Saraswati Puja 2021: बसंत पंचमी का महात्म्य, मंत्र एवं पूजा विधि!
बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ मास के शुक्लपक्ष की पंचमी के दिन मनाया जाता है. वस्तुत: बसंत पंचमी के दिन से ही बसंत ऋतु की शुरूआत होती है. इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती (शारदा) की पूजा अर्चना की जाती है. चूंकि सरस्वती देवी का प्रिय रंग पीला होता है, इसीलिए इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहन कर सरस्वती जी की पूजा की जाती है.
बसंत पंचमी (Vasant Panchami) का पर्व हर साल माघ मास के शुक्लपक्ष की पंचमी के दिन मनाया जाता है. वस्तुत: बसंत पंचमी के दिन से ही बसंत ऋतु की शुरूआत होती है. इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती (शारदा) की पूजा अर्चना की जाती है. चूंकि सरस्वती देवी का प्रिय रंग पीला होता है, इसीलिए इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहन कर सरस्वती जी की पूजा की जाती है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 16 फरवरी 2021 (मंगलवार) यानी आज़ है. यह भी पढ़ें: Basant Panchami 2021 Messages: बसंत पंचमी की दें अपनों को शुभकामनाएं, भेजें ये हिंदी WhatsApp Stickers, Quotes, GIF Greetings और HD Images
बसंत पंचमी का महात्म्य
ज्योतिष शास्त्र में बसंत पंचमी को अबूझ दिन बताया गया है, यानी इस दिन की इतनी महत्ता है कि बिना शुभ मुहूर्त के कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है. भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में जहां बसंत ऋतु को स्वयं जैसा श्रेष्ठ बताया है, वहीं महाकवि कालीदास के एक काव्य ‘ऋतुसंहार’ में वर्णित है, 'ऋतुनां कुसुमाकराः’ अर्थात श्रीकृष्ण ने ‘मैं ऋतुओं में वसंत हूं' कहकर स्वयं को अपना स्वरूप बताया है. पौराणिक ग्रंथों में भी बसंत ऋतु के महात्म्य स्वरूप उल्लेखित है कि इसी दिन कामदेव और रति ने मानव ह्रदय में प्रेम भाव का संचार किया था. बहुत-सी जगहों पर बसंत पंचमी के दिन कामदेव और रति की पूजा भी की जाती है. मान्यता है कि इससे दांपत्त्य जीवन सुखमय बीतता है.
ऐसे करें मां शारदा की पूजा!
बसंत पंचमी के दिन प्रातः काल स्नान-ध्यान के पश्चात श्वेत अथवा पीले वस्त्र धारण करें. चूंकि मां सरस्वती का उद्भव सत्वगुण में हुआ था, इसलिए इनकी पूजा प्रयुक्त सामग्रियों में श्वेत चन्दन, श्वेत वस्त्र, श्वेत फूल, दही-मक्खन, सफ़ेद तिल का लड्डू, अक्षत, घृत, नारियल और इसका पानी, श्रीफल, बर चढ़ाया जाता है. सर्वप्रथम विधि-विधान से कलश स्थापना की जाती है. माँ शारदा के साथ भगवान श्रीगणेश, सूर्यदेव, विष्णुजी व शिवजी की पूजा करें. सफेद फूल-माला के साथ मां सरस्वती को सिन्दूर व अन्य श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं. अब पीले रंग की खोये की मिठाई या खीर का भोग लगाएं. पूजा करते समय इस मंत्र 'ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः' का जाप करते रहें. पूजा का समापन मां शारदा की आरती करके करें. इसके बाद मां से बच्चों को शिक्षा, ज्ञान और सफलता के लिए प्रार्थना करें.