Vat Purnima 2021 Mehndi Designs: वट पूर्णिमा पर अपने हाथों की सुंदरता में लगाएं चार चांद, ट्राई करें मेहंदी के ये आसान और खूबसूरत डिजाइन्स

वट पूर्णिमा सुहागन स्त्रियों के अखंड सौभाग्य का पर्व है, इसलिए इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके सजती-संवरती हैं. इसके साथ ही अपने हाथों पर मेहंदी रचाती हैं. मेहंदी को शुभता का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसे तीज-त्योहारों में जरूर लगाया जाता है. वट पूर्णिमा के खास अवसर पर आप अपने हाथों की सुंदरता में चार चांद लगा सकें, इसलिए हम लेकर आए हैं मेहंदी के आसान और खूबसूरत डिजाइन्स.

वट पूर्णिमा 2021 मेहंदी डिजाइन (Photo Credit : Instagram & YouTube )

Vat Purnima 2021 Mehndi Designs: ज्येष्ठ अमावस्या पर वट सावित्री (Vat Savitri) का पर्व मनाए जाने के बाद अब ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वट पूर्णिमा (Vat Purnima) का पर्व मनाने की तैयारियां की जा रही हैं. अखंड सौभाग्य के पर्व वट पूर्णिमा को गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा समेत दक्षिण भारत में मनाया जाता है. यह पर्व उत्तर भारत में मनाए जाने वाले वट सावित्री व्रत की तरह ही मनाया जाता है. इस साल वट पूर्णिमा का त्योहार 24 जून को मनाया जाएगा. इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु की कामना से व्रत करती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं. इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं, फिर सफेद धागे को वट वृक्ष पर लपेटते हुए सात फेरे लेती हैं. इसके बाद हाथ में काले चने लेकर व्रत की कथा सुनती हैं और पति की लंबी आयु के साथ-साथ खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं.

वट पूर्णिमा सुहागन स्त्रियों के अखंड सौभाग्य का पर्व है, इसलिए इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके सजती-संवरती हैं. इसके साथ ही अपने हाथों पर मेहंदी रचाती हैं. मेहंदी को शुभता का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसे तीज-त्योहारों में जरूर लगाया जाता है. वट पूर्णिमा के खास अवसर पर आप अपने हाथों की सुंदरता में चार चांद लगा सकें, इसलिए हम लेकर आए हैं मेहंदी के आसान और खूबसूरत डिजाइन्स.

वट पूर्णिमा स्पेशल अरेबिक मेहंदी

वट पूर्णिमा ज्वेलरी मेहंदी डिजाइन 

वट पूर्णिमा पूजा स्पेशल मेहंदी

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वट पूर्णिमा वट वृक्ष मेहंदी डिजाइन

वट पूर्णिमा स्पेशल फुल हैंड मेहंदी

वट पूर्णिमा के दिन सत्यवान और सावित्री की कथा सुनने का विधान है. इस व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से बचाए थे. इसके साथ ही सावित्री ने यमराज से पुत्र प्राप्ति और अपने सास-ससुर के राज-काज वापस मिलने का वरदान प्राप्त किया था. कहा जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है और संतान सुख की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि आती है.

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