इस्लाम धर्म के मुक्कदस महीनों में से एक रजब का महिना चल रहा है. इस महीने की 27वीं शब को 'शब-ए-मेराज' कहा जाता है. इस साल 3 अप्रैल की रात 'शब-ए-मेराज' की रात है. इस रात अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद सल्लल्लाह अलैह व सल्लम की मुलाकात अल्लाह से हुई थी. अरबी में ‘शब’ का अर्थ रात हैं. अर्थात इस रात को पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाह अलैह व सल्लम की अल्लाह से मुलाकात की रात भी कहते हैं.
शबे मेराज का इस्लाम धर्म में बहुत महत्व है साथ ही इस रात की बड़ी फजीलत है. कहते हैं इसी रात अल्लाह तआला ने अपने नबी करीम को देखने और मिलने के लिए अर्शे-आज़म पर बुलाया था. इस रात इबादत करने का अलग महत्त्व हैं. इस रात मुसलमान समुदाय के लोग नफिल नमाज अदा करते हैं और 'कुरआन पाक' की तिलावत भी करते हैं.
रजब के रोजे का महत्व:
वैसे तो कई लोग रजब के पुरे महीने रोजे रखते हैं मगर इस महीने की 26 और 27 तारीख का रोजा रखने की अलग फजीलत हैं. ऐसा कहा जाता है कि इन दो दिनों के रोजों से बहुत सवाब मिलता हैं.
'शब-ए-मेराज' के बाद शाबान के महीने में 'शब-ए-बारात' आती हैं. इस रात में भी जमकर तिलावत की जाती हैं. 'शब-ए-बारात' में मुस्लिम समुदाय के पुरुष कब्रस्तान भी जाते हैं.