Vaikuntha Chaturdashi 2020 Photos & Greetings: हैप्पी बैकुंठ चतुर्दशी! अपनों को भेजें ये शानदार Facebook Wishes, WhatsApp Status, GIF Images और वॉलपेपर्स
बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु को पीतांबर, मुकुट आदि पहनाकर उनका अद्भुत श्रृंगार किया जाता है, फिर धूप-दीप, चंदन, पुष्प इत्यादि से उनका पूजन किया जाता है. श्रीहरि के साथ भगवान शिव का पूजन किया जाता है. इस खास अवसर पर आप अपनों को इन शानदार एचडी फोटोज, ग्रीटिंग्स, फेसबुक विशेज, वॉट्सऐप स्टेटस, जीआईएफ इमेजेस और वॉलपेपर्स के जरिए हैप्पी बैकुंठ चतुर्दशी कह सकते हैं.
Vaikuntha Chaturdashi 2020 HD Photos & Greetings in Hindi: मृत्यु के पश्चात मोक्ष या वैकुंठ धाम (Vaikuntha Dham) जाने की चाह रहने वाले लोगों के लिए आज बेहद खास दिन है, क्योंकि आज (28 नवंबर 2020) वैकुंठ/बैकुंठ चतुर्दशी (Vaikuntha Chaturdashi) का पर्व मनाया जा रहा है, जिसे बैकुंठ चौदस (Baikunth Chaudas) भी कहा जाता है. कहा जाता है कि देवउठनी एकादशी पर योग निद्रा से जागने के बाद भगवान विष्णु भगवान (Lord Vishnu) शिव की आराधना में ली हो जाते हैं. इस दिन श्रीहरि के साथ भगवान शिव की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) सृष्टि का कार्यभार श्रीहरि को सौंपने के लिए उनसे भेंट करते हैं, इसलिए इस दिन को हरिहर मिलन के नाम से भी जाना जाता है. यह साल का एकमात्र ऐसा दिन है जब शिवजी को तुलसी और भगवान विष्णु को बिल्वपत्र अर्पित किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन अगर किसी प्राणी की मृत्यु होती है तो वह सीधे वैकुंठ धाम को जाता है.
बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु को पीतांबर, मुकुट आदि पहनाकर उनका अद्भुत श्रृंगार किया जाता है, फिर धूप-दीप, चंदन, पुष्प इत्यादि से उनका पूजन किया जाता है. श्रीहरि के साथ भगवान शिव का पूजन किया जाता है. इस खास अवसर पर आप अपनों को इन शानदार एचडी फोटोज, ग्रीटिंग्स, फेसबुक विशेज, वॉट्सऐप स्टेटस, जीआईएफ इमेजेस और वॉलपेपर्स के जरिए हैप्पी बैकुंठ चतुर्दशी कह सकते हैं.
1- बैकुंठ चतुर्दशी 2020
2- बैकुंठ चतुर्दशी 2020
3- बैकुंठ चतुर्दशी 2020
4- बैकुंठ चतुर्दशी 2020
5- बैकुंठ चतुर्दशी 2020
वैकुंठ चतुर्दशी से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु शिवजी के दर्शन के लिए काशी नगरी पहुंचे. उन्होंने मणिकर्णिका घाट पर स्नान करने के बाद एक हजार स्वर्ण कमलों से शिवजी का पूजन करने का संकल्प लिया. उनकी परीक्षा लेने के लिए भगवान शिव ने उन स्वर्ण कमलों में से एक कमल कम कर दिया. एक कमल कम होने पर पूजन के दौरान उन्होंने अपने नयन शिवजी को अर्पित करने का विचार किया. जैसे ही वे अपने नयन अर्पित करने जा रहे थे, तभी भगवान शिव प्रकट हुए. श्रीहरि की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान किया था.