Republic Day 2019: 26 जनवरी 1950 को भारत में लागू हुआ था संविधान, जानिए इसके निर्माता डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर से जुड़ी कुछ खास बातें

भारतीय संविधान के रचयिता डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर एक समाज सुधारक और महाने नेता भी थे, जिनके अहम योगदान को पूरी दुनिया जानती है. वे जीवन भर दलितों के उत्थान के लिए और समाज में उनके अधिकार के लिए संघर्ष करते रहे.

डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर (File Image)

Republic Day 2019: 26 जनवरी 2019 (26 January 2019) को भारत अपना 70वां गणतंत्र दिवस (Republic Day)  मनाने जा रहा है. यह दिन भारत के हर नागरिक के लिए बेहद खास है, क्योंकि इसी दिन भारत एक गणतांत्रिक देश बना था और पूरे देश में संविधान (Constitution) लागू हुआ था. दरअसल, 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा की ओर से भारत के संविधान को पारित किया गया था और 26 जनवरी 1950 को 10 बजकर 18 मिनट पर पूरे देश में संविधान लागू हुआ था. भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतांत्रिक देश का सबसे लंबा लिखित संविधान है. डॉ. बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर (Dr. Baba Saheb Ambedkar) को भारत के संविधान का निर्माता कहा जाता है और वे ही संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष थे.

भारतीय संविधान के रचयिता डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर (Father of Indian Constitution) एक समाज सुधारक और महाने नेता भी थे, जिनके अहम योगदान को पूरी दुनिया जानती है. वे जीवन भर दलितों के उत्थान के लिए और समाज में उनके अधिकार के लिए संघर्ष करते रहे. चलिए गणतंत्र दिवस के इस बेहद खास मौके पर संविधान के रचयिता डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर से जुड़ी कुछ खास बातें.

1- बाबा साहेब का पूरा नाम भीमराव आंबेडकर था. उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्‍य प्रदेश के छोटे से गांव महू में हुआ था. वो एक मराठी परिवार से थे और मूलरूप से रत्नागिरी जिले के आंबडवे से थे.उनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था. बाबा साहेब पिछड़ी जाति से थे, इसलिए उनके साथ समाज में भेदभाव किया जाता था. यह भी पढ़ें: Republic Day 2019 Wishes: गणतंत्र दिवस पर WhatsApp Stickers, SMS, Facebook के जरिए भेजें ये शानदार मैसेजेस और हर किसी के मन में जगाएं देशभक्ति की भावना

2- आंबेडकर बचपन से ही तेज बुद्धि के थे, लेकिन छुआछूत कि वजह उन्हें प्रारंभिक शिक्षा में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. वो जब अपनी स्कूली पढ़ाई के लिए मुंबई के एल्‍फिंस्‍टन रोड पर स्थित गवर्नमेंट स्‍कूल आये तो उनके साथ छुआछूत का व्यवहार किया गया था. 1913 में कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए उनका सिलेक्शन किया गया. जहां से उन्होंने पॉलिटिकल साइंस में ग्रैजुएशन किया. 1913 में एक रिसर्च के लिए उन्हें पीएचडी(PHD)से सम्मानित किया गया.

3- बाबा साहेब लंदन से इकोनॉमिक्स(ECONOMICS) में डॉक्टरेट करना चाहते थे, लेकिन स्कॉलरशिप खत्म होने की वजह से उन्हें भारत वापस आना पड़ा. भारत आने के बाद उन्होंने ट्यूटर और कंसल्टिंग का काम शुरू किया, लेकिन भेदभाव कि वजह से उन्हें सफलता नहीं मिली. काफी कठिनाइयों के बाद उनकी मुंबई के सिडनेम कॉलेज(SYDENHAM COLLEGE)में प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति हुई. यह भी पढ़ें: Republic Day 2019: इस शख्स की वजह से भारत को मिला 'तिरंगा', जानिए राष्ट्रीय ध्वज से जुड़ी 10 रोचक बातें

4- बाबा साहेब ने 1936 में स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना कि, 1937 के चुनाव में इस पार्टी ने 15 सीटें जीती. दलितों को महात्मा गांधी हरिजन कहकर बुलाते थे, इसपर बाबा साहेब ने उनका विरोध किया. उन्होंने 'थॉट्स ऑन पाकिस्‍तान' और 'वॉट कांग्रेस एंड गांधी हैव डन टू द अनटचेबल्‍स' जैसी कई विवादित किताबें लिखीं.

5- वो बहुत बड़े विद्वान थे, इसलिए उन्हें भारत का पहला कानून मंत्री बनाया गया और 29 अगस्त 1947 को भारतीय संविधान मसौदा समिति का अध्यक्ष चुना गया. आपको बता दें कि मरणोपरांत उन्हें भारत रत्न से नवाज़ा गया.

6- 14 अक्टूबर 1956 में बाबा साहेब ने विजया दशमी के दिन नागपुर में अपने पांच लाख साथियों के साथ बौद्ध धर्म कि दीक्षा ली. उन्होंने 1956 में बौद्ध धर्म पर आखिरी किताब लिखी जिसका नाम था 'द बुद्ध एंड हिज धम्‍म'.इस किताब को पूरा करने के तीन दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई. यह किताब उनकी मृत्‍यु के बाद 1957 में प्रकाश‍ित हुई. यह भी पढ़ें: Republic Day 2019: आजादी से पहले 26 जनवरी को मनाया जाता था स्वतंत्रता दिवस, जानें क्यों भारत के हर नागरिक के लिए बेहद खास है यह दिन?

दरअसल, आंबेडकर महार जाति के थे. इस जाति के लोगों को समाज में अछूत माना जाता था और उनके साथ भेदभाव किया जाता था. इसी वजह से बाबासाहेब को दलितों और पिछड़े तबके के लोगों के लिए आवाज उठाने कि प्रेरणा मिली.

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