Subhash Chandra Bose Hindi Quotes: अंग्रेजों की गुलामी से देश को आजादी दिलाने में जितना योगदान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का माना जाता है, उतना ही योगदान नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) का भी रहा है. 23 जनवरी 1897 को कटक में जन्में सुभाष चंद्र बोस की आज 123वीं जयंती (Subhash Chandra Bose Jayanti) मनाई जा रही है. ये नेताजी की देश सेवा की भावना और देश के प्रति उनका प्रेम ही था, जिसने उन्हें अंग्रेजों की नौकरी ठुकराने पर मजबूर कर दिया. भारतीय सिविल सेवा में चयन होने के बावजूद उन्होंने 1921 में इस्तीफा दे दिया और कैंब्रिज से भारत लौट आए. उनके पिता ने भी देश सेवा के लिए नौकरी छोड़ने के नेताजी के फैसले का सम्मान किया. इतना ही नहीं उन्होंने नेताजी से कहा कि जब तुमने देशसेवा का प्रण ले ही लिया है तो कभी अपने कदमों को डगमगाने मत देना. उन्होंने 1919 में 'भारत छोड़ो आंदोलन' में हिस्सा लिया था. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उन्होंने 'आजाद हिंद फौज' का गठन कर, अंग्रेजों के खिलाफ जंग का ऐलान किया.
देश के युवाओं में जोश और देशभक्ति का अलख जगाने के लिए सुभाष चंद्र बोस ने 'तुम मुझे खून दो-मैं तुम्हे आजादी दूंगा', 'जय हिंद- जय भारत' और 'दिल्ली चलो' जैसे कई नारे दिए. आज भी उनके ये नारे और उनके महान विचार (Motivational Quotes of Netaji) युवाओं का जोश और उत्साह बढ़ाते हैं. सुभाष चंद्र बोस जयंती के अवसर पर हम लेकर आए हैं उनके कुछ महान विचार जिन्हें आप फेसबुक, वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम और ट्विटर के जरिए प्रियजनों को भेजकर शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- राष्ट्रवाद मानव जाति के उच्चतम आदर्शों- सत्यम्, शिवम्, सुंदरम् से प्रेरित है.
2- हमारा कार्य केवल कर्म करना हैं, कर्म ही हमारा कर्तव्य है, फल देने वाला स्वामी ऊपर वाला है.
3- संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया, इसी से मेरे भीतर आत्मविश्वास पैदा हुआ, जो पहले मुझमे नहीं था.
4- मैंने जीवन में कभी भी किसी की खुशामद नहीं की है, मुझे दूसरों को अच्छी लगने वाली बातें करनी नहीं आती.
5- मैं यह नहीं जानता कि इस आजादी के युद्ध में हममें से कौन-कौन बचेगा, लेकिन मैं इतना जानता हूं की आखिर में जीत हमारी ही होनी है.
सुभाष चंद्र बोस के पिता का नाम जानकीनाथ और माता का नाम प्रभावती देवी था. उनके पिता चाहते थे कि सुभाष चंद्र बोस बड़े होकर आईएएस बनें. हालांकि पिता की इच्छा का सम्मान करते हुए नेताजी ने आईएएस परीक्षा में सफलता भी हासिल की, लेकिन उन्हें अंग्रेजों की हुकूमत के भीतर रहकर काम करना किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं था, लिहाजा उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देकर, आजादी के लिए लड़ने का फैसला किया. माना जाता है कि 18 अगस्त 1946 को एक विमान दुर्घटना में उनकी मौत हो गई, लेकिन उनकी मौत आज भी एक रहस्य बनी हुई है.