Tulsi Vivah 2020: जीवन में निरंतर हो रहे अमंगलों से मुक्ति पाने के लिए इन अष्ट मंत्रों के साथ करें तुलसी विवाह
तुलसी विवाह 2020 (Photo Credits: File Image)

Tulsi Vivah 2020: सनातन धर्म के अनुसार देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) अर्थात जिस दिन श्रीहरि (भगवान विष्णु) (Lord Vishnu) योग निद्रा से जागते हैं, उसी दिन तुलसी का भगवान शालीग्राम से विवाह (Tulsi Shaligram Vivah) कराने की परंपरा है. गौरतलब है कि श्रीहरि आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी से कार्तिक शुक्लपक्ष की एकादशी तक विश्राम हेतु योग-निद्रा में लीन रहते हैं. हिंदू मान्यतानुसार इस चातुर्मास में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं किये जाते. इस साल अधिमास के कारण चार माह का चातुर्मास पांच माह की अवधि का रहा. दरअसल, जिस दिन श्रीहरि अपनी योग निद्रा से जागते हैं, उसे देवउठनी एकादशी कहा जाता है. इसी दिन तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) के पश्चात हिंदू घरों में शहनाइयां बजनी शुरू हो जाती हैं. हमारे शास्त्रों में तुलसी विवाह की बड़ी महिमा है. जो भी श्रद्धालु इस दिन श्रीहरि को तुलसी दल चढ़ाने के पश्चात श्री शालीग्राम तुलसी का विवाह 8 अष्ट मंत्रों के साथ शास्त्रवत विधि से सम्पन्न कराता है, उसके सारे कष्ट और पाप मिट जाते हैं तथा उसे श्रीहरि की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है.

कब है तुलसी विवाह?

ज्योतिषियों के अनुसार कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की एकादशी के दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है, लेकिन कुछ स्थानों पर द्वादशी के दिन तुलसी विवाह करने की भी मान्यता है. एकादशी के दिन तुलसी विवाह करवाने वाले इस वर्ष तिथियों के हेरफेर के कारण 26 नवंबर को इसका आयोजन करेंगे. जबकि द्वादशी के दिन तुलसी विवाह कराने वाले 27 नवंबर को तुलसी विवाह कर सकते हैं. इस दिन देवी तुलसी को सोलह श्रृंगार और सुहाग की सामग्री अर्पित करने के बाद भगवान शालिग्राम के साथ उनका विवाह कराया जाता है. मान्यता है कि यदि जीवन में निरंतर अमंगल या अप्रिय घटनाएं घट रही हों तो गोधूली बेला में भगवान श्रीशालीग्राम एवं तुलसी के विवाह में 8 मंगलाष्टक मंत्रों का पाठ जरूर करना चाहिए. इससे जीवन में बार-बार आ रही बाधाएं दूर होती हैं, तथा जीवन में अन्न वृद्धि, बल वृद्धि, धन वृद्धि, सुख वृद्धि, ऋतु व्यवहार एवं मित्रता में वृद्धि होने के साथ-साथ सारे कष्ट दूर हो जाते हैं, साथ ही कन्यादान कराने सदृश्य पुण्य की प्राप्ति होती है. चूंकि तुलसी विवाह कन्यादान कराने जैसा होता है, इसलिए बेहतर होगा कि इस पूजा में पति-पत्नी साथ बैठ कर तुलसी विवाह सम्पन्न करवायें. यह भी पढ़ें: Tulsi Vivah 2020 Rangoli Designs: तुलसी विवाह को खास बनाने के लिए बनाएं सुंदर, आकर्षक और अनोखे रंगोली डिजाइन्स, देखें लेटेस्ट वीडियो (Watch Videos)

ऐसे करें मंगलाष्टक मंत्रों का प्रयोग

तुलसी के पौधे की साज-सज्जा करने के बाद गोधुलि बेला के समय एक साफ कटोरी में थोड़ा सा चावल लेकर इसे हल्दी के पतले घोल में मिलाकर पीला कर लें. इसके बाद देवी तुलसी एवं श्री शालिग्राम का विधिवत पूजन करें. अब नीचे लिखे सभी 8 मंत्रों का साफ शब्दों के साथ उच्चारण करते हुए पुष्प अर्पित करें साथ ही प्रत्येक मंत्र का जाप करते समय मन ही मन सारे अमंगलों को दूर करने की प्रार्थना भी करें.

1- ॐ श्री मत्पंकजविष्टरो हरिहरौ, वायुमर्हेन्द्रोऽनलः

चन्द्रो भास्कर वित्तपाल वरुण, प्रताधिपादिग्रहाः

प्रद्यम्नो नलकूबरौ सुरगजः, चिन्तामणिः कौस्तुभः,

स्वामी शक्तिधरश्च लांगलधरः, कुवर्न्तु वो मंगलम्॥

2- गंगा गोमतिगोपतिगर्णपतिः, गोविन्दगोवधर्नौ, गीता गोमयगोरजौ गिरिसुता, गंगाधरो गौतमः

गायत्री गरुडो गदाधरगया, गम्भीरगोदावरी, गन्धवर्ग्रहगोपगोकुलधराः, कुवर्न्तु वो मंगलम्॥

3- नेत्राणां त्रितयं महत्पशुपतेः अग्नेस्तु पादत्रयं, तत्तद्विष्णुपदत्रयं त्रिभुवने, ख्यातं च रामत्रयम्।

गंगावाहपथत्रयं सुविमलं, वेदत्रयं ब्राह्मणम्, संध्यानां त्रितयं द्विजैरभिमतं, कुवर्न्तु वो मंगलम्॥

4- बाल्मीकिः सनकः सनन्दनमुनिः, व्यासोवसिष्ठो भृगुः, जाबालिजर्मदग्निरत्रिजनकौ, गर्गोऽ गिरा गौतमः।

मान्धाता भरतो नृपश्च सगरो, धन्यो दिलीपो नलः, पुण्यो धमर्सुतो ययातिनहुषौ, कुवर्न्तु वो मंगलम्॥

5- गौरी श्रीकुलदेवता च सुभगा, कद्रूसुपणार्शिवाः, सावित्री च सरस्वती च सुरभिः, सत्यव्रतारुन्धती।

स्वाहा जाम्बवती च रुक्मभगिनी, दुःस्वप्नविध्वंसिनी, वेला चाम्बुनिधेः समीनमकरा, कुवर्न्तु वो मंगलम्॥

6- गंगा सिन्धु सरस्वती च यमुना, गोदावरी नमर्दा, कावेरी सरयू महेन्द्रतनया, चमर्ण्वती वेदिका।

शिप्रा वेत्रवती महासुरनदी, ख्याता च या गण्डकी, पूर्णाः पुण्यजलैः समुद्रसहिताः, कुवर्न्तु वो मंगलम्॥

7- लक्ष्मीः कौस्तुभपारिजातकसुरा, धन्वन्तरिश्चन्द्रमा, गावः कामदुघाः सुरेश्वरगजो, रम्भादिदेवांगनाः।

अश्वः सप्तमुखः सुधा हरिधनुः, शंखो विषं चाम्बुधे, रतनानीति चतुदर्श प्रतिदिनं, कुवर्न्तु वो मंगलम्॥

8- ब्रह्मा वेदपतिः शिवः पशुपतिः, सूयोर् ग्रहाणां पतिः, शुक्रो देवपतिनर्लो नरपतिः, स्कन्दश्च सेनापतिः।

विष्णुयर्ज्ञपतियर्मः पितृपतिः, तारापतिश्चन्द्रमा, इत्येते पतयस्सुपणर्सहिताः, कुवर्न्तु वो मंगलम्॥ यह भी पढ़ें: Tulsi Vivah 2020: तुलसी-शालिग्राम विवाह के लिए तुलसी के गमले को कैसे सजाएं, देखें सजावट के आसान और पारंपरिक तरीके

कष्ट और संकटों से मुक्ति के लिए तुलसी विवाह के बाद वहीं बैठकर इन 8 मंत्रों का पाठ करें. अगर मंत्रों का सही उच्चारण नहीं कर पा रहे हैं तो इसके लिए किसी पुजारी का सहयोग ले सकते हैं, त्रुटिपूर्ण मंत्रोच्चारण से मान्यता पूरी नहीं होगी.