गुप्त नवरात्रि: सनातन धर्म के अनुसार माघ मास पवित्र नदियों और सरोवरों में स्नान, दान और ध्यान के लिए सर्वोत्तम होता है. इसी माह गुप्त नवरात्रियों (Gupt Navratri) का भी आयोजन होने के कारण माघ माह का महात्म्य बढ़ जाता है. गुप्त नवरात्रियों में साधू संन्यासी, अघोरी और तांत्रिक ध्यान और साधना करके दिव्य शक्तियां प्राप्त करते हैं और उसका प्रयोग मानवहित में करते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार गु्प्त नवरात्रि तंत्र-मंत्र और सिद्ध करने वाली होती हैं, गुप्त नवरात्रि में तंत्र-मंत्र की महाविद्याओं की प्राप्ति के लिए मां दुर्गा की उपासना की जाती है. मान्यता है कि माघ मास की नवरात्रि की विशेष पूजा करके तमाम असाध्य रोगों और अन्य संकटों से भी मुक्ति पाई जा सकती है.
कब है गुप्त नवरात्रि?
हिंदू समाज में चैत्रीय नवरात्रि और शरद नवरात्रि (Sharad Navratri) ही विशेष रूप से लोकप्रिय हैं, इस नौ दिनों के उत्सव को देश के विभिन्न अंचलों में भिन्न-भिन्न और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है. लेकिन वास्तव में साल में कुल चार नवरात्रियां मनाई जाती हैं. चैत्र नवरात्रि, आषाढ़ नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि एवं माघ नवरात्रि. माघ एवं आषाढ़ मास की नवरात्रि 'गु्प्त नवरात्रि' के नाम से जाने जाते हैं. इनका आयोजन मुख्यतः साधु-संन्यासी, अघोरी और तांत्रिक इत्यादि करते हैं, इसीलिए इस नवरात्रि की जानकारी आम लोगों को नहीं होती. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार माघ मास की गुप्त नवरात्रि 12 फरवरी 2021 से शुरु होकर 21 फरवरी 2021 तक चलेगी. यह भी पढ़ें : Mauni Amavasya 2021: यूपी के प्रयागराज और वाराणसी में मौनी अमावस्या के मौके पर श्रद्धालुओं ने संगम में लगाई पवित्र डुबकी, देखें तस्वीरें
गुप्त नवरात्रि का रहस्य?
गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की 'दिव्य शक्तियों' के रूप में पूजा की जाती है. यह पूजा-उपासना एकांत स्थलों विशेषकर नदी तटों पर गुप्त तरीके से की जाती है. पूजा का आयोजन साधु-संन्यासियों, तांत्रिकों एवं अघोरियों द्वारा शक्ति की देवी दुर्गा (devi Durga) को प्रसन्न करके तंत्र साधना के लिए किया जाता है. इस दरम्यान तमाम तरह के गुप्त अनुष्ठान, हवन एवं यज्ञ इत्यादि किए जाते हैं. चूंकि इस पूजा में तंत्र-मंत्र से सिद्धी हासिल करने के लिए होती है, इसलिए इसकी पूजा-अनुष्ठान आम लोगों से दूर एकांत में किया जाता है, क्योंकि गोपनीय तरीके से की गयी पूजा के पश्चात ही सिद्धियां हासिल होती हैं, इसीलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के जिन नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, वे हैं क्रमशः मां कालिके, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता चित्रमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूम्रवती, माता बगलामुखी, मातंगी, कमला देवी.
पूजा विधि एवं सामग्री
गुप्त नवरात्रि की पूजा शुरु करने से पहले पूजा की सारी सामग्रियों की व्यवस्था कर लेनी चाहिए. इसमें प्रमुख हैं मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, साबूत सुपारी, हल्दी की गांठ, पिसी हुई हल्दी, लकड़ी का पाटा, बैठने के लिए आसन, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, सिंदूर, केसर, कपूर, जौ, धूप, वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, आम के पत्तों से बना बंदनवार, लाल पुष्प, बेलपत्र, कमलगट्टा, जौ, बंदनवार, दीपक, धूप, नैवेद्य, मधु, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, जावित्री, नारियल, आसन, रेत, मिट्टी, पान, लौंग, इलायची, मिट्टी या पीतल का कलश, हवन सामग्री, पूजन के लिए थाली, श्वेत वस्त्र, दूध, दही, ऋतुफल, सरसों, गंगाजल आदि. मान्यता है कि यह पूजा सभी नौ दिनों तक अर्धरात्रि में तांत्रिक और अघोरियों द्वारा सम्पन्न की जाती है. सर्वप्रथम कलश स्थापना करके एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित कर अखण्ड ज्योति प्रज्जवलित करते हैं, जिसे नौ दिनों तक निरंतर जलना जरूरी होता है. दुर्गा मां को लाल सिंदूर और सुनहरे गोटे वाली चुनरी अर्पित करते हैं. मां दुर्गा के चरणों में पूजा सामग्री के साथ लाल पुष्प चढ़ाते हैं. सरसों के तेल का दीप जलाकर 'ॐ दुं दुर्गायै नमः' मंत्र का जाप करते हैं. यद्यपि 'शक्ति' की यह पूजा साधु-संन्यासी, तांत्रिक एवं अघोरी अपने-अपने रीति-रश्मों के अनुरूप करते हैं. पूजा-अनुष्ठान करने वालों के लिए व्रत रखना अनिवार्य होता है. यह भी पढ़ें : Things To Do on Thursday: भगवान विष्णु को प्रसन्न रखने के लिए बृहस्पतिवार के दिन इन कार्यों से बचें और ये कार्य जरूर करें, घर में होगी बरक्कत
गुप्त नवरात्रि 2021 तिथि और कलश स्थापना शुभ मुहूर्त-
नवरात्रि प्रारंभ 12 फरवरी (शुक्रवार) 2021 दिन
नवरात्रि समाप्त 21 फरवरी (रविवार) 2021 दिन
कलश स्थापना मुहूर्त- सुबह 08.34 से 09.59 बजे तक.