Gita Jayanti 2022 Date: कब और क्यों मनाते हैं गीता जयंती? जानें इसका महात्म्य, पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त?

हिंदू धर्म से जुड़े तमाम पवित्र ग्रंथ हैं, मसलन, वेद, पुराण, गीता, श्रीराम चरितमानस, वाल्मीकि रामायण, आदि आदि, लेकिन जहां तक किसी हिंदू धर्म ग्रंथ की जयंती मनाने की बात है तो इसका गौरव केवल श्रीमद् भागवद गीता को ही प्राप्त है, क्योंकि इसमें मानव जीवन से जुड़ी तमाम समस्याओं का समाधान विस्तार से उल्लेखित किया गया है, जो आज के दौर में भी उतना ही सामयिक है.

Gita Jayanti (Photo: file photo )

हिंदू धर्म से जुड़े तमाम पवित्र ग्रंथ हैं, मसलन, वेद, पुराण, गीता, श्रीराम चरितमानस, वाल्मीकि रामायण, आदि आदि, लेकिन जहां तक किसी हिंदू धर्म ग्रंथ की जयंती मनाने की बात है तो इसका गौरव केवल श्रीमद् भागवद गीता को ही प्राप्त है, क्योंकि इसमें मानव जीवन से जुड़ी तमाम समस्याओं का समाधान विस्तार से उल्लेखित किया गया है, जो आज के दौर में भी उतना ही सामयिक है. भगवद गीता के रूप में भगवान श्रीकृष्ण ने इस जगत को एक महान आशीर्वाद प्रदान किया है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्लपक्ष की एकादशी को गीता जयंती (3 दिसंबर 2022, शनिवार) मनाई जाती है. आइये जानें इस संदर्भ में विस्तार से..

गीता जयंती का महात्म्य?

श्रीमद् भगवद गीता हिंदु धर्म के सर्वाधिक पवित्र ग्रंथों में एक, जिसकी सामयिकता आज भी है. इस पुस्तक के महात्म्य के बारे में कहा जाता हैकि भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध के दौरान अर्जुन को भगवद् गीता की शिक्षा दी थी. महाभारत की समर भूमि में भगवान श्रीकृष्ण ने भगवद गीता में एकेश्वरवाद के साथ-साथ कर्म योग, ज्ञान योग और भक्ति योग पर हैरान कर देने वाले प्रवचन का उल्लेख है. इसके साथ ही इसमें यम-नियम एवं धर्म-कर्म की भी चर्चा है. भगवद् गीता एकमात्र ऐसा धर्म ग्रंथ है, जिसमें केवल एक ब्रह्म अथवा ईश्वर का उल्लेख किया गया है. गीता जयंती का उत्सव भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में मनाया जाता है. यह भी पढ़ें : Rule Change in December 2022: पहली दिसंबर से घट सकती है एलपीजी की कीमत! रुक सकती है पेंशन! जानें ऐसे ही कुछ आवश्यक नियम!

गीता जयंती पर पूजा विधि

मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु जी के साथ ही भगवान श्रीकृष्ण, महर्षि वेदव्यास और श्रीमद्भगवद गीता की भी पूजा का विधान है. बहुत सारे लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं. एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान करें. भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष हाथ जोड़कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. इसके बाद विष्णु जी के सा भगवान श्रीकृष्ण की विधि-विधान से पूजा प्रारंभ करें. विष्णु जी एवं कृष्ण जी की प्रतिमा के समक्ष धूप-दीप प्रज्वलित करें. रोली, अक्षत, पीला चंदन, खोये की मिठाई, पीला पुष्प अर्पित करते हुए निम्न मंत्र का जाप करें.

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

ॐ विष्णवे नम:

ॐ हूं विष्णवे नम:

ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।

श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।

ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।

अंत में भगवान विष्णु जी की आरती उतारें और सभी को प्रसाद वितरण करें.

गीता जयंती तिथि एवं शुभ मुहूर्त

मार्गशीर्ष एकादशी प्रारंभः 05.39 AM (03 दिसंबर 2022, शनिवार) से

मार्गशीर्ष एकादशी समाप्तः 05.34 AM (04 दिसंबर 2022, रविवार) तक

ऐसी स्थिति में उदयातिथि के अनुसार गीता जयंती 3 दिसंबर 2022 को मनाई जायेगी.

रवि योग में मनाई जाएगी गीता जयंती

इस वर्ष गीता जयंती पर रवि योग का निर्माण हो रहा है. 03 दिसंबर, 2022, शनिवार को रवि योग सुबह 07.04 बजे शुरू होकर अगले दिन 04 दिसंबर को सुबह 06.16 बजे तक रहेगा. बता दें कि रवि योग किसी भी तरह के अमंगल को दूर कर शुभता प्रदान करता है.

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