First Solar Eclipse 2025: सूर्य ग्रहण देखने के लिए आंखों का ध्यान रखें! जानें दुनिया भर में सूर्य ग्रहण को लेकर चौंकाने वाली मान्यताएं!
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शनिवार 29 मार्च 2025 को साल का पहला सूर्य ग्रहण लग रहा है. नासा के अनुसार सूर्य ग्रहण का शानदार नजारा उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, ग्रीनलैंड, यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी एशिया और आइसलैंड में रहने वाले लोग देख सकेंगे. दुर्भाग्यवश पिछले चंद्र ग्रहण की तरह यह सूर्य ग्रहण भी भारत में नहीं देखा जा सकेगा. बता दें कि यह खगोलीय घटना तब होती है, जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है, और पृथ्वी पर उसकी छाया पड़ती है, जिसकी वजह से सूर्य की रोशनी आंशिक रूप से अवरुद्ध हो जाती है. आइये जानते हैं यह सूर्य ग्रहण कब और कहां देखा जा सकता है, तथा भारत समेत अन्य देशों में सूर्य ग्रहण को लेकर क्या मान्यताएं हैं.

सूर्य ग्रहण 2025: सुरक्षित तरीके से कैसे देखें?

सूर्य ग्रहण एक विस्मयकारी घटना है, और बहुत से लोग इस खगोलीय घटना को देखने की उत्सुकता रहती है, लेकिन उचित सुरक्षा के बिना सूर्य ग्रहण देखना जोखिम भरा है, क्योंकि सीधे सूर्य के संपर्क में आने से आपकी आंखें हमेशा के लिए या आंशिक रूप से खराब हो सकती हैं. सूर्य ग्रहण को सुरक्षित तरीके से देखने के लिए सोलर व्यूइंग फिल्टर या ग्रहण चश्मे का उपयोग करें. नियमित धूप के चश्मे पर्याप्त सुरक्षा प्रदान नहीं करते हैं, इसलिए सूर्य ग्रहण देखने के लिए उनका इस्तेमाल करने से बचें. यह भी पढ़ें : Papmochani Ekadashi 2025: पापमोचनी एकादशी पर भगवान विष्णु की व्रत-पूजा के साथ करें ये 6 उपाय! दूर हो सकते हैं सारे संकट!

सूर्य ग्रहण 2025: कब और कहाँ देखें (भारतीय समयानुसार, IST)

• ग्रहण शुरू: दोपहर 02.20 PM (IST)

• अधिकतम ग्रहण: शाम 04.17 PM (IST)

• ग्रहण समाप्त: शाम 06.13 PM (IST)

• कुल अवधि: लगभग चार घंटे।

भारतः  भारत में सूर्य ग्रहण को धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है. कुछ लोग इसे अशुभ मानते हैं, और ग्रहण के दौरान विशेष पूजा, व्रत और स्नान आदि करने की परंपरा निभाते है. कुछ लोग ग्रहण के दौरान खाना-पीना बंद कर देते हैं.

चीनः चीन में सूर्य ग्रहण को एक बड़ा खगोलीय घटना माना जाता है, प्राचीनकाल में इसे ‘आकाश के हिलने’ के रूप में देखा जाता था. चीनी संस्कृति में मान्यता है कि सूर्य ग्रहण तब होता है, जब आकाश का ड्रैगन सूर्य को खा जाता है, हालांकि, आजकल यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाता है और इसे उत्सुकता और अध्ययन के नजरिए से देखा जाता है.

जापानः जापान में सूर्य ग्रहण को एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना माना जाता है, लेकिन पारंपरिक जापानी मान्यताओं में इसे अशुभ नहीं माना जाता. यहां सूर्य ग्रहण का अध्ययन किया जाता है, और कुछ लोग इसे सौभाग्य का संकेत के रूप में भी मानते हैं.

पश्चिमी देशों (जैसे अमेरिका, यूरोप): पश्चिमी देशों में सूर्य ग्रहण को एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाता है. यहां इसे खगोल शास्त्र के अध्ययन का हिस्सा माना जाता है. इसलिए कोई विशेष धार्मिक या सांस्कृतिक मान्यताएँ नहीं होतीं.

अफ्रीका के कुछ जगहों परः सूर्य ग्रहण को डर और रहस्य से जुड़ी घटनाओं के रूप में देखा जाता है. कुछ जनजातियाँ इसे देवताओं का संदेश मानती हैं और इसे अशुभ मानती हैं, जबकि अन्य इसे एक धार्मिक या सांस्कृतिक अवसर के रूप में देखती हैं.

दक्षिण अमेरिका

दक्षिण अमेरिका में भी सूर्य ग्रहण को प्राचीन काल में धार्मिक या सांस्कृतिक घटना के रूप में देखा जाता था. इंडियन सभ्यता में, सूर्य ग्रहण को सूर्य देवता के असंतुलन के रूप में देखा जाता था और इसे पुनः संतुलन प्राप्त करने के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते थे.