Shab-e-Qadr Mubarak 2022 Messages in Hindi: इस्लाम धर्म के मुकद्दस महीने रमजान (Ramzan) में दुनिया भर के मुसमान (Muslim) रोजा रखकर अल्लाह की इबादत में अपना ज्यादा से ज्यादा समय बिताते हैं. वैसे तो रमजान के पूरे महीने अल्लाह की रहमत और बरकत उनके बंदों पर बसरती है, लेकिन इस पवित्र महीने में एक ऐसी रात भी है, जिसे अल्लाह ने इबादत के लिए हजार रातों से बेहतर बनाया है. इस रात को शब-ए-कद्र (Shab-e-Qadr) और लैलात-अल-कद्र (Laylatul Qadr) की रात कहते हैं. शब-ए-कद्र की यह रात रमजान के 21, 23, 25 और 27 की रात में से कोई एक होती है. इस्लाम धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस महीने में शब-ए-कद्र पर ही अल्लाह ने कुरआन-ए-पाक नाजिल किया था, इसलिए यह रात खासतौर पर इबादल वाली रात मानी जाती है.
हालांकि इन रातों में से शब-ए-कद्र की रात कौन सी होती है, इसका स्पष्ट इशारा तो नहीं दिया गया है, लेकिन इतना जरूर बताया गया है कि इस रात की दुआ अल्लाह जरूर कुबूल करते हैं. ऐसे में माह-ए-रमजान के इस पाक महीने में आप इन तिथियों पर अपने प्रियजनों को इन हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स, कोट्स के जरिए शब-ए-कद्र की मुबारकबाद दे सकते हैं.
1- हवा को खुशबू मुबारक,
फिजा को मौसम मुबारक,
चमन को गुल मुबारक,
आपको हमारी तरफ से,
शब-ए-कद्र मुबारक
2- या अल्लाह जिसने भी शब-ए-कद्र की रात,
आप की इबादत में गुजारी,
या अल्लाह तू उन सब की दुआओं को,
कुबूल करना और जो नहीं कर पाए,
उन्हें हिदायत देना और उनकी भी मगफिरात करना.
शब-ए-कद्र मुबारक
3- इस रात में इतनी पावर है कि,
इंसान अगर अपने गुनाहों की माफी,
पूरे दिल-ओ-जान से मांगे...
तो उसके हर गुनाह माफ हो जाएंगे.
शब-ए-कद्र मुबारक
4- कबूलियत की आप पर बरसात हो,
खुशियों से आपकी मुलाकात हो,
कोई अधूरी न रहे दुआ आपकी,
ऐसी मुबारक ये शब-ए-कद्र की रात हो...
शब-ए-कद्र मुबारक
5- रहमतों की है ये रात,
नमाजों का रखना साथ,
मनवा लेना रब से हर बात,
ऐसी शब-ए-कद्र की हो रात...
शब-ए-कद्र मुबारक
बताया जाता है कि शब-ए-कद्र की रात रमजान के आखिरी दस दिनों की विषम संख्या वाली रातों में से एक तिथि पर पड़ती है. हालांकि मुसलमानों ने विश्व स्तर पर 26वें रमजान के पूरा होने के बाद 27वें रोजे पर शब-ए-कद्र का पालन करने का फैसला किया है. वहीं इन रातों के महत्व को देखते हुए कई लोग शब-ए-कद्र से पहले ही एतकाफ यानी एकांत में इबादत करने के लिए चले जाते हैं और ईद का चांद देखने के बाद ही बाहर आते हैं. कहा जाता है शब-ए-कद्र पर की गई इबादत कुबूल होती है, अल्लाह अपने बंदों के सारे गुनाह माफ करते हैं और उन पर रहमतों की बरसात होती है.