Shawan Somwar & Shivratri 2023: सावन सोमवार एवं शिवरात्रि योग में ऐसे करें पूजा-अनुष्ठान! शिव-पूजा से देते हैं हर देवी-देवता आशीर्वाद!
अधिकमास की शिवरात्रि का व्रत एक दिन पूर्व सायंकाल से ही प्रारंभ हो जाता है. इस व्रत में किसी भी प्रकार के नमक का सेवन वर्जित होता है. शिवरात्रि की सुबह-सवेरे स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र पहनकर व्रत एवं शिवजी के अनुष्ठान का संकल्प लें. अब शिवलिंग पर पहले दूध, दही, शहद एवं शुद्ध घी से अभिषेक करें.
इस माह 16 अगस्त को अधिमास समाप्त हो रहा है, लेकिन इससे पहले सावन अधिमास का अंतिम सोमवार व्रत 14 अगस्त को पड़ रहा है, इस दिन मासिक शिवरात्रि का योग बनने से इस सोमवार व्रत का महात्म्य कई गुना बढ़ जाएगा. इस दिन विल्व पत्र, धतूरा, दूध अथवा गंगाजल से अभिषेक करने से विशेष पुण्य प्राप्त होगा. बहुत सारे शिव भक्त इस दिन अपनी विशिष्ठ मनोकामनाओं की सिद्धी हेतु भगवान शिवजी रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप जैसे विशिष्ठ अनुष्ठान भी करवाते हैं. इससे महादेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है. आइये जानें सावन अधिमास के इस चौथे एवं अंतिम सोमवार पर किस विधि से करें महादेव की पूजा-अनुष्ठान इत्यादि. Padmini Ekadashi 2023: पद्मिनी एकादशी पर गलती से भी ना करें ये 9 काम! आपको विपत्तियां घेर सकती हैं!
सावन सोमवार एवं शिवरात्रि का महात्म्य
सावन एवं अधिमास का सम्मिलन सालों बाद हुआ है. पुराणों के अनुसार अमृत प्राप्ति हेतु समुद्र-मंथन के दौरान जब हलाहल विष निकला, और सृष्टि नष्ट होने लगी, तब सृष्टि के रक्षार्थ भगवान शिव ने हलाहल का पान कर लिया, इससे भगवान शिव के संपूर्ण देह में जलन होने लगी, तब सभी देवी-देवताओं ने भगवान शिव पर शीतलता प्रदान करने वाले बिल्व-पत्र, भांग के पत्ते, गंगाजल, दूध, दही, शहद आदि अर्पित किया, जिससे शिवजी को शांति मिली. मान्यतानुसार शिवजी ने सावन माह में विषपान किया था. इसीलिए पूरे माह शिवजी को बिल्व-पत्र और गंगाजल आदि अर्पित करते हैं. चूंकि शिवरात्रि शिवजी का प्रिय दिन है, इसलिए सावन और शिवरात्रि के योग का विशेष महात्म्य होता है.
अधिकमास सावन शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त
अधिकमास सावन चतुर्दशी (शिवरात्रि) प्रारंभः 10.15 AM (14 अगस्त 2023, सोमवार) से
अधिकमास सावन चतुर्दशी (शिवरात्रि) समाप्तः 12.26 PM (15 अगस्त 2023, मंगलवार) तक
उदया तिथि के अनुसार इस बार सावन शिवरात्रि का व्रत 14 अगस्त, सोमवार को रखा जाएगा.
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सावन शिवरात्रि का व्रत एवं पूजा विधान
अधिकमास की शिवरात्रि का व्रत एक दिन पूर्व सायंकाल से ही प्रारंभ हो जाता है. इस व्रत में किसी भी प्रकार के नमक का सेवन वर्जित होता है. शिवरात्रि की सुबह-सवेरे स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र पहनकर व्रत एवं शिवजी के अनुष्ठान का संकल्प लें. अब शिवलिंग पर पहले दूध, दही, शहद एवं शुद्ध घी से अभिषेक करें. इसके बाद शिवलिंग को जल की मदद से अच्छी तरह साफ करें. ऊपर से गंगाजल अर्पित करें, इसके पश्चात संपूर्ण शिवलिंग को बिल्वपत्र, भांग के पत्ते, ताजे गुलाब से अलंकृत करें. इस दरम्यान भगवान शिव के इस मंत्र का निरंतर जाप करते रहें.
‘ॐ नमः शिवाय’
शिवलिंग के अलंकृत होने के पश्चात अंतिम बिल्वपत्र पर चंदन से ‘ॐ नमः ॐ नमः’ लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं. अब रुद्राष्टक एवं शिव चालीसा का पाठ करें. इसके बाद घी का दीपक प्रज्वलित कर भगवान शिव की आरती उतारें. मान्यता है कि शिव पूजा-अनुष्ठान से सारे देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
प्रयोजन के अनुसार पूजन!
* नौकरी-व्यवसाय में रुकावट आ रही है तो सावन सोमवार की शिवरात्रि में गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक करें. सारी रुकावटें दूर होंगी.
* कोशिश करने के बाद भी आर्थिक तंगी से मुक्ति नहीं मिल रही है तो सावन सोमवार पर दूध और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें. ऐसा करने से आर्थिक आय में वृद्धि होगी.
* अगर विवाह के लंबे अर्से के बावजूद संतान-सुख प्राप्त नहीं हो रहा है तो सावन शिवरात्रि के दिन ‘ॐ नमः शिवाय’ का निरंतर जाप करते हुए पानी में शक्कर मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करने से यथेष्ट लाभ प्राप्त हो सकता है.
* दाम्पत्य जीवन में किसी भी तरह की खटास, विरोधाभास एवं विवाद चल रहा है तो सावन शिवरात्रि के दिन गाय के कच्चे दूध में केसर डालकर शिवलिंग का अभिषेक करें, और निम्न मंत्र का जाप करें. दाम्पत्य जीवन में मधुरता अवश्य आयेगी
'ऊं त्रयम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मोक्षिय मामृतात्। '