Shab-e-Meraj Mubarak 2021 HD Images: शब-ए-मेराज पर भेजें ये मनमोहक WhatsApp Stickers, Facebook Messages, GIFs. Wallpapers और दें मुबारकबाद
शब-ए-मेराज की रात इस्लाम धर्म के लोग नफिल नमाज अदा करते हैं और कुरआन पाक की तिलावत भी करते हैं, क्योंकि इस रात इबादत करने का खास महत्व होता है. इसके अलावा लोग अपने दोस्तों-रिश्तदारों को इस पर्व की मुबारकबाद भी देते हैं. इस्लाम धर्म के इस महत्वपूर्ण पर्व की आप अपनों को इन मनमोहक एचडी इमेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक मैसेजेस, जीआईएफ, वॉलपेपर्स के जरिए मुबारकबाद दे सकते हैं.
Shab-e-Meraj Mubarak 2021 HD Images: इस्लाम धर्म में शब-ए-मेराज (Shab-e-Miraj) की घटना को सबसे महत्वपूर्ण और चमत्कारी माना गया है. कहा जाता है कि इस्लामिक चंद्र कैलेंडर में रजब महीने की 27वीं रात को पैगंबर मोहम्मद साहब (Prophet Muhammad) ने मक्का से येरुशलम की चालीस दिन की यात्रा महज कुछ ही घंटों में तय कर ली थी, फिर सातों आसमानों की यात्रा करके सशरीर अल्लाहतआला के दर्शन प्राप्त किए थे. इस साल 12 मार्च 2021 को शब-ए-मेराज (Shab-e-Meraj) यानी शबे मेराज का पर्व मनाया जाएगा, जो रजब महीने की सत्ताईसवीं रात को मनाया जाने वाले एक प्रमुख इस्लामिक पर्व है. अरबी भाषा में शब का मतलब रात है, इसलिए इस रात को मुहम्मद सल्लल्लाह अलैह व सल्लम की अल्लाह से मुलाकात की पाक रात भी कहा जाता है.
शब-ए-मेराज की रात इस्लाम धर्म के लोग नफिल नमाज अदा करते हैं और कुरआन पाक की तिलावत भी करते हैं, क्योंकि इस रात इबादत करने का खास महत्व होता है. इसके अलावा लोग अपने दोस्तों-रिश्तदारों को इस पर्व की मुबारकबाद भी देते हैं. इस्लाम धर्म के इस महत्वपूर्ण पर्व की आप अपनों को इन मनमोहक एचडी इमेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक मैसेजेस, जीआईएफ, वॉलपेपर्स के जरिए मुबारकबाद दे सकते हैं.
1- शब-ए-मेराज 2021
2- शब-ए-मेराज 2021
3- शब-ए-मेराज 2021
यह भी पढ़ें: Shab E Meraj 2021: कब है शब-ए-मेराज? क्यों मनाया जाता है यह दिवस, जानें इतिहास और इस्लाम धर्म में इसका महत्व
4- शब-ए-मेराज 2021
5- शब-ए-मेराज 2021
गौरतलब है कि मोहम्मद साहब की इस यात्रा के दो भाग हैं, जिसे इसरा और मेराज कहा जाता है. इस्लामिक मान्यताओं को अनुसार, इसी दिन मोहम्मद साहब को इसरा और मेराज की यात्रा के दौरान अल्लाह के विभिन्न निशानियों का अनुभव मिला था. इसी दिन उनकी अल्लाह से मुलाकात हुई थी. इस यात्रा के पहले हिस्से को इसरा और दूसरे हिस्से को मेराज कहा जाता है.