Utpanna Ekadashi 2023: क्या है उत्पन्ना एकादशी व्रत एवं पूजा के विधान, मुहूर्त? जानें किन-किन बातों का रखें ध्यान!  
Utpanna Ekadashi (File Photo)

मार्गशीर्ष मास कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहते हैं. हिंदू धर्म के अनुसार यह सबसे कठिन एकादशी व्रत माना जाता है. इस एकादशी व्रत के नियम दशमी की संध्याकाल से लागू हो जाते हैं, और द्वादशी तिथि तक इसका पालन करना होता है. इसमें किसी भी एक नियम का पालन नहीं करने से एकादशी व्रत के पुण्य का पूरा लाभ नहीं मिलता है. उत्पन्ना एकादशी के दिन वर्जित कार्यों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए. ऐसे में यह जानना आवश्यक है कि इस दिन हमें क्या कार्य करना चाहिए और किन कार्यों को करने से बचना चाहिए साथ ही हम जानेंगे व्रत पूजा के विधान और शुभ मुहूर्त इत्यादि.. Utpanna Ekadashi Vrat Date 2023: कब हैं उत्पन्ना एकादशी? जानें इनका महत्व, मुहूर्त, तिथि पूजा विधि एवं इससे संबंधित पौराणिक कथा!

उत्पन्ना एकादशी शुभ तिथि एवं मुहूर्त

मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष एकादशी प्रारंभः 05.06 AM (08.12. 2023)

मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष एकादशी समाप्तः 06.31 AM (09.12. 2023)

उदया तिथि के अनुसार उत्पन्ना एकादशी का व्रत 08 दिसंबर 2023 को रखा जाएगा. 

उत्पन्ना एकादशी व्रत! इन बातों का रखें ध्यान

उत्पन्ना एकादशी से एक दिन पूर्व दशमी की शाम को सात्विक भोजन करके दातुन जरूर करें, ताकि दांतों में अन्न कण नहीं रहना चाहिए. इसके पश्चात अन्न का सेवन पूरी तरह से वर्जित होता है, अगले दिन यानी एकादशी को सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर व्रत एवं विष्णु जी की पूजा का संकल्प लें. श्रीहरि एवं माता लक्ष्मी के साथ भगवान श्रीकृष्ण जी की प्रतिमा के समक्ष धूप-दीप प्रज्वलित कर पूजा करनी चाहिए, और रात्रिकाल किसी नदी में दीप दान करें. ऐसा करने से जाने-अनजाने हुए पापों से मुक्ति मिलती है. अगले दिन स्नान के पश्चात कृष्ण जी के समक्ष दीप प्रज्वलित करें और किसी ब्राह्मण अथवा गरीब को भोजन दान करें और फिर पारण करें.

उत्पन्ना एकादशी के दिन इन बातों का रखें विशेष ध्यान!

इस दिन तामसिक आहार, विचार एवं व्यवहार से दूर रहना चाहिए.

उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु को अर्घ्य देकर दिन की शुरुआत करें.

* भगवान विष्णु को अर्घ्य देते समय जल में हल्दी जरूर मिलाएं, उसी जल से अर्घ्य दें.

* अर्घ्य देनेवाले जल में रोली या दूध का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

एकादशी व्रत रखने वालों को भूल से भी अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए. इससे अर्जित पुण्य समाप्त हो जाते हैं.

उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण का पूजा-अर्चना अवश्य करनी चाहिए.

इस शुभ दिन जातक को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, साथ ही इस मंत्र ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप भी करना चाहिए.

उत्पन्ना एकादशी के दिन आप व्रत रहें या ना रहें, किसी गरीब को वस्त्र एवं भोजन का दान अवश्य करें.

* एकादशी व्रत के दिन पान का सेवन नहीं करना चाहिए, पान का सेवन करने से रजोगुण की प्रवृत्ति बढ़ती है.