Ramadan Iftar Time 12th May 2019: जानें दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, कोलकाता और हैदराबाद सहित देश के बड़े शहरों में आज के इफ्तार का सही समय
रमजान 2019 (Photo Credits: Getty)

Ramzan Iftar Time 12th May 2019: रमजान (Ramzan) को इस्लामिक कैलेंडर का सबसे पाक महीना माना जाता है. इस पाक महीने में रोजेदार 30 दिनों तक रोजा रखते हैं. यह महीना सिर्फ अल्लाह की इबादत का ही नहीं, बल्कि व्यक्ति की बुरी आदतों पर काबू पाने के लिए भी पाक होता है. आज यानी रविवार को रमजान के रोजे का छठा दिन है. जिस तरह से नमाज पढ़ना हर दुनिया के हर मुसलमान के (Muslim) लिए फर्ज है, उसी तरह खुदा ने रोजा रखने को भी फर्ज करार दिया है. इस्लाम धर्म में 5 बार नमाज (Namaz) पढ़ने का नियम है, लेकिन रमजान के पाक महीने में 6 बार नमाज पढ़ी जाती है. छठी नमाज रात में होती है, जिसे तरावीह की नमाज कहा जाता है. इस पवित्र महीने में नमाज अदा करने के साथ-साथ कुरान भी पढ़ा जाता है.

रमजान के महीने में सुबह सूरज उगने से पहले सहरी (Sehri) की जाती है, फिर फज्र की अजान के साथ रोजा रखा जाता है. पूरे दिन करीब 15-16 घंटे तक बिना पानी और अनाज के रहने के बाद शाम को सूर्यास्त के बाद मगरिब की अजान होती है और फिर इफ्तार (Iftar) करके रोजा खोला जाता है. चलिए जानते हैं दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, लखनऊ, बैंग्लोर और हैदराबाद सहित देश के कई बड़े शहरों में रविवार 12 मई 2019 की शाम इफ्तार का सही समय (Iftar Time) क्या है? यह भी पढ़ें: Ramadan Iftar Time 11th May 2019: जानिए दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, कोलकाता और हैदराबाद सहित देश के बड़े शहरों में आज के इफ्तार का सही समय

इफ्तार का सही समय- (12 मई 2019, रविवार)

1- मुंबई

इफ्तार- शाम 7 बजकर 6 मिनट.

2- दिल्ली

इफ्तार- शाम 7 बजकर 4 मिनट.

3- हैदराबाद

इफ्तार- शाम 6 बजकर 41 मिनट.

4- कोलकाता

इफ्तार- शाम 6 बजकर 9 मिनट.

5- लखनऊ

इफ्तार- शाम 6 बजकर 46 मिनट.

6- बैंग्लुरु

इफ्तार- शाम 6 बजकर 38 मिनट.

7- श्रीनगर

इफ्तार- शाम 7 बजकर 24 मिनट.

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गौरतलब है कि रमजान का महीना कभी 29 दिन का तो कभी 30 दिन का होता है. सबसे खास बात तो यह है कि रमजान के महीने को तीन हिस्सों में बांटा जाता है. इसके हर हिस्से में दस-दस दिन आते हैं. इसके हर हिस्से को 'अशरा' कहा जाता है. पहला हिस्सा 1 से 10 रोजे तक का होता है, जिसे रहमतों (कृपा) का दौर बताया जाता है. दूसरे हिस्से के दस दिन यानी 11 से 20 रोजे तक को मगफिरत (माफी) का दौर बताया जाता है, जबकि तीसरे और आखिरी हिस्से यानी 21 से 30 रोजे तक को जहन्नुम (नर्क) की आग से बचाने वाला दौर बताया जाता है.