दही हांडी का त्योहार कब है? जानिए कैसे हुई थी इस परंपरा की शुरुआत और क्या है इसका महत्व

इस बार दो दिन तक जन्माष्टमी मनाए जाने के कारण दही हांडी का उत्सव 25 अगस्त को मनाया जाएगा. दही हांडी के अवसर पर गोविंदा एक-दूसरे पर चढ़कर मानव पिरामिड बनाते हैं और ऊंचाई पर टंगी दही और माखन से भरी हांडी को फोड़ते हैं.

दही हांडी 2019 (Photo Credits: Flickr/ Wikipedia)

Dahi Handi 2019 Date: कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) के अगले दिन दही हांडी (Dahi Handi) का त्योहार मनाया जाता है. दही हांडी का उत्सव कान्हा की बाल लीलाओं पर समर्पित होता है. इस साल दो दिन जन्माष्टमी (Janmashtami) का पर्व मनाया जा रहा है. 23 अगस्त को जन्माष्टमी का पर्व गृहस्थ जीवन वाले लोग मना रहे हैं तो 24 अगस्त को वैष्णव संप्रदाय वाले साधु-संत कान्हा का जन्मोत्सव मनाएंगे. दही हांडी का त्योहार (Dahi Handi Festival) जन्माष्टमी के एक दिन बाद मनाया जाता है ऐसे में इस उत्सव को 25 अगस्त (25th August) को मनाए जाने की तैयारी है. जन्माष्टमी कृष्ण के जन्म के जन्मोत्सव की खुशियां मनाने का पर्व है, जबकि दही हांडी उनकी बाल लीलाओं की झांकी दिखाने वाला उत्सव है. इस दिन गोविंदाओं को टोली पिरामिड बनाकर दही और माखन से भरी हांडी तोड़ते हैं.

कब है दही हांडी उत्सव?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की मध्य रात्रि रोहिणी नक्षत्र में भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में आठवां अवतार लिया था. इस बार दो दिन तक जन्माष्टमी मनाए जाने के कारण दही हांडी का उत्सव 25 अगस्त को मनाया जाएगा. दही हांडी के अवसर पर गोविंदा एक-दूसरे पर चढ़कर मानव पिरामिड बनाते हैं और ऊंचाई पर टंगी दही और माखन से भरी हांडी को फोड़ते हैं. यह भी पढ़ें: Dahi Handi 2019 Wishes: गोविंदा आला रे... अपने प्रियजनों को WhatsApp Stickers, Facebook Greetings, GIFs और SMS के जरिए ये मैसेजेस भेजकर दें दही हांडी की शुभकामनाएं

कैसे हुई दही हांडी की शुरुआत?

भगवान श्रीकृष्ण की माता देवकी और पिता वासुदेव को कंस ने कारागार में रखा था, क्योंकि पहले ही यह आकाशवाणी हो चुकी थी कि देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान कंस की मृत्यु का कारण बनेगी. इस भविष्यवाणी के बाद कंस ने देवकी और वासुदेव की सभी संतानों ही हत्या कर दी थी. लेकिन जब देवकी के गर्भ से उनकी आठवीं संतान के रूप में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ तो वासुदेव ने किसी तरह से उन्हें गोकुल में यशोदा और नंद के यहां पहुंचा दिया. यहीं पर कृष्ण का लालन पालन हुआ और उनकी बाल लीलाओं का आरंभ हुआ.

बचपन में भगवान श्रीकृष्ण को दही और माखन अतिप्रिय था और वे अक्सर गोपियों की मटकियों से माखन चुराकर खाया करते थे. नटखट कान्हा से बचाने के लिए गोपियां दही और माखन से भरी हांडियों व मटकियों को ऊंचाई पर टांग देती थीं, लेकिन कृष्ण बड़ी ही चतुराई से अपने दोस्तों के ऊपर चढ़कर मटकी से दही और माखन चुरा लेते थे. कई बार वो इस शरारत में दही-माखन से भरी मटकियों को फोड़ देते थे. श्रीकृष्ण की इन्हीं नटखट शरारतों से भरी बाल लीलाओं की झांकी दिखाने के लिए दही हांडी का त्योहार मनाया जाता है. यह भी पढ़ें: Krishna Janmashtami 2019 Images: नटखट कृष्ण की मनमोहक Photos, GIFs Greetings, WhatsApp Stickers और HD Wallpapers भेजकर अपने दोस्तों व रिश्तेदारों को दें गोकुल अष्टमी की बधाई

गौरतलब है कि जन्माष्टमी के एक दिन बाद भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की खुशियां मनाने के लिए बच्चे और युवा गोविंदा बनकर दही हांडी का आयोजन करते हैं. इस अवसर पर जगह-जगह ऊंचाई पर दही और माखन से भरी मटकियां लटकाई जाती हैं. इन मटकियों को फोड़ने के लिए गोविंदा मानव पिरामिड बनाते हैं और इस उत्सव को धूमधाम से मनाते हैं.

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