RamaKrishna Paramahamsa Jayanti 2019: एक गृहस्थ संन्यासी थे रामकृष्ण परमहंस, भक्ति की शक्ति और मानवता की सीख देते हैं उनके ये अनमोल उपदेश
इस साल 8 मार्च को देश भर में रामकृष्ण परमहंस जयंती मनाई जा रही है. इस बेहद खास मौके पर खास कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. रामकृष्ण परमहंस एक गृहस्थ संन्यासी थे जो अपनी भक्ति के मार्ग पर चलते हुए सिद्धि के शिखर तक पहुंच गए थे.
RamaKrishna Paramahamsa Jayanti 2019: हिंदू पंचांग (Hindu Panchang) के अनुसार, हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को रामकृष्ण परमहंस जयंती (RamaKrishna Paramahamsa Jayanti) मनाई जाती है. अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से यह तिथि फरवरी या मार्च में आती है. इस साल 8 मार्च को देश भर में रामकृष्ण परमहंस जयंती मनाई जा रही है. इस बेहद खास मौके पर खास कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. रामकृष्ण परमहंस एक गृहस्थ संन्यासी थे जो भक्ति के मार्ग पर चलते हुए सिद्धि के शिखर तक पहुंच गए. वो मां काली के परम भक्त थे और ये उनकी भक्ति की ही शक्ति थी कि उन्हें साक्षात मां काली के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ था. रामकृष्ण परमहंस अपने दौर के एक साधारण साक्षर थे.
उनकी खासियत यह थी कि उन्होंने पुस्तकीय ज्ञान की बजाय भक्ति पर ज्यादा जोर दिया और अपना पूरा जीवन माता की भक्ति और मानवता के लिए समर्पित कर दिया. रामकृष्ण परमहंस महापुरुष स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) के भी गुरु थे. स्वामी विवेकानंद का नाम भारत की ऐसी महान शख्सियतों में शुमार है, जिन्होंने देश और समाज को नई दिशा प्रदान की.
स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फरवरी 1836 को पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के कामारपुकुर गांव में हुआ था. वो एक महान योगी, गृहस्थ संन्यासी और उच्च कोटि के विचारक थे. उन्होंने अपने अनमोल उपदेशों के जरिए न सिर्फ अपने शिष्यों को बल्कि पूरी दुनिया को भक्ति की शक्ति और मानवता का ज्ञान दिया. इस खास मौके पर चलिए जानते हैं रामकृष्ण परमहंस के 10 अनमोल वचन...
1- सत्य की राह बहुत ही कठिन है. जब हम सत्य की राह पर चलें तो हमें बहुत ही एकाग्र और नम्र होना चाहिए, क्योंकि सत्य के माध्यम से ही ईश्वर का बोध होता है.
2- अपने विचारों में सदा ईमानदार रहें और समझदार बनें. अपने विचारों के अनुसार कार्य करें, आप निश्चित रूप से सफल होंगे. एक ईमानदार और सरल हृदय के साथ प्रार्थना करें, आपकी प्रार्थना सुनी जाएगी.
3- संसार का कोई भी इंसान अगर अपने जीवन में पूरी ईमानदारी से ईश्वर के प्रति समर्पित नहीं है तो उस इंसान को अपने जीवन से कोई भी उम्मीद नही रखनी चाहिए.
4- ईश्वर के अनेकों रूप और अनेकों नाम हैं. अनेक तरीकों से ईश्वर की कृपा दृष्टि को प्राप्त किया जा सकता है और हम ईश्वर को किस नाम से पुकारते हैं या फिर किस तरह से पूजते हैं. यह उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना महत्वपूर्ण यह है कि हम अपने अंदर उस ईश्वर को कितना महसूस करते हैं.
5- यदि आप पागल ही बनना चाहते हैं तो सांसारिक वस्तुओं के लिए मत बनों, बल्कि भगवान के प्यार में पागल बनों.
6- सामान्य व्यक्ति धर्म के बारें में हजारों बुराइयां करता हैं, लेकिन धर्म को प्राप्त करने का प्रयास बिल्कुल भी नहीं करता. जबकि धर्म का ज्ञान रखने वाला और धर्म के अनुसार आचरण करने वाला बुद्धिमान व्यक्ति कम ही बोलता है.
7- यदि हम ईश्वर की दी हुई शक्ति का उपयोग भलाई और अच्छे कर्मो के लिए नहीं कर सकते तो फिर हमें ईश्वर की कृपा पाने के लिए अपना जीवन समाज की भलाई में लगाना चाहिए.
8- भले ही दुनिया के सारे तीर्थ और धाम ही क्यों न कर लें, हमें सुकून तब तक नहीं मिलेगा जब तक कि हम अपने मन के भीतर शांति न खोज लें. यह भी पढ़ें: Swami Vivekananda Jayanti 2019: स्वामी विवेकानंद की 156वीं जयंती, 10 ऐसे प्रेरणादायी विचार जो आपके जीवन में भर देंगे नई ऊर्जा
9- भगवान को सभी पथों और माध्यमों के द्वारा महसूस किया जा सकता हैं, सभी धर्म सच्चे और सही हैं. महत्वपूर्ण बात यह है कि आप उस तक पहुंच पाते हैं या नहीं. आप वहां तक जाने के लिए कोई भी रास्ता अपना सकते हैं रास्ता महत्व नहीं रखता.
10- नाव को हमेशा जल में ही रहना चाहिए, जबकि जल को कभी भी नाव में नही होना चाहिए. ठीक उसी प्रकार भक्ति करने वाले इस दुनिया में रहें, लेकिन जो भक्ति करे उसके मन में सांसारिक मोहमाया नहीं होना चाहिए.
रामकृष्ण परमहंस ने सभी धर्मों की एकता पर जोर दिया. उन्हें बचपन से ही विश्वास था कि ईश्वर के दर्शन हो सकते हैं. इसलिए उन्होंने ईश्वर की प्राप्ति के लिए कठोर साधना की और मां काली की भक्ति में अपना जीवन बिताया. उनका मानना था कि संसार के सभी धर्म सच्चे हैं और उनमें कोई भिन्नता नहीं है. बस ईश्वर तक पहुंचने के रास्ते अलग-अलग हो सकते हैं.