Vishwakarma Jayanti 2024: माघ माह में कब है विश्वकर्मा जयंती? जानें इसका महत्व, तिथि, मुहूर्त, मंत्र एवं पूजा-अनुष्ठान विधि!
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Vishwakarma Jayanti 2024: पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्माण्ड के प्रथम इंजीनियर के रूप में पूजा जाता है. वे देवताओं के शिल्पकार भी माने जाते हैं, क्योंकि उन्होंने ही महादेव का त्रिशूल, सुदर्शन चक्र तथा अन्य देवी-देवताओं के अस्त्र-शस्त्र एवं सोने की लंका, द्वारिका का भगवान श्रीकृष्ण का महल, इंद्रदेव के स्वर्गलोक इत्यादि का निर्माण किया था. विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर लोग अपने घरों, कार्यालयों, फैक्ट्री में मशीनरी एवं कल-पुर्जों की पूजा करते हैं. बता दें कि महाराष्ट्र, गुजरात एवं राजस्थान के अधिकांश स्थलों पर माघ मास की त्रयोदशी को विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है. इस वर्ष यह जयंती 22 फरवरी 2024 को मनाई जायेगी. आइये जानते हैं विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर इनका महत्व, मुहर्त एवं पूजा विधि इत्यादि.

विश्वकर्मा पूजा का महत्व

  हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण एवं आध्यात्मिक पर्वों में एक है भगवान विश्वकर्मा जयंती. इस दिन देवताओं के शिल्पकार एवं इंजीनियर कहे जानेवाले भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना की जाती है. भगवान विश्वकर्मा जयंती पर होने वाले अनुष्ठानों में लोहार, मजदूर, बढ़ई, इंजीनियर, वास्तुकार, मूर्तिकार एवं फैकट्री में काम करने वाले श्रमिक एवं कारखाने के मालिक इत्यादि लोग शामिल होते हैं. यह पर्व प्रत्येक वर्ष फरवरी माह में भारत के उत्तर पश्चिम हिस्सों में मनाया जाता है, इस पर्व के दरमियान विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक एवं धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की विधि-विधान से पूजा करने से व्यवसाय में लाभ एवं सुधार के साथ कर्मियों के लिए दुर्घटना मुक्त वातावरण तैयार होता है.

विश्वकर्मा पूजा की तिथि एवं मुहूर्त (पंचांग के अनुसार)

माघ शुक्ल पक्ष त्रयोदशी प्रारंभः 11.28 (21 फरवरी 2024, बुधवार)

माघ शुक्ल पक्ष त्रयोदशी समाप्तः 01.22 (22 फरवरी 2024, गुरुवार)

उदया तिथि के अनुसार 22 फरवरी 2024, गुरुवार को भगवान विश्वकर्मा पूजा की जाएगी.

विश्वकर्मा पूजा की विधि

माघ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्ति होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके पश्चात फैक्टरी या वर्कशॉप अथवा घर में जहां पूजा करनी है, उस स्थान की साफ-सफाई करें एवं गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें. इस स्थान को रंगोली और फूलों से सजाएं. पूजा मंच पर विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित करें. धूप दीप प्रज्वलित कर भगवान विश्वकर्मा का आह्वान मंत्र पढ़ें.

ॐ आधार शक्तपे नम:, ॐ कूमयि नम:, ॐ अनन्तम नम:

अब भगवान विश्वकर्मा को चंदन, रोली, मौली, पुष्प एवं भोग के लिए मिष्ठान एवं फल चढ़ाएं. भगवान विश्वकर्मा की आरती उतारें. तत्पश्चात दैनिक कार्यों में प्रयोग किये जाने वाले औजारों, मशीनों एवं कल-पुर्जों की भी पूजा करें. इसके पश्चात सभी मजदूरों को प्रसाद देकर उनका सम्मान करें.