Sita Navami 2021: सीता नवमी का महात्म्य एवं मंत्र? पति की दीर्घायु के लिए जानें कैसे करें सुहागन महिलाएं व्रत और अनुष्ठान!

सनातन धर्म के अनुसार वैशाख मास में चंद्रमा के शुक्लपक्ष को नवमी के दिन मां सीता का प्रकाट्य हुआ था, इसीलिए समस्त हिंदू समुदाय इस दिन बड़ी श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ सीता नवमी मनाते हैं. इस दिन सुहागन औरतें श्रीराम और माँ सीता की संपूर्ण विधि-विधान से पूजा करती हैं. ऐसा करने से पति दीर्घायु होता है और घर में सुख, शांति एवं वैभव आता है.

सीता नवमी 2021 (Photo Credits: File Image)

Sita Navami 2021: सनातन धर्म के अनुसार वैशाख मास में चंद्रमा के शुक्ल पक्ष को नवमी के दिन मां सीता (Mata Sita) का प्रकाट्य हुआ था, इसीलिए समस्त हिंदू समुदाय इस दिन बड़ी श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ सीता नवमी (Sira Navami) मनाते हैं. इस दिन सुहागन औरतें श्रीराम (Lord Rama) और मां सीता की संपूर्ण विधि-विधान से पूजा करती हैं. ऐसा करने से पति दीर्घायु होता है और घर में सुख, शांति एवं वैभव आता है. ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन कुंवारी लड़की सीता जयंती पर व्रत एवं पूजा करती हैं, उन्हें माँ सीता के आशीर्वाद से आकर्षक, समर्थ एवं सुयोग्य वर प्राप्त होता है.

सीता जयंती का महात्म्य!

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पुष्य नक्षत्र में मां सीता का मिथिला नगरी में भूमि से प्रकाट्य हुआ था. भगवान श्रीराम ने भी चैत्र मास के इसी अनुकूल समय में अयोध्या में जन्म लिया था. सीताजी माँ लक्ष्मी की अवतार मानी जाती हैं. सीताजी को जानकी, जनक नंदिनी, भूमिजा और मैथिली इत्यादि नामों से भी जाना जाता है. हमारे धार्मिक ग्रंथों में सीताजी की पवित्रता, त्याग, समर्पण, साहस, धैर्य और पतिव्रता के अनेक किस्से मिलते हैं. इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए भी यह व्रत एवंं उपवास रखती हैं.

शुभ मुहूर्त-

सीता नवमी: 21 मई 2021 (शुक्रवार)

नवमी प्रारंभः दोपहर 12.23 बजे (20 मई. 2021)

नवमी समाप्तः 11.10 PM (21 मई, 2021)

पूजा-विधान!

प्रातःकाल स्नान-ध्यान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र पहनकर माता जानकी के व्रत का संकल्प लें. पूजा की चौकी की अच्छे से सफाई कर उस पर लाल वस्त्र बिछायें एवं फूल-मालाओं से अलंकृत करें. प्रभु श्रीराम एवं सीता की संयुक्त प्रतिमा को मंडप में स्थापित करें. उन पर गंगाजल छिड़ककर धूप एवं शुद्ध घी का दीप जलायें. भगवान श्रीराम एवं मां सीता का आह्वान करें. अब प्रतिमा के सामने जौ, रोली, तुलसी, तिल, फल, फूल एवं खोये की मिठाई अर्पित करें. मां सीता का जन्म भूमि से हुआ था, इसलिए चौकी के सामने एक स्वास्तिक अलंकृत करें और उस पर अक्षत, रोली एवं पुष्प के साथ कुछ मुद्रा अर्पित करते हुए पृथ्वी की पूजा करते हुए पृथ्वी गायत्री मंत्र पढ़ें.

‘ऊँ पृथ्वीदेव्यै विद्महे सहस्त्रमूर्तयै धीमहि तन्नो पृथ्वी प्रचोदयात्’

मान्यता है कि इस मंत्र के जाप से अगर पृथ्वी पर कोई विकृति आ गई है तो वह नष्ट हो जाती है. ऐसे में जब कि समस्त पृथ्वी लोक पर कोरोना की विभीषिका छाई हुई है, इस मंत्र का महत्व बढ़ जाता है. बहुत से लोग इस दिन श्रीराम चरित मानस का पाठ भी करते हैं. माँ सीता की पूजा के पश्चात गरीबों को गुड़, जौ या चावल का दान करना एवं गाय को खिलाना बड़े पुण्य का काम माना जाता है. प्रसाद में मौसमी फल, ड्राय फ्रूट्स अथवा खोये की मिठाई चढ़ायें. अब श्रीराम स्तुति पढ़ें और माँ सीता जी की आरती उतारें.

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