Gadge Maharaj Punyatithi 2022: शिक्षा, स्वच्छता एवं सामाजिक समरसता के प्रतीक थे संत गाडगे जी, जानें उनके जीवन के फैक्ट्स!
महाराष्ट्र संतों का राज्य माना जाता है. इस भूमि पर कई महान संतों ने जन्म लिया है, इसी में में एक थे संत गाडगे जी महाराज, जिन्होंने ताउम्र शिक्षा, स्वच्छता एवं सामाजिक समरसता का ज्ञान दिया
Gadge Maharaj Punyatithi 2022: महाराष्ट्र संतों का राज्य माना जाता है. इस भूमि पर कई महान संतों ने जन्म लिया है, इसी में में एक थे संत गाडगे जी महाराज, जिन्होंने ताउम्र शिक्षा, स्वच्छता एवं सामाजिक समरसता का ज्ञान दिया. उनका मानना था कि शिक्षा के लिए हो सके तो खाने के बर्तन बेच दो, टूटे-फूटे घर में रहकर गुजारा कर लो, लेकिन शिक्षा में व्यवधान मत आने दो. यह भी पढ़े: Sant Gadge Maharaj jayanti: समाज से भेदभाव मिटाकर लोगों को जीना सिखाया, जानिए उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ रोचक बातें
संत गाडगे जी महाराज का जन्म 23 फरवरी 1876 को महाराष्ट्र के अंजनगांव (अमरावती) के सुरजी तालुका के शेडगाओ ग्राम में एक धोबी के परिवार में हुआ था. ज्ञानार्जन से उन्हें जो पैसे प्राप्त होते थे, उससे गांव में स्कूल, धर्मशाला, अस्पताल और जानवरों के रहने योग्य घर बनवाते थे. गाडगे महाराज लोगो को कठिन परिश्रम, साधारण जीवन और परोपकार की भावना का पाठ पढ़ाते थे और हमेशा जरूरतमंदों की सहायता करने को कहते थे. उन्होंने अपनी पत्नी और अपने बच्चों को भी उसी राह पर चलने को कहा. संत गाडगे जी महाराज की 66वीं पुण्य-तिथि पर जानें उनके जीवन के रोचक तथ्य...
* यह बात कम लोगों को ज्ञात होगा कि गाडगे महाराज का वास्तविक नाम देबूजी झिंगराजी जानोरकर था.
* संत गाडगे जी महाराज को चित्रों में अकसर सर पर उल्टी कड़ाही एवं झाड़ू लेकर यात्रा करते देखा जाता है. उन्हें साफ-सफाई का इतना शौक था कि वे जब किसी गांव में प्रवेश करते, वहां की गंदी गलियों की सफाई शुरू कर देते हैं.
* गाडगे जी महाराज अकसर भिखारी के रूप में ही रहते थे. लोगों से दान के रूप में उन्हें जो पैसा मिलता था, उसे वह अकसर शिक्षण संस्थानों, अस्पतालों, पशु आश्रय आदि के निर्माण के लिए दान कर देते थे.
* गाडगे जी महाराज अत्यंत विद्वान व्यक्ति थे. अंधविश्वास एवं रूढ़िवादी अनुष्ठानों के खिलाफ लोगों को शिक्षित करने के लिए गांवों में कीर्तन आदि का आयोजन करते थे. संत गाडगे बाबा लोगों के साथ अपने ज्ञान को साझा करने के लिए दोहों आदि का उपयोग करते थे और उन्हें करुणा, सहानुभूति तथा मानवता सिखाते थे,
* संत गाडगे जी महाराज ने लोगों को सिखाई थी कि धार्मिक उद्देश्यों के लिए जानवरों की बलि देने की सदियों पुरानी प्रथा को बंद करना और शराब के उपयोग के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाया.
* संत गाडगे जी महाराज ने लोगों को ज्ञान देने के लिए अपनी पत्नी एवं तीन बच्चों को छोड़ दिया था.
* बहुत कम लोगों को पता होगा कि संत गाडगे जी महाराज बाबा डॉ भीमराव अंबेडकर से प्रभावित थे, वह बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की कार्यशैली, उनके व्यक्तित्व और स्वतंत्रता के पश्चात राजनेता के रूप में उभरने के तरीके से बहुत प्रभावित थे.
संत गाडगे जी महाराज को स्वच्छता एवं साफ-सफाई में उनके महत्वपूर्ण योगदान, तथा उनके कार्य करने के लिए आज भी याद किया जाता है. भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक राष्ट्रीय पुरस्कार शुरू किया था. संत गाडगे जी महाराज का निधन 20 दिसंबर 1956 को हुआ था. भारतीय इतिहास के महान संत गाडगे जी ने अमरावती में पेढ़ी नदी के तट पर अपने पैतृक गांव में अंतिम सांस ली. गाडगे जी महाराज अपने पीछे एक अतुलनीय विरासत छोड़ गये हैं.