Subhash Chandra Bose Jayanti 2024 Messages in Hindi: देश के वीर क्रांतिकारियों में शुमार नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती (Subhash Chandra Bose Jayanti) हर साल 23 जनवरी को मनाई जाती है. 'तुम मुझे खून दो-मैं तुम्हें आजादी दूंगा', 'जय हिंद- जय भारत' और 'दिल्ली चलो' जैसे नारों के जरिए देश के युवाओं में देशभक्ति के लिए अलख जगाने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा (Odisha) के कटक में हुआ था. एक बंगाली परिवार जन्में नेताजी के पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माता का नाम प्रभावती देवी था. नेताजी के 7 भाई और 6 बहनें थीं. सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) भारत मां के उन वीर सपूतों और महान क्रांतिकारियों में शुमार हैं, जिन्होंने अपने प्राणों की चिंता किए बिना न सिर्फ अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज बुलंद की, बल्कि मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया.
अंग्रेजों के खिलाफ स्वाधीनता संग्राम के शुरुआत में नेताजी सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी के साथ जुड़े, लेकिन बाद में उनसे अलग होकर नेताजी ने साल 1939 में फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की. उन्होंने 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद फौज की स्थापना की और अपनी फौज में महिला रेजिमेंट का गठन किया, जिसे रानी झांसी रेजिमेंट के नाम से जाना जाता था. उनकी जयंती के इस खास अवसर पर आप इन हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स, कोट्स के जरिए शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- अंग्रेजों की औकात दिखाने को ठानी थी,
इसलिए तो आजाद हिंद फौज बना डाली थी.
सुभाष चंद्र बोस जयंती की शुभकामनाएं
2- सुभाष चंद्र बोस वीर हैं, योगी हैं,
वह त्यागी हैं और संन्यासी हैं,
भारतीयों के दिलों में बसने वाले,
सबसे प्यारे भारतवासी हैं.
सुभाष चंद्र बोस जयंती की शुभकामनाएं
3- नेता बनना है तो सुभाष जी को दिल में बसा लो,
तुम भी भारत की कुछ मुश्किलों का हल निकालो.
सुभाष चंद्र बोस जयंती की शुभकामनाएं
4- देशभक्तों के खून में प्रेरणा बनकर आग लगाई है,
आजादी के खातिर ही नेताजी ने अपनी जान गंवाई है.
सुभाष चंद्र बोस जयंती की शुभकामनाएं
5- लिख रहा हूं मैं अंजाम जिसका कल आगाज आएगा,
मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा,
मैं रहूं या न रहूं, पर ये वादा है तुमसे मेरा कि,
मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आएगा.
सुभाष चंद्र बोस जयंती की शुभकामनाएं
गौरतलब है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का निधन 18 अगस्त 1945 को एक विमान दुर्घटना में हुआ था, लेकिन आज भी उनके मौत पर रहस्य बरकरार है. बताया जाता है कि नेताजी के पिता जानकीनाथ बोस की इच्छा का मान रखते हुए उन्होंने आईएएस की परीक्षा दी और उसमें सफलता प्राप्त की. सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में चौथा स्थान हासिल किया और इस पद पर कुछ समय तक कार्यरत भी रहे, लेकिन फिर आजादी लड़ाई में शामिल होने के लिए उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.