुनिया भर में होने वाली पुरुषों की मौत के कुल मामलों में आधे से ज्यादा के लिए आत्महत्या को ही जिम्मेदार माना जाता है, इसलिए पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और इससे बाहर निकलने के उपायों पर जोर देना चाहिए.