Republic Day 2019: देश के राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े इन नियमों का पालन करना है हर नागरिक की जिम्मेदारी, उल्लंघन करने पर हो सकती है जेल
देश की आन-बान और शान कहे जाने वाले तिरंगे के इस्तेमाल और फटे या खराब तिरंगे के निस्तारण को लेकर फ्लैग कोड ऑफ इंडिया में कई दिशा-निर्देश दिए गए हैं, जिनका पालन करना देश के हर नागरिक की अहम जिम्मेदारी है. अगर किसी ने भी इन नियमों का उल्लंघन किया तो उसे जेल की सजा भी हो सकती है.
Republic Day 2019: हमारे देश की अखंडता, एकता और इसकी पहचान भारत के राष्ट्रीय ध्वज (Indian National Flag) तिरंगे (Tricolor) से होती है. तीन रंगों से बना तिरंगा (Tiranga) इस देश में रहने वाले विभिन्न धर्मों, जातियों और समुदाय के लोगों को एक सूत्र में बांधकर रखता है. विविधताओं के इस देश में भले ही लोगों के बीच कितनी भी असमानताएं क्यों न हो, लेकिन जब बात देश के शान कहे जाने वाले तिरंगे के सम्मान (Respect of Tiranga) की आती है तो हर कोई एक साथ खड़ा नजर आता है. देश के राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान को बनाए रखना हर नागरिक की जिम्मेदारी है, इसलिए किसी भी हाल में इसका अपमान नहीं किया जाना चाहिए.
देश की आन-बान और शान कहे जाने वाले तिरंगे के इस्तेमाल और फटे या खराब तिरंगे के निस्तारण को लेकर फ्लैग कोड ऑफ इंडिया में कई दिशा-निर्देश (guidelines) दिए गए हैं, जिनका पालन करना देश के हर नागरिक (Citizen of India) की अहम जिम्मेदारी है. अगर किसी ने भी इन नियमों का उल्लंघन किया तो उसे जेल की सजा भी हो सकती है. तिरंगा फहराने के तमाम नियम-कानूनों, औपचारिकताओं और निर्देशों को एक साथ 'भारतीय ध्वज संहिता-2002' में एकीकृत किया गया है.
1- अगर कोई 'फ्लैग कोड ऑफ इंडिया' (Flag Code Of India) के तहत गलत तरीके से तिरंगा फहराने का दोषी पाया जाता है तो उसे जेल हो सकती है. इस अपराध के लिए व्यक्ति को तीन साल की सजा भुगतने के साथ जुर्माना भी भरना पड़ सकता है. यह भी पढ़ें: Republic Day 2019: इस शख्स की वजह से भारत को मिला 'तिरंगा', जानिए राष्ट्रीय ध्वज से जुड़ी 10 रोचक बातें
2- राष्ट्रीय ध्वज को राज्य के जवान, केंद्र के जवान, पुलिस, सेना और अर्धसैनिक बलों के शहीद शव को लपेटने के इस्तेमाल में लाया जा सकता है.
3- किसी तरह की सजावट के लिए तिरंगे का इस्तेमाल करना एक अपराध है. इसके साथ ही इसका कोई अन्य इस्तेमाल भी नहीं किया जा सकता है.
4- राष्ट्रीय ध्वज को किसी वाहन, ट्रेन या नाव को ढंकने के काम में नहीं लाया जा सकता और न ही इसे घर के किसी भी अन्य काम के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. इस पर कुछ भी लिखना या प्रिंट करना आपको जेल पहुंचा सकता है.
5- तिरंगे को किसी भी तरह के विज्ञापन में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. इसे फहराने की प्रक्रिया के दौरान वहां मौजूद सभी लोगों का तिरंगे की तरफ मुंह करके सावधान की मुद्रा में खड़े रहना आवश्यक होता है. यह भी पढ़ें: Republic Day 2019: भारतीय संविधान ने दिए हैं देश के नागरिकों को ये मौलिक अधिकार, कहीं आप इनसे अंजान तो नहीं
6- तिरंगे को किसी कॉपी या किताब में कवर की तरह इस्तेमाल करना इसके दिशा-निर्देशों के खिलाफ है. इसके अलावा तिरंगे को उल्टा पकड़ने और उल्टा लहराने पर आपको जेल भी हो सकती है.
7- तिरंगा कभी भी जमीन नहीं छूना चाहिए और हमेशा आसमान में लहराना चाहिए. तिरंगा फहराने वाले को बिना टोपी पहने तिरंगे को सलाम करना चाहिए.जहां तिरंगे को खुले में फहराया जाता है, वहां मौसम का ध्यान रखे बिना उसे सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जाना चाहिए.
8- तिरंगे का अपमान किसी भी हाल में नहीं होना चाहिए. इसका कोई भी हिस्सा फटा नहीं होना चाहिए. किसी दूसरे झंडे या पताका को राष्ट्रीय ध्वज यानी तिरंगे से ऊपर या उससे ऊंचा या उसके बराबर नहीं लगाया जाना चाहिए. न हीं पुष्प, माला, प्रतीक या अन्य कोई वस्तु उसके ध्वज दंड के ऊपर रखी जाए.
9- अगर तिरंगा फट जाए तो उसका सम्मानपूर्वक निस्तारण किया जाना चाहिए. तिरंगे के निस्तारण का सही तरीका है उसे जलाना. हालांकि इसे दफनाया भी जा सकता है, लेकिन अक्सर दफनाने में जब कभी किसी कारण मिट्टी पलटती है तो तिरंगा फिर से ऊपर आ सकता है. यह भी पढ़ें: Republic Day 2019: 26 जनवरी 1950 को भारत में लागू हुआ था संविधान, जानिए इसके निर्माता डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर से जुड़ी कुछ खास बातें
10- फटे-पुराने तिरंगे के निस्तारण के लिए उसे किसी निजी स्थान पर ही जलाना चाहिए और इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वो पूरी तरह से जल जाए. फटे-पुराने तिरंगे को जलाकर उसे सलाम करना चाहिए और मर्यादा का ध्यान रखते हुए इसका निस्तारण करना चाहिए.
गौरतलब है कि देश की आन-बान और शान कहे जाने वाले राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा से जुड़े दिशा-निर्देशों के बारे में अधिक जानकारी आप 'भारतीय ध्वज संहिता-2002' से प्राप्त कर सकते हैं. इसमें दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करना हर देशवासी का कर्तव्य है.