Rani Lakshmibai Jayanti 2023 Wishes in Hindi: मातृभूमि की रक्षा के लिए अंग्रेजों से लोहा लेने और हंसते-हंसते अपने प्राणों को न्योछावर करने वाली इतिहास की महान वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई (Queen of Jhansi Rani Lakshmibai) को आज पूरा देश याद कर रहा है, क्योंकि आज उनकी जयंती मनाई जा रही है. आज ही के दिन यानी 19 नवंबर 1835 को झांसी की रानी लक्ष्मीबाई (Rani Lakshmibai) का जन्म हुआ था. जन्म के बाद उनका नाम मणिकर्णिका रखा गया था, लेकिन हर कोई प्यार से उन्हें मनु कहकर बुलाता था. सन 1850 में महज 15 साल की उम्र में उनका विवाह झांसी के महाराज गंगाधर राव के साथ हो गया था और विवाह के बाद मणिकर्णिका को रानी लक्ष्मीबाई नाम दिया गया. विवाह के बाद उन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया, लेकिन चार महीने बाद ही उनके पुत्र का निधन हो गया था, जिसके बाद रानी लक्ष्मीबाई और उनके पति गंगाधर राव नवलकर ने अपने चचेरे भाई के बच्चे को गोद लिया और उसे दामोदर राव नाम दिया.
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों के खिलाफ देश की आजादी की पहली लड़ाई के दौरान 1857 में ब्रिटिश राज के प्रतिरोध का प्रतीक बन गई थीं. देश के इतिहास की महान वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर पूरा देश उनकी वीरता और बलिदान की गाथा को याद करता है. ऐसे में आप इन हिंदी विशेज, कोट्स, वॉट्सऐप मैसेजेस, जीआईएफ ग्रीटिंग्स के जरिए रानी लक्ष्मीबाई जयंती की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- मैदान-ए-जंग में मरना है,
फिरंगी से नहीं डरना है,
कहती रानी लक्ष्मीबाई
यह वादा पूरा करना है.
रानी लक्ष्मीबाई को नमन
2- शौर्य और वीरता झलकता है लक्ष्मीबाई के नाम में,
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की डोरी थी जिसके हाथ में.
रानी लक्ष्मीबाई को नमन
3- दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी,
चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी.
रानी लक्ष्मीबाई को नमन
4- उखाड़ फेका हर दुश्मन को,
जिसने झांसी का अपमान किया,
मर्दानी की परिभाषा बन कर,
आजादी का पैगाम दिया.
रानी लक्ष्मीबाई को नमन
5- मुर्दों में भी जान डाल दे,
उनकी ऐसी कहानी है,
वो कोई और नहीं,
झांसी की रानी है.
रानी लक्ष्मीबाई को नमन
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई एक ऐसी वीरांगना थीं, जिन्होंने 1857 के विद्रोह की नींव रखी थी और इस विद्रोह के चलते ब्रिटिश हुकूमत की नींव हिल गई थी. बताया जाता है कि अपने अंतिम सांस तक अंग्रेजों से लोहा लेने वाली रानी लक्ष्मीबाई (Rani Lakshmibai) 17 जून 1858 को अपनी आखिरी जंग के लिए तैयार हुई थीं और अंग्रेजों से लड़ते हुए 18 जून को वीरगति को प्राप्त हुई थीं. लॉर्ड केनिंग की रिपोर्ट के अनुसार, जंग के दौरान उन्हें एक सैनिक ने पीछे से गोली मारी थी.