Shab-e-Qadr Mubarak 2022 HD Images: शब-ए-कद्र मुबारक! शेयर करें ये Photo SMS, GIF Greetings, WhatsApp Stickers और Wallpapers
शब-ए-कद्र की रात को ही पवित्र कुरआन शरीफ नाजिल हुआ था. वैसे तो परंपरागत रुप से रमजान की 27वीं रात को शब-ए-कद्र के रूप में मनाया जाता है. इस रात अल्लाह की इबादत करने वालों के गुनाह अल्लाह माफ होते हैं और अल्लाह उनकी जायज तमन्नाओं को पूरी करते हैं. ऐसे में शब-ए-कद्र की रात आप इन एचडी इमेजेस, फोटो एसएमएस, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स, वॉलपेपर्स के जरिए मुबारकबाद दे सकते हैं.
Shab-e-Qadr Mubarak 2022 HD Images: इस्लाम धर्म की मान्यताओं के अनुसार, रमजान (Ramzan के मुकद्दस महीने में एक ऐसी रात भी है, जिसे इबादत के लिए हजारों रातों से बेहतर और रहमतों वाला माना जाता है. रमजान की इस खास रात को शब-ए-कद्र (Shab-e-Qadr) या लैलातुल कद्र (Laylatul Qadr) भी कहा जाता है. यह इस्लाम की सबसे पवित्र रातों में से एक है, लेकिन शब-ए-कद्र की कोई निश्चित तारीख नहीं है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, यह रात रमजान महीने के आखिरी दस दिनों की विषम संख्या वाली रातों (21, 23, 25, 27 और 29) में पड़ती है. इन्ही रातों में से एक रात शब-ए-कद्र की रात होती है. इस रात अल्लाह अपने बंदों के लिए रहमतों के दरवाजे खोल देते हैं, जहां रोजेदारों की हर दुआ कुबूल होती है और उनके गुनाहों की माफी मिलती है. शब-ए-कद्र की फजीलत हासिल करने के लिए मुसलमान इन सारी रातों में पूरी रात इबादत करते हैं.
माना जाता है कि शब-ए-कद्र की रात को ही पवित्र कुरआन शरीफ नाजिल हुआ था. वैसे तो परंपरागत रुप से रमजान की 27वीं रात को शब-ए-कद्र के रूप में मनाया जाता है. इस रात अल्लाह की इबादत करने वालों के गुनाह अल्लाह माफ होते हैं और अल्लाह उनकी जायज तमन्नाओं को पूरी करते हैं. ऐसे में शब-ए-कद्र की रात आप इन एचडी इमेजेस, फोटो एसएमएस, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स, वॉलपेपर्स के जरिए मुबारकबाद दे सकते हैं
1- शब-ए-कद्र की रात मुबारक!
2- शब-ए-कद्र की रात मुबारक!
3- शब-ए-कद्र की रात मुबारक!
4- शब-ए-कद्र की रात मुबारक!
5- शब-ए-कद्र की रात मुबारक!
इस्लाम धर्म में शब-ए-कद्र की एक रात की इबादत को हजार महीनों की इबादत से बढ़कर बताया गया है. शब-ए-कद्र को रात भर मुख्तलिफ इबादतें की जाती हैं, जिसमें निफिल नमाजें अदा करना, कुरआन पढ़ना, तसबीह पढ़ना इत्यादि शामिल हैं. कहा जाता है कि खुद पैगंबर मोहम्मद साहब ने अपने एक साथी के पूछने पर इस रात के महत्व के बारे में बताया था. उन्होंने बचाया था कि शब-ए-कद्र रजमान के आखिर अशरे (दस दिन) की ताक (विषम संख्या) रातों में एक है.